Benefits Of Consuming Fennel Seeds: सुगंधित सौंफ का उपयोग सदियों से हमारे किचन में और औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है. सौंफ एक बहुत ही गुणकारी औषधीय है. इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं. सौंफ में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं. यह पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करती है. इसके तेल का इस्तेमाल स्किन और हेयर केयर में भी होता है. सौंफ कैंसर, मधुमेह और हृदय रोगों से लड़ने में मदद करती है. इसके अलावा सौंफ में कैल्शियम, आयरन, विटामिन सी आदि भी पाए जाते हैं. जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते है. यहां जानते हैं सौंफ कैंसर के खतरा को कैसे कर सकता है कम ... 1.एस्ट्रोजन की अनुकरणीयतासौंफ में फाइतोएस्ट्रोजन होते हैं जो शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की तरह काम करता हैं. यह गुण स्तन कैंसर जैसे कैंसर से बचाव में सहायता करता है. सौंफ के इस गुण का सही तरीके से उपयोग करने पर कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, जैसे कि पीएमएस (पूर्व-मासिक धर्म सिंड्रोम) के लक्षणों में सुधार. 2.एंटी-इन्फ्लैमेटरी गुणसौंफ में एंटी-इन्फ्लैमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन और जलन को कम कर सकते हैं. यह शरीर में सूजन जैसी स्थितियों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो कैंसर का जोखिम बढ़ा सकती है. 3.एंटीऑक्सीडेंट सौंफ एक प्राकृतिक मसाला है जो अपने स्वाद और सेहत संबंधित लाभ के लिए प्रसिद्ध है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो मुक्त रैडिकल्स को नष्ट करने में मदद करते हैं. मुक्त रैडिकल्स शरीर के कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं. सौंफ के एंटीऑक्सीडेंट गुण इसे एक स्वास्थ्यवर्धक आहार में शामिल करने का कारण बनते हैं, जो शरीर को संरक्षण प्रदान करता है और बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है. मुक्त रैडिकल्स से उत्पन्न होने वाले क्षति को रोकना शरीर में कैंसर का जोखिम कम कर सकता है. 4.पीरियड्स क्रैम्प्स से राहत सौंफ के बीजों को पीरियड्स क्रैम्प्स से राहत दिलाने में मदद करने के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. उनमें यौग...
Health Tips: इंची टेप से मापना और ब्रा खरीदने के बारे में सोचना आसान लग सकता है, लेकिन सही ब्रा साइज के लिए आपको सिर्फ माप के अलावा और भी बहुत कुछ देखने की जरूरत है. स्तन का आकार जानने के साथ-साथ उसके आकार और आराम पर विचार करना भी जरूरी है.दूसरी ओर, कई महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो इस बात से अनजान होकर गलत ब्रेसेस पहन लेती हैं. टाइट ब्रा उसके शरीर पर अच्छी लगती है. ऐसे नापें छातीइंची टेप लेकर दर्पण के सामने खड़े हो जाएं.अब इंच टेप से बस्ट के निचले हिस्से को मापें जहां आप ब्रा बैंड बांधते हैं. यदि कोई संख्या 2 से विभाज्य नहीं है, तो उसे एक संख्या बढ़ाकर पूर्णांकित करें, अर्थात यदि आकार 31 है तो उसे 32 कर दें.आपके बैंड का साइज 32 माना जाएगा.अब कप साइज जानने के लिए इसी तरह बस्ट साइज को मापें. मान लीजिए कि आपके बस्ट का आकार 36 है. तो अब बस्ट साइज से बैंड साइज घटा दें.जैसे 36-32=4 D में 4 अंकों का मतलब A, B, C, D है इसलिए आपकी ब्रा का साइज़ 32D होगा जैसा कि पहले बताया गया है, ब्रा खरीदते समय सही ब्रा खरीदने के लिए साइज़ के अलावा कई बातों पर विचार करना होता है. तो निम्नलिखित बातें बताई गई हैं जिनका आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए. ब्रा में सबसे मजबूत बैंड का होना जरूरी है क्योंकि ब्रा को 90 प्रतिशत तक सपोर्ट बैंड से ही मिलता है. ब्रा पहनने का प्रयास करें और ब्रा के स्ट्रैप को अपने कंधों से उतारकर हल्के से चलने का प्रयास करेंहमेशा अच्छी क्वालिटी की ब्रा खरीदें...
Bra Strap Syndrome: ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम को कॉस्टोक्लेविकुलर सिंड्रोम भी कहा जाता है. यह एक ऐसी स्थिति है जो वक्षीय आउटलेट, नसों, रक्त वाहिकाओं या दोनों की सूजन हो जाती है. वक्ष आउटलेट कॉलरबोन (हंसली) और पहली पसली के बीच का स्थान है. ब्रा के कारण ऐसा आमतौर पर तब होता है जब ब्रा की पट्टियां बहुत पतली होती हैं और आपके कंधों पर दबाव डालती हैं. इससे गर्दन, कंधे, पीठ के ऊपरी हिस्से और बांहों में दर्द होता है. मोटापे, भारी स्तनों वाली, मध्यम आयु वर्ग या अधिक उम्र की महिलाओं में जोखिम अधिक होता है. यदि आपकी ब्रा की पट्टियां पतली या तंग हैं और आपके स्तन भारी हैं, तो पट्टियां आपके कंधों के आसपास के नरम ऊतकों को काट सकती हैं और आपके कॉलरबोन पर सीधा दबाव डाल सकती हैं. गलत ब्रा, टाइट, छोटी ब्रा और पतली स्ट्रैप वाली एक्स्ट्रा टाइट ब्रा न सिर्फ आकार बिगाड़ सकती हैं बल्कि कई शारीरिक समस्याओं का कारण भी बन सकती हैं. ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम वाले लोगों को अक्सर गर्दन या कंधे के क्षेत्र में दर्द का अनुभव होता है. कभी-कभी अकड़न भी महसूस होती है.शारीरिक गतिविधि या व्यायाम के बाद यह दर्द बढ़ जाता है. खासकर भारी सामान उठाने के बाद. रिपोर्ट के अनुसार, आराम करने और भरपूर नींद लेने से लक्षणों से राहत मिल सकती है.हालाँकि, यह अस्थायी हो सकता है. यदि आप ऐसे किसी पुराने दर्द का अनुभव कर रहे हैं, तो उचित उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श लें. मरीजों को स्ट्रैपलेस ब्रा या चौड़ी पट्टियों वाली ब्रा पहनने की सलाह दी जाती है.शोल्डर पैड भी इसमें मदद कर सकते हैं.इसके अलावा ब्रा खरीदते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि उसकी पट्टियां ज्यादा टाइट न हों.
Parenting tips for Dad: हर इंसान हमेशा जवान रहना चाहता है, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, इसका असर शरीर पर पड़ने लगता है.अब अगर आप अपने पार्टनर के साथ बिस्तर पर पहले की तरह खुश नहीं हैं तो इसके लिए कई कारण हो सकते हैं. घर से बाहर की जिम्मेदारियां, बढ़ती संवादहीनता और अस्वस्थ जीवनशैली इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. लेकिन निराश न हों, क्योंकि समस्याओं के भीतर ही समाधान छिपा है. बहुत से लोग पिता बनना चाहते हैं लेकिन शारीरिक कमजोरी के कारण उनका यह सपना अधूरा रह जाता है.आज हम आपको कुछ टिप्स बताएंगे जिससे आप स्वस्थ जीवन जी सकते हैं. पिता बनने का सपना पूरा करने के लिए अपनाएं ये टिप्स पत्नी के साथ बिताएं समय-अगर आप पिता बनने का सपना देख रहे हैं तो आपको अपनी पत्नी के साथ समय बिताना चाहिए.अपनी पत्नी और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें. अपनी पत्नी के साथ अधिक समय बिताने से आपका उत्साह बढ़ता है और सही समय बिताने से बेहतर भविष्य बनता है. खाने में फल शामिल करें-अगर आप हमेशा जवान बने रहना चाहते हैं तो आपको अपने आहार में फलों का इस्तेमाल करना चाहिए. फल आपके शरीर को तरोताजा करते हैं. शरीर में ताजगी रहेगी तो आप अच्छे शारीरिक संबंधों का लाभ उठा पाएंगे. चॉकलेट जरूर खाएं-चॉकलेट जरूर खानी चाहिए क्योंकि चॉकलेट आपके मूड को बेहतर बनाती है जिससे रोमांस के प्रति आपका आकर्षण बढ़ेगा. फोरप्ले -पति-पत्नी को संबंध बनाने से पहले फोरप्ले करना चाहिए जिससे आपके बीच उत्तजेना बढ़ती है. फोरप्ले एक ऐसा शौक है जो आपको हमेशा जवान बनाए रखता है. नोट- लीविंग इंडिया न्यूज़ इस पोस्ट में दी गई जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. अगर आपको दिक्कत हो तो डॉक्टर से सलाह लें....
Health Tips : शराब पीना सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता लेकिन फिर भी कुछ लोग रोजाना शराब पीते हैं. हाल ही में हुई एक स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया है कि जो लोग रोजाना कम से कम एक ड्रिंक का भी सेवन करते हैं, उनका ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ता है. हाई ब्लड प्रेशर की समस्या का सामना उन युवकों को भी करना पड़ता है जिन्हें पहले से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं है. आपको बता दें कि साल 1997 से लेकर 2021 तक 7 इंटरनेशनल स्टडीज के डाटा में पाया गया कि जो लोग रोजाना सिर्फ एक गिलास शराब का सेवन करते हैं उनमें कभी-कभी शराब का सेवन करने वाले लोगों की तुलना में ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा काफी ज्यादा होता है. , हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण सामने आने तक वह शरीर को अंदर से काफी नुकसान पहुंचा चुका होता है. अगर बीपी कंट्रोल में नहीं रहता तो विकलांगता, खराब लाइफ क्वालिटी और यहां तक की दिल का दौरा या स्ट्रोक की समस्या भी आ सकती है. डाटा ने उड़ाए एक्सपर्ट के होश रिसर्च से जुड़े एक सीनियर एक्सपर्ट ने कहा कि हमें यह जानकर काफी हैरानी हुई कि बहुत कम मात्रा में शराब पीने वाले युवकों में ब्लड प्रेशर का लेवल ज्यादा था. हालांकि इन लोगों का ब्लड प्रेशर बहुत अधिक मात्रा में शराब पीने वाले लोगों की तुलना में काफी कम था. ब्लड प्रेशर को मरकरी के मिलीमीटर (mm Hg) की दो संख्याओं में मापा जाता है. ऊपर वाले नंबर को (सिस्टोलिक) कहा जाता है, जो दिल की मांसपेशियों के सिकुड़ने और ब्लड पंप को मापता है. वहीं, नीचे वाले नंबर को डायस्टोलिक कहा जाता है जो हार्ट बीट के बीच में दबाव को मापता है.स्टडी में पाया गया कि सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर पर शराब का नकारात्मक उन पुरुषों और महिलाओं पर भी पड़ रहा है जो हर दिन बेहद की कम मात्रा में शराब का सेवन करते हैं. नॉर्मल ब्लड प्रेशर नॉर्मल सिस्टोलिक रीडिंग आम तौर पर 120 mm Hg या उससे कम होती है लेकिन उम्र के साथ रक्त वाहिकाएं कमजोर और पतली होने के कारण यह रीडिंग बढ़ जाती है. वहीं, नॉर्मल डायस्टोलिक रीडिंग 80 mm Hg से नीचे होती है, लेकिन उम्र के साथ इसमें कमी आने लगती है क्योंकि धमनियां अपनी लचीलापन खो देती हैं और कठोर हो जाती हैं. हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को साइलेंट किलर के रूप में जाना जाता है. शरीर में ब्लड प्रेशर का लेवल बढ़ने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक, क्रॉनिक किडनी डिजीज समेत कई बीमारियों का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है....
Menstrual Cup: पीरियड के दौरान महिलाएं सेनिटरी पैड का इस्तेमाल ज्यादा करती हैं क्योंकि ये महिलाओं को काफी कंफर्टेबल लगता है. महिलाओं की जरूरत के मुताबिक ये मार्केट में अलग-अलग वैरायटी में मौजूद होता है. हालांकि सेनेटरी पैड को वजाइनल हेल्थ के लिए फायदेमंद नहीं माना जाता है. वहीं एक रिसर्च में खुलासा हुआ है की पीरियड में अगर महिलाएं मेंस्ट्रूअल कप का इस्तेमाल करें तो ये वजाइनल हेल्थ के लिए फायदेमंद हो सकता है.आइए जानते हैं इस बारे में मेंस्ट्रूअल कप के इस्तेमाल के फायदे मेंस्ट्रूअल कप के इस्तेमाल से कम होता है इंफेक्शन- स्टडीपीरियड्स हाइजीन उत्पादों में मेंस्ट्रूअल कप एक एडवांस और इस्तेमाल में आसान तरीका है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक मेंस्ट्रूअल कप का इस्तेमाल करना महिलाओं में इंफेक्शन के खतरे को कम करने के साथ ही वजाइनल हेल्थ को भी अच्छा रखने में मदद करता है.एक्सपर्ट्स द्वारा किए गए एक सर्वे में महिलाओं को इस्तेमाल के लिए मेंस्ट्रूअल कप दिए गए. जिसमें पाया गया कि इन्हें इस्तेमाल करने वाली ज्यादातर लड़कियों में इंफेक्शन होने का खतरा काफी कम है.वहीं सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज का भी खतरा काफी कम पाया गया. ये स्टडी पीएलओएस मेडिसिन में प्रकाशित हुई है.रिसर्चर्स का मानना है कि ये रिजल्ट महिलाओं के हेल्थ के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. मेंस्ट्रूअल कप के फायदे?1.पीरियड के दौरान हेवी ब्लड फ्लो से बचने के लिए आपको मेंस्ट्रूअल कप का इस्तेमाल करना चाहिए, यह ब्लड होल्ड करने में मदद करता है. 2.पीरियड्स के दौरान पैड पहनने पर भी लीकेज का डर बना रहता है. इसके लिए मेंस्ट्रूअल कप लगाने से आपको मदद मिल सकती है.3. मेंस्ट्रूअल कप लगाने से इंफेक्शन का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है. 4.इंफेक्शन के खतरे को कम करने के लिए हर 6 घंटे में पैड बदलने की सलाह दी जाती है. ऐसे में मेंस्ट्रूअल कप आपके लिए फायदेमंद हो सकता है.
Dengue Fever: मॉनसून का मौसम शुरू होते ही मच्छरों का पनपनाना भी शुरू हो जाता है जिस वजह से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. बरसात के मौसम में जमा पानी के कारण डेंगू के मामले भी बढ़ जाते हैं जो मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन जाता है. डेंगू वायरस संक्रमित एडीज मच्छरों के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. यह दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है, जिनसे बच्चे भी असुरक्षित हैं. डेंगू से कैसे सुरक्षित रहा जा सकता है इस बारे में जान लीजिए. 1. डेंगू के लक्षणडेंगू में तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, दाने और थकान महसूस हो सकती है. कुछ मामलों में यह और भी अधिक गंभीर हो सकता है. जिसे डेंगू रक्तस्रावी बुखार (Dengue hemorrhagic fever) के रूप में जाना जाता है जिसमें जान तक जाने का खतरा रहता है. 2.कीट नाशकों का प्रयोग करेंखुली त्वचा पर मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाने से मच्छर के काटने की संभावना काफी कम हो सकती है. अगर आपके एरिया या घर में मच्छर अधिक हैं तो मच्छर से बचाने वाली क्रीम का उपयोग करें. ध्यान रखें कि उनमें DEET, पिकारिडिन, सिट्रोनेला और नींबू नीलगिरी का तेल जरूर शामिल 3. फुल स्लीव्स कपड़े पहनेंअपने बच्चों के साथ आप भी लंबी बाजू वाली शर्ट, लंबी पैंट, मोजे पहनें. वहीं हल्के रंग के कपड़े भी मच्छरों को रोकने में मदद मदद कर सकते हैं. 4.बाहरी जाने से बचेंशाम के समय जब मच्छर अधिक एक्टिव होते हैं तब बाहर या जिस एरिया में पानी भरा हुआ है उन क्षेत्रों में जाने से बचें. अगर जरूरत है तो फुल स्लीव्स कपड़े पहनकर और मच्छर से बचाने वाली क्रीम लगाकर ही जाएं. 5.खिड़की दरवाजे बंद करेंमच्छरों को घर में आने से रोकने के लिए खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें, साथ ही मच्छरदानी का उपयोग करें. ये मच्छर से बचाने के लिए सबसे अच्छा उपाय हो सकते हैं. इसके अलावा, घर के अंदर ठंडा वातावरण...
Fasting Tips:सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है. इस महीने में लोग सवन के खत्म होने तक हर सोमवार व्रत रखते हैं. इस बार सावन का महीना 59 दिन यानी दो महीने का होगा.ऐसे में जो लोग व्रत रखेंगे उन्हे अधिक दिनों तक फास्टिंग के दौरान कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है. ऐसे में उन लोगों को खाने में कुछ ऐसी चीजों को एड करना होगा जो एनर्जी के साथ-साथ उनकी बॉडी को हाइड्रेट भी रखे. तो आइए जानते हैं कि अगर आप सावन सोमवार के व्रत रख रहे हैं तो आपको किन बातों का ध्यान रखना जरुरी है . 1.फलों और ड्राईफ्रूट्स का करें सेवन व्रत में एनर्जेटिक रहने के लिए आपको पौष्टिक चीजों का सेवन करना चाहिए. फलों और ड्राई फ्रूट्स का सेवन करे.ड्राई फ्रूट्स भी हेल्दी फैट, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होते हैं. अपनी डाइट में सेब, केला, चीकू, अंगूर, नाशपाती आदि फलों को शामिल कर सकते हैं. व्रत में ड्राई फ्रूट्स खाने पेट भरा रहता है और कमजोरी भी महसूस नहीं होती. 2.व्रत के बाद न खाएं हैवी फूडव्रत खोलते समय भूलकर भी हैवी फूड्स का सेवन नही करना चाहिए. बल्कि, कई लोग व्रत के बाद तला और प्रोसेस्ड फूड भी ख लेते हैं जो कि गलत है.सावन के महीने में तले हुए खाद्य पदार्थ, प्रोसेस्ड स्नैक्स और अधिक चीनी या नमक वाले खाद्य पदार्थों से बचना बचना जरूरी है. 3.खुद को रखें हाइड्रेट व्रत के दौरान खुद को हाइड्रेट रखें. एक्सपर्ट के मुताबिक, नींबू पानी, लस्सी या फिर कोकोनट वॉटर से दिन की शुरुआत करे तकि शरीर में पानी की कमी होने की वजह से आपको कमजोरी, सिरदर्द, चक्कर या मतली जैसी समस्या न हो. 4.दोपहर में खाएं दहीदिन के समय में पेट को भरा रखने के लिए एक कटोरी दही के साथ फल का सेवन करें. दही प्रो-बॉयोटिक फूड है,जो शरीर की पाचन क्रिया सही रखने में मदद करता है. साथ ही शरीर में पानी की कमी भी नहीं होगी. 5.थोड़ा थोड़ा खाएंकई लोग व्रत के दौरान पूरे दिन भूखे रहते हैं और फिर शाम को एक ही बार में पेट भरकर खा लेते हैं . ऐसा करने से आपको दिनभर कमजोरी महसूस हो सकती है. साथ ही, गैस, एसिडिटी और ब्लोटिंग जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. व्रत में आपको दिन में एक बार हैवी मील खाने के बजाय 3-4 बार थोड़ा-थोड़ा खाना चाहिए. तकि आपको थकान या कमजोरी भी महसूस नहीं हो. ...
High-Protein Foods:प्रोटीन शरीर में विभिन्न कोशिकाओं की मरम्मत करता है और नई कोशिका बनाने में मदद करता है.इसके अलावा प्रोटीन की सही मात्रा वजन कम करने और मसल्स बनाने में भी मदद करती है. बात जब प्रोटीन पूरी करने की आती है तो सब चिकन-अंडे खाने की सलहा देते हैं लेकिन प्रोटीन की पूर्ति सिर्फ मांसाहारी खाने से नहीं होती शाकाहारी खाने में भी बहुत सारे विकल्प हैं. जो लोग शाकाहारी / वेजिटेरियन हैं, उन लोगों के पास प्रोटीन प्राप्त करने के काफी कम सोर्स होते हैं. इसलिए आगे हम शाकाहारी प्रोटीन फूड के बारे में बता रहे हैं, जिनका सेवन कोई भी कर सकता है. 1.दालें (Lentils)दालें प्रोटीन का काफी अच्छा सोर्स होती हैं. दालों में प्रोटीन सबसे मात्रा में पाया जाता है. आधा कप पीली या हरी दाल में लगभग 8-9 ग्राम प्रोटीन मिल जाता है. प्रोटीन के लिए मूंग, अरहर और चने की दाल का सेवन कर सकते हैं. 2.चने (Chickpeas)पके हुए चने या छोले प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जिनके आधा कप में लगभग 7.25 ग्राम प्रोटीन होता है. छोले को रोटी या चावल के साथ आसानी से खाया जा सकता है, जो काफी स्वादिष्ट भी लगते हैं. चने या छोले का सेवन निश्चित मात्रा में ही करें, क्योंकि इनमें कैलोरी अधिक होती है. 3.नट्स (Nuts)नट्स पौधे-आधारित प्रोटीन, हेल्थी फैट, फाइबर और पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत हैं जिनमें कम मात्रा में कार्ब्स होते हैं. एक नट्स में लगभग 6 ग्राम प्रोटीन होता है. जिसका मतलब है कि 1.5 औंज बराबर 10 ग्राम प्रोटीन होता है. बादाम प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है. 4.सोयाबीन (Soyabean)सोयाबीन का सेवन आप दाल, आटा, बड़ी और दूध इत्यादि रूपों में कर सकते हैं। यह प्रोटीन का प्राकृतिक सोर्स है. सप्ताह में 2 से 3 बार अलग-अलग रूपों में इसका सेवन किया जा सकता है. 5.टोफू (Tofu) टोफू पनीर की तरह ही होता है. इसे सोयाबीन से बनाया जाता है. इसलिए इसे सोया पनीर भी कहा जाता है. . कुछ लोग पनीर की जगह टोफू का भी सेवन करते हैं.100 टोफू से लगभग 10-12 ग्राम प्...
How To Teach Girls About Hygiene: हेल्दी रहने के लिए पर्सनल हाइजीन बेहद जरूरी है. पर्सनल हाइजीन से जुड़ी आदतों को अपनाना अपने अच्छे स्वास्थ्य और अन्य लोगों को बीमारियों से बचाने का सबसे प्रभावी तरीका है.इसमें सिर्फ हाथ धोना ही नहीं बल्कि पूरे शरीर की साफ-सफाई जरूरी है.इसलिए माता-पिता की एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वो शुरुआत से ही अपने बच्चों को पर्सनल हाइजीन के बारे में समझाएं. उन्हें यह बताएं कि यह कितना जरूरी है. वैसे तो सभी के लिए पर्सनल हाइजीन जरूरी है लेकिन आज हम यहां बात कर रहे टीनएज गर्ल्स के हाइजीन की. माहवारी की शुरुआती समस्याओं से जूझ रही बेटी से कैसे बात करें और उसे बताएं कि पीरियड के दौरान हाइजीन कैसे मेंटेन करना है, वेजाइनल एरिया को कैसे क्लीन रखना है,...
Monsoon Tips:उत्तर भारत के कई हिस्सों में मॉनसून ने दस्तक दे दी है. मॉनसून में जहां एक ओर गर्मी से राहत मिलती है वहीं, दूसरी ओर यह मौसम अपने साथ डेंगू, मलेरिय जैसी कई बीमारियां भी लेकर आता है.बारिश में बीमारी और इंफेक्शन बहुत तेजी से फैलते हैं. इस मौसम में जरूरी है कि आप सेहत के प्रति कोई लापरवाही ना बरतें और सावधान रहें.आपकी लापरवाही आपको बीमार कर सकती है.बारिश में बीमारी और इंफेक्शन बहुत तेजी से फैलते हैं. बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा संक्रमण बाहर के खाने से ही फैलता है. इसलिए अगर आपको स्वस्थ रहना है तो इन बातों का ख्याल रखें. मॉनसून में इन टिप्स को करें फॉलोएक्सपर्ट की सलाह है कि इस मौसम में लोगों को हमेशा पानी उबालकर ही पीना चाहिए. ऐसा करने से पानी में मौजूद बैक्टीरिया और रोगाणु नष्ट हो जाते हैं. इसके अलावा रोजाना सुबह गुनगुने पानी में नींबू डालकर पीने से शरीर से हानिकारक विषाणु शरीर से बाहर आते हैं. 1. कम खाएं नमक- मॉनसून के वक्त हमें खाने में नमक कम या स्वादानुसार ही रखना चाहिए. शरीर में नमक सोडियम की मात्रा को बढ़ाने का काम करता है, जो आगे चलकर ब्लड प्रेशर का कारण भी बन सकता है. हाइपरटेंशन, कार्डियोवस्क्यूलर डिसीज और डायबिटीज के रोगियों को भी खाने में नमक हिसाब से लेना चाहिए 2.सीजनल फलों का करें सेवन- इस मौसम में सिर्फ सीजनल फलों का ही सेवन करना चाहिए. बारिश के मौसम में आप जामुन, पपीता, बेर, सेब, अनार, आड़ू और नाशपाती जैसे फलों को खा सकते हैं. इन फलों से मिलने वाला न्यूट्रीशन शरीर को इंफेक्शन, एलर्जी और सामान्य रोगों से दूर रखता है. 3. पानी उबाल कर पीएं- बारिश में पानी में कई तरह के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं इसलिए कोशिश करें कि पानी को उबालने के बाद ही पीएं. पानी को उबालने पर सभी तरह के बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं. उबला हुआ पानी पीने से डिहाइड्रेशन और डायरिया जैसी बीमारियां नहीं होती है. 4. स्ट्रीट फूड से बचें- बारिश के मौसम में स्ट्रीट फूड खाने का काफी मन करता है लेकिन अगर आपको सेहत प्यारी है तो बाहर के खाने से बचना चाहिए. स्ट्रीट फूड को बनाते वक्त हाइजीन का उतना ध्यान नहीं रखा जाता. ऐसे में कई बार रखा हुआ या तला भुना खाने से पेट में दिक्कत हो सकती है. 5. इम्यूनिटी बढाएं- बारिश के मौसम में आपको अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने वाली चीजें खानी चाहिए. जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वो इस मौसम में जल्दी बीमार पड़ते हैं. इसलिए आपको अपने इम्यून सिस्टम को स्ट्रोंग बनाने का काम करना चाहिए. आपको खाने में मेवा, मक्का, जौ, गेहूं, बेसन जैसे अनाज शामिल करने चाहिए. . ...
Summer Diet: गर्मियों में हेल्दी रहने के लिए डाइट में बदलाव बहुत जरूरी है क्योंकि गर्मियों का मौसम हर किसी के लिए काफी कठिन होता है. धूप. उमस. गर्मी, लू के कारण लोगों को कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ता हैं. इस मौसम में सही खानपान के साथ-साथ सीजनल फलों और सब्जियों को भी खाना चाहिए ताकि शरीर को जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिल सके.अगर बात फलों की करें तो गर्मी के मौसम में कई ऐसे फल मिलते हैं जो सेहत के लिए अच्छे होते हैं. पेट को ठंडक पहुंचाने से लेकर शरीर को हाइड्रेट रखने तक, इन फलों के कई फायदे हैं. आइए जानते हैं उन फलों के बारे में: गर्मियों में जरूर खाएं ये फल1.अनानास: आप अपनी डाइट में विटामिन सी युक्त अनानास को शामिल कर सकते हैं. इसके सेवन से आपको कई सारे स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं. इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद मिलती है. वही इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है जो वजन घटाने में भी मदद करती है. 2.कीवी: गर्मी के मौसम में कीवी को भी आपको अपने डाइट का हिस्सा बनाना चाहिए. इसमें प्रोटीन विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा होती है जो इम्यूनिटी बूस्ट कर आपको मौसमी बिमारियों से बचा सकती हैं. वहीं ये ब्लड प्रेशर को भी संतुलित करने में उपयोगी है. इससे पाचन तंत्र भी मजबूत होता है. 3.पपीता:गर्मियों में पाचन से जुड़ी समस्या होती रहती है ऐसे में आप पपीते को अपने डाइट का हिस्सा बना सकते हैं. ये पाचन के लिए सबसे फायदेमंद माना गया है. पपीते में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो आपको पेट से संबंधित बीमारियों से बचाती है. 4.आप अपनी डाइट में रसीली लीची भी शामिल कर सकते हैं. यह गर्मी में तापमान नियंत्रित रखने में मदद करती है. साथ ही आपको पोषण भी देती है. 5.स्ट्रॉबेरी:आप स्ट्रॉबेरी को भी अपने समर डाइट में शामिल कर सकते हैं. दरअसल स्ट्रॉबेरी में विटामिन बी और सी की मात्रा होती है जो शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है. साथ ही शरीर में ऊर्जा का स्तर भी बनाए रखता है. 6.अंगूर:अंगूर में कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, विटामिन के साथ-साथ और भी कई जरूरी मिंरल्स पाए जाते हैं .ये शरीर में पानी की कमी को पूरा करके शरीर को ठंडा रखते है. ये ऊर्जा का भी एक बेहतरीन स्रोत है ऐसे मैं आप अंगूर को अपनी डाइट मैं शामिल कर सकते हैं. ...
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