Blood Sugar Remedies: डायबिटीज का कोई परमानेंट इलाज नहीं है. खानपान और लाइफस्टाइल की मदद से इसे जिंदगीभर कंट्रोल करना पड़ता है. सिर्फ दवाईयों और सही डाइट से ही डायबिटीज को कंट्रोल में रखा जा सकता है. इसीलिए डायबिटीज के मरीजों को डाइट दुरुस्त रखने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा कुछ नेचुरल तरीकों से भी हाई ब्लड शुगर लेवल (High Blood Sugar) को कंट्रोल किया जा सकता है. कुछ नेचुरल उपाय इतने कारगर होते हैं कि नियमित तौर पर इस्तेमाल करने से ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रहता है. आज हम ऐसे ही एक पत्ते के बारें में बताने जा रहे हैं, जिसे हर रोज चबाने से डायबिटीज में आराम मिल सकता है.डायबिटीज का रामबाण इलाज पूर्वी एशिया और अन्य देशों में अमरूद के पत्तों के रस का इस्तेमाल डायबिटीज के उपचार के लिए किया जाता है.अमरूद के पत्तों का इसके औषधीय गुणों की वजह से कई देशों में औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है.इन पत्तों (Guava Leaf Benefits) के सेवन से ब्लड शुगर लेवल तेजी से कंट्रोल में आ सकता है. रात को सोने से ठीक पहले अमरूद का पत्ता चबाने से ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रह सकता है. वैसे तो इस पत्ते को किसी भी समय चबा सकते हैं लेकिन रात में इसका फायदा ज्यादा मिलता है. ऐसा इसलिए क्योंकि रात में खाने के बाद यह पेट में पूरी रात काम करता है औऱ सुबह हाई ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करके रखता है. ऐसे लोग जिन्हें खाली पेट ब्लड शुगर बढ़ने की समस्या है, उनके लिए यह फायदेमंद हो सकता है. कैसे करें सेवन ?जब भी अमरूद के पत्तों को चबाएं तो ध्यान रखें कि ये पूरी तरह पके या बड़े आकार वाले न हो. कच्चे और छोटे पत्ते ज्यादा अच्छे माने जाते हैं. अमरूद के तीन-चार पत्ते लेकर उन्हें साफ पानी से अच्छी तरह साफकर एक-एक पत्ते चबाएं. इससे निकलने वाला रस अंदर लें और बाद में बाकी हिस्सा थूक दें. डाक्टर की सलहा से करें सेवनध्यान रखें कि डायबिटीज जैसी क्रोनिक बीमारियों से निपटने के लिए डॉक्टर की बताई दवाईयों का सही समय पर सेवन करते रहें. इसके अलावा खानपान का भी विशेष ध्यान दें. अमरूद के पत्तों का सेवन करना चाहते हैं तो उससे पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. अमरूद के पत्ते के फायदेअमरूद के हरे पत्ते न सिर्फ ब्लड शुगर कंट्रोल करने में सहायक हैं बल्कि इनके नियमित इस्तेमाल से आपको दस्त रोकने, कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने, वजन कम करने, कैंसर से लड़ने, आंखो...
Benefits of chia seeds: हेल्दी फूड्स की बात की जाए और चिया सीड्स का नाम ना लिया जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. चिया सीड्स हेल्थ के लिए काफी लाभदायक होते है. दिखने में छोटे-छोटे चिया सीड्स में कई बड़े-बड़े गुण होते हैं. चिया के बीज एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो शरीर में फ्री रैडिकल्स से होने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचाने का काम करते हैं. इसके साथ ही चिया सीड्स वेट लॉस में काफी असरदार होता है और डाइजेस्टिव सिस्टम को बेहतर कर ये पेट को स्वस्थ और दुरुस्त बनाता है.इस बीज को अपनी डाइट में शामिल करने पर कई बीमारियों से बचने के साथ ही शरीर को स्वस्थ भी रखा जा सकता है. आइए जानते हैं चिया सीड्स के कुछ सेहतमंद फायदे वजन कम करने में सहायकचिया बीज में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो खाने के बाद आपको संतुष्ट महसूस करने में मदद कर सकता है. इससे कम कैलोरी खाना और वजन कम करना आसान हो सकता है. हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदचिया सीड्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं. ये खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और हृदय से संबंधित समस्याओं को प्रबंधन करने में मदद करते हैं. रक्त शर्करा स्तर में सुधारचिया सीड्स में फाइबर मौजूद होता है. अध्ययन के अनुसार फाइबर इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करता है इसके साथ ही रक्त शर्करा में सुधार करता है. इसके अलावा चिया सीड्स मेटाबोलिक सिंड्रोम और टाइप 2 डायबिटीज होने के खतरे को कम करता है. डायबिटीज के प्रबंधन में सहायकचिया सीड्स का सेवन ब्लड सुगर को कम करने में मदद कर सकता है. इसमें मौजूद फाइबर और प्रोटीन डायबिटीज के प्रबंधन में मदद करते हैं और रक्त शर्करा की स्तिथि को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. कैल्शियम का स्रोतचिया सीड्स में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूती प्रदान कर सकती है और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डी संबंधित समस्याओं को प्रबंधन करने में मदद कर सकती है.
Green Tea vs Black Coffee Benefits: सुबह सोकर उठते ही चाय पीना किसे पसंद नहीं.लोग सुबह उठते ही चाय की चुस्की लिए बिना फ्रेश फील नहीं करते हैं. छ लोग तो एक दिन में 3-4 कप दूध वाली चाय पी जाते हैं, लेकिन सेहत के लिए दूध वाली चाय से कहीं बेहतर है हर्बल टी. हालांकि, हेल्थ कॉन्शस लोग अब दूध वाली चाय की जगह ग्रीन टी, ब्लैक कॉफ़ी को अधिक तवज्जो देने लगे हैं. ग्रीन टी (Green Tea) और ब्लैक कॉफ़ी (Black Coffee) दोनों हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होती है. 2013 में प्रकाशित एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया गया है कि जिसमें हरी चाय और काली कॉफी के प्रभावों के बीच सीधी तुलना की गई है.तो चलिए जानते है कि स्वास्थ्य लाभ के मामले में किसका पलड़ा भारी रहता है? ग्रीन टी के फायदे- ग्रीन टी की पत्तियां फर्मेंटेड नहीं होती हैं और ना ही ये ऑक्सिडेशन प्रॉसेस म...
Sabudana Ki Khichdi Recipes: 15 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है. नवरात्रि के पूरे 9 दिन मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. इन दिनों में लोग पूरे विधि विधान से मां की आराधना करते हैं और व्रत रखते हैं. व्रत में साबुदाना काफी शौक से खाया जाता है और लोग साबुदाने की खिचड़ी बहुत खाते हैं. तो अगर आप भी नवरात्रि का व्रत रखते हैं और एक ही तरह की साबूदाने की खिचड़ी फलाहार में खाकर बोर हो गए हैं तो यह खबर आपके लिए है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं साबूदाने की खिचड़ी बनाने की बहुत ही आसान और डिफरेंट रेसिपी. इस रेसिपी से साबूदाने की खिचड़ी बनाएंगे तो न सिर्फ स्वादिष्ट बल्कि की बहुत ही हेल्दी बनेगी. तो चलिए जानते हैं साबूदाने की खिली खिली खिचड़ी बनाने की रेसिपी. साबूदाना खिचड़ी बनाने के इंग्रेडिएंट्स - 1 कप साबूदाना- ¾ कप पानी- ½ कप मूंगफली- 1 चम्मच चीनी- स्वादानुसार सेंधा नमक- 2 बड़े चम्मच घी- 1 चम्मच जीरा- कुछ करी पत्ते- 1 इंच अदरक (बारीक कटा हुआ)- 2 हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)- 1 आलू (उबला हुआ और टुकड़ों में कटा हुआ)- ½ नींबू- 2 बड़े चम्मच धनिया (बारीक कटा हुआ) साबूदाने की खिचड़ी बनाने का तरीका 1. सबसे पहले साबूदाना को भिगोने के लिए 1 कप साबूदाना को एक कटोरे में लें और पानी से धो लें और 3/4 कप पानी डालकर 6 घंटे के लिए रख दें.2. एक भारी तले की कढ़ाई में ½ कप मूंगफली को धीमी आंच पर भून लीजिए जब तक कि मूंगफली कुरकुरी न हो जाए. 3. ठंडा होने पर इसे मिक्सर जार में डाल दीजिए, मूंगफली का दरदरा पाउडर बना लीजिए और भीगे हुए साबूदाने में मूंगफली पाउडर डाल दीजिए.4. अब एक छोटा चम्मच चीनी और ¾ छोटा चम्मच सेंधा नमक डालकर एक तरफ रख दें.5. अब एक बड़ी कढ़ाई में घी गर्म करें, उसमें जीरा और कुछ करी पत्ते डालें, 1 इंच अदरक, हरी मिर्च और आलू डालकर हल्का सुनहरा भूरा होने तक भूनें.6. साबूदाना मूंगफली का मिश्रण डालें और धीरे से मिलाएं, सुनिश्चित करें कि मिश्रण को पैन पर रखकर तब तक पकाएं जब तक कि साबूदाना ट्रांसपेरेंट न हो जाए. ½ 7. नींबू और 2 टेबल...
Mental Health Benefits of Running : भारत में डिप्रेशन एक बड़ी समस्या बन गया है.डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो हमारे मन को प्रभावित करती है. इससे उदासी, निराशा, थकान और चिंता जैसे लक्षण दिखते हैं. डिप्रेशन इतना खतरनाक है कि कई बार तो लोग आत्महत्या भी कर लेते हैं. भारत की आबादी का लगभग 14% डिप्रेशन से पीड़ित है. यह दर्शाता है कि हर 7 में से लगभग 1 भारतीय व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है. भारत में डिप्रेशन इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि लोग इसके बारे में जागरूक नहीं हैं. लोग इसे एक सामान्य नहीं समस्या समझते हैं और न ही समय रहते इलाज कराते हैं.आज दुनियाभर में वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जा रहा है. हम सभी को मिलकर डिप्रेशन के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी ताकि लोग सही समय पर इलाज करा सकें और इस बीमारी से बच सकें. जानें दौड़ने से कैसे दूर होता है डिप्रेशन 1. हैप्पी हॉर्मोन का निर्माण प्रतिदिन दौड़ने से शरीर में हैप्पी हॉर्मोन जैसे सेरोटोनिन और डोपामाइन का निर्माण होता है.इससे हमारा मूड अच्छा हो जाता है और तनाव भी कम होता है.हम दौड़ते हैं तो हमारे शरीर में एंडोर्फिन्स नामक हार्मोन बनता है. यह हमें खुश और पॉजिटिव महसूस कराता है. 2. नकारत्मक ख्याल दूर होते हैं दौड़ने से शरीर में बनने वाले अन्य हॉर्मोन जैसे कोर्टिसोल और ग्लूटोमटे मस्तिष्क में उत्पन होने वाले नकारत्मक ख्यालों को बाहर निकालने में मदद करता है. इसलिए प्रतिदिन दौड़ने से मन अच्छा होता है. 3. बेहतर नींद तनाव और अवसाद के कारण कई बार अच्छी नींद नहीं आती है. प्रतिदिन दौड़ लगाने से मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद भी पूरी होती है. 4. कम वजन नियमित रूप से दौड़ने से वज़न कम होता है. जिस से पर्सनालिटी बेहतर होती है और आत्मविश्वास बढ़ेता है.अच्छा दिखने से नकारत्मक विचार कम होते हैं और अवसाद से छुटकारा मिलता है. डिप्रेशन के लक्षण - लगातार 2 सप्ताह से अधिक समय तक उदास या निराश महसूस करना.- रोज के कामों में रुचि का ना होना.- सोने की समस्याएं - नींद ना आना या फिर ज्यादा नींद आना.- थकान महसूस होना और ऊर्जा का ...
Dark Chocolate Benefits: आज की ज्यादातर यंग लोगों को डार्क चॉकलेट (dark chocolate) काफी पसंद होती है. डार्क चॉकलेट आयरन, मैग्नीशियम और जिंक जैसे खनिजों से भरपूर होती है. अब आप अपनी पसंदीदा डार्क चॉकलेट का लुत्फ उठा सकते हैं और इसके साथ ही अपने स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रख सकते हैं. क्योंकि नई रिसर्च से पता चला है कि डार्क चॉकलेट न सिर्फ आपके दिल को स्वस्थ रखने में मदद करती है, बल्कि यह आपके दिमाग को भी तेज और निरोगी बनाए रखने में कारगर है.इसलिए, अगर आप अपने दिल और दिमाग का ख्याल रखना चाहते हैं तो डार्क चॉकलेट आपको खाना चाहिए. आइए जानते हैं कि आपको कितनी चॉकलेट खानी चाहिए. दिल की बीमारीनियमित रूप से डार्क चॉकलेट खाने से किसी व्यक्ति में दिल की बीमारी विकसित होने की संभावना कम हो सकती है. डार्क चॉकलेट में कुछ कंपाउंड (विशेष रूप से फ्लेवनॉल्स) दिल की बीमारी के लिए दो प्रमुख जोखिम फैक्टर (हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल) को प्रभावित करते हैं. डिप्रेशन का इलाजडार्क चॉकलेट के खाने से जुड़े आनंद के अलावा, ये डिप्रेशन के खतरे को कम करने से भी मदद कर सकता है. वेट लॉससीमित मात्रा में डार्क चॉकलेट खाने से वजन घटाने की प्रक्रिया में मदद मिल सकती है. डायबिटीज का इलाजडार्क चॉकलेट में पॉलीफेनोल होता है, जो एक नेचुरल रूप से पाया जाने वाला कंपाउंड है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार करते हैं. इससे डायबिटीज को कंट्रोल में किया जा सकता है. कितनी डार्क चॉकलेट खानी चाहिए?कई अध्ययनों के अनुसार, आम तौर पर प्रति दिन 20-30 ग्राम डार्क चॉकलेट का उपयोग किया जाना चाहिए. कोको के ज्यादा प्रतिशत वाले डार्क चॉकलेट में आमतौर पर चीनी कम लेकिन फैट अधिक होती है. अधिक कोको का मतलब अधिक फ्लेवनॉल्स भी होता है, इसलिए 70 प्रतिशत से ज्यादा कोको वाली डार्क चॉकलेट चुनना सबसे अच्छा है.
Navratri Pulao Recipe: नवरात्रि के 9 दिन कई लोग माता रानी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं.ज्यादातर लोग इन दिनों में सिर्फ़ फलाहार खाते हैं, लेकिन इसके बावजूद यह एक सामान्य खाना हो जाता है. जैसे कि कुट्टू की पूरी, परांठा या साबूदाने की खिचड़ी आदि. आज हम आपके लिए कुछ अलग और स्वादिष्ट व्रत की रेसिपी लेकर आए हैं - फलाहारी पुलाव. इसे बनाना बेहद आसान है और यह आपको दिनभर ऊर्जावान और संतुलित महसूस करने में मदद करेगा और स्वादिष्टता भी नहीं छोड़ेगा. तो आइए हम आपको फलाहारी पुलाव की रेसिपी बताते हैं. फलाहारी पुलाव बनाने की सामग्रीसमा चावल- एक कप मूंगफली- एक चौथाई कपआलू- 2जीरा- एक छोटा चम्मचघी- दो चम्मच हरी मिर्च- 4 हरी धनिया- बारीक कटी हुईपानी- 2 कपसेंधा नमक- स्वादानुसार इस तरह बनाएं फलाहारी पुलाव1. सबसे पहले आलू को धोकर उबाल लीजिये. फिर समा के चावल को धोकर पानी में भिगो लें. 2. करीब 15 से 20 मिनट बाद चावल का पानी निकाल दें और उसे कुछ देर तक ढककर रख दें. 3. आलू उबल जाएं तो उसका छिलका निकाल लें और बारीक कटी हुई हरी मिर्च डाल दें.4. अब मीडियम फ्लेम पर गैस ऑन करके कढ़ाई चढ़ा दें. 5. इस कढ़ाई में घी डालकर गर्म करें. जब घी गर्म हो जाए तो मूंगफली को फ्राई कर के निकाल लें.6. अब घी में जीरा डाल दें और उसे चटकने दें.7.अगले स्टेप में आलू डाल लें और हल्का सा नमक डालकर मिला दें. करीब 3 से 4 मिनट तक आलू को भून लें.8. इसके बाद इसमें समा के चावल डाल दें और दोनों चीजों को अच्छी तरह से मिक्स कर के करीब तीन मिनट तक भूनें. 9 अब इसमें पानी डालकर स्वाद के हिसाब से नमक और मूंगफली के दाने डालें औ...
Side effects Of Rice: चावल भारतीय भोजन में सबसे महत्वपूर्ण अनाजों में से एक है. भारत में ऐसे कई लोग है जो हर दिन लंच या डिनर में कम से कम एक बार चावल खाए बिना नहीं रह सकते. चावल स्वास्थ्य को लाभ देता है, लेकिन अधिक मात्रा में चावल के खाने से कुछ नुकसान भी होता है. चावल में स्वाभाविक रूप से आर्सेनिक नामक जहरीला तत्व पाया जाता है जो गुर्दे और लीवर को नुकसान पहुंचाता है. इसके अलावा, चावल में उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने से ब्लड शुगर बढ़ जाता है. चावल में मौजूद फाइटेट्स और प्यूरीन भी शरीर को नुकसान पहुंचाता है. इसलिए, डायबिटीज, मोटापा और गठिया जैसी समस्याओं से ग्रस्त लोगों को चावल का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए. आइए जानते हैं चावल खाने से और क्या नुकसान होता है. कोलेस्ट्रोल बढ़ता हैचावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है. जब हम चावल का अधिक खाते हैं तो शरीर में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ जाती है. इससे ब्लड स्ट्रीम में ट्राइग्लिसराइड्स यानि वसा का स्तर बढ़ने लगता है. ट्राइग्लिसराइड्स के बढ़ने से कोलेस्ट्रोल का स्तर भी बढ़ता है. इसलिए हाई कोलेस्ट्रोल वाले लोगों को चावल का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए. चावल से वजन बढ़ता है चावल में फाइबर कम होता है, जिससे आपका पेट तो भरा रहता है लेकिन कैलोरी बर्न नहीं होती। इस प्रकार, चावल के अधिक सेवन से मोटापे, वजन बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. इससे बचने के लिए चावल का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए और नियमित व्यायाम करना जरूरी है. मेटाबोलिज्म और मधुमेह को बढ़ाता हैअधिक मात्रा में चावल खाने से शरीर का मेटाबॉलिज्म प्रभावित हो सकता है. चावल में उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है. अधिक मात्रा में ग्लूकोज का सेवन इंसुलिन के स्तर को प्रभावित करता है. इससे आपका रक्त शर्करा स्तर बढ़ जाता है और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है. चावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होने से वजन बढ़ सकता है. मोटापे से मेटाबॉलिज्म भी गंभीर रूप से प्रभावित होता है. दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता हैडॉक्टरों का कहना है कि रोजाना सफेद चावल खाने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. सफेद चावल में कम पोषक तत्व होते हैं. इसमें फाइबर भी कम होता है. फाइबर कम होने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है. उच्च कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग का कारण बन सकता है. यही कारण है कि डॉक्टर हमें हर दिन सफेद चावल के बजाय ब्राउन चावल या लाल चावल खाने के लिए कहते हैं. इनमें अधिक पोषक तत्व होते हैं. ये दिल के लिए फायदेमंद होते हैं.
Diabetes: आजकल तेजी से बढ़ती बीमारियों में सबसे पहला नाम डायबिटीज का माना जाता है.डायबिटीज (Diabetes) एक लाइलाज बीमारी है जो की तेजी से बढ़ रही है. डायबिटीज हर उम्र के लोगों को अपना शिकार बना रही है. इस बीमारी में ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) कंट्रोल नहीं रहता है. जिससे मरीज को कई स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं.ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने के लिए अक्सर मीठा खाने से बचने और दवाई लेने की सलाह दी जाती है. लेकिन समस्या यह है कि कुछ लोगों में खाने से परहेज करने और दवाई लेने के बावजूद भी शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं रहता है. आइए जानते हैं इसका क्या कारण है. सही समय पर दवाई न लेनाअगर कोई डायबिटीज की चपेट में है और दवाई खा रहा है तो उसे समय का भी ध्यान रखना चाहिए. हर दिन एक समय पर दवाई खानी चाहिए. इसके अलावा इंसुलिन इंजेक्शन लेने वालों को भी डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर इसे लगवाते रहना चाहिए. समय पर खाना न खानाडायबिटीज (Diabetes) के मरीजों को अपने खानपान का खासतौर पर ध्यान देना चाहिए. इसमें किसी तरह की लापरवाही गंभीर परिणाम दे सकती है. सुबह का खाना तो कभी भी मिस नहीं करना चाहिए. सुबह के ब्रेकफास्ट पर ही दिनभर का ब्लड शुगर लेवल निर्भर करता है. इसलिए सुबह उठने के करीब एक घँटे के अंदर कुछ न कुछ खा लेना चाहिए. समय पर लंच और डिनर भी बेहद जरूरी होता है. डायबिटीज के मरीज इस बीच कुछ भी खा सकते हैं. पर ध्यान रखें कि खाने में ज्यादा देर तक गैप करना डायबिटीज की समस्या को बढ़ा सकता है. फिजिकल एक्टिविटीज का ध्यान न रखनाडायबिटीज के मरीजों को फिजिकल एक्टिविटीज को भी बनाए रखा चाहिए. उन्हें समय पर एक्सरसाइज करना चाहिए. कभी भी वर्कआउट करना छोड़ना नहीं चाहिए. आप जितना एक्टिव रहेंगे, आपकी बॉडी उतना ही रिस्पॉन्स बढ़ाती है. इससे ग्लाइसेमिक के सही तरह कंट्रोल करने में मदद मिलती है. इसलिए खुद को ज्यादा से ज्यादा एक्टिव रखने की कोशिश करें. हैवी एक्सरसाइज नहीं कर पाते तो कुछ देर तक पैदल ही चलें. ...
Shankh Benefits: शंख बजाने की प्रथा हिंदू धर्म में सदियों से चली आ रही है. शंख की नादब्रह्म ध्वनि से आध्यात्मिक शांति तो मिलती ही है, साथ ही इससे कई स्वास्थ्य लाभ भी जुड़े हुए हैं.शंख धार्मिक ही नहीं बल्कि वास्तु और स्वास्थ के लिए भी लाभकारी बताया गया है.इसकी आवाज से वातावरण शुद्ध होता है बल्कि बजाने वाले को शरीरिक लाभ भी मिलता है.इसके साथ ही कई रोगों को दूर करने के साथ चेहरे की चमक भी बढ़ाता है.अबतो इसका लाफ कोरोना संक्रमण से ठीक हुए रोगी भी उठा रहे हैं. इसको रोजाना बजाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है, तनाव दूर होता है और चेहरे की रौनक बढ़ती है. अतः अपने स्वास्थ्य और सौंदर्य को बेहतर बनाने के लिए रोजाना शंख बजाना शुरू करें. आइए जाते हैं शंख बजाने के अनेक फायदे. 1.तनाव होगा दूर आधुनिक जीवनशैली में तनाव एक आम समस्या है. काम का बोझ, घर और परिवार की जिम्मेदारियां हमें मानसिक रूप से थका देती हैं. ऐसे में शंख बजाना एक अच्छा विकल्प है. शंख से निकलने वाली पवित्र ध्वनि शरीर और दिमाग को शांत करने में मदद करती है. इससे तनाव और चिंता दूर होती है और मन शांति महसूस करता है. अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए रोजाना शंख बजाना शुरू करें. 2.गैस की बीमारी नहीं होती प्रतिदिन शंख बजाने का सीधा असर रेक्टल मसल्स पर होता है, इससे वो सिकुड़ती और फैलती है. इससे पेट की एक्सरसाइज होती है और गैस की बीमारी खत्म हो जाती है.शंख की तेज आवाज से शरीर के अंदरूनी अंग सक्रिय होते हैं और रेक्टम की मांसपेशियाँ सिकुड़ने-फैलने लगती हैं. इससे उनमें रक्त संचार बढ़ता है और वे मजबूत होती हैं. 3.फेफड़ों को मिलती मजबूतीफेफड़े हमारे शरीर का एक अहम हिस्सा हैं जो सांस लेने में सहायक होते हैं. कई बार प्रदूषण या अन्य कारणों से फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है. शंख बजाने से फेफड़ों को लाभ होता है. शंख की आवाज़ से फेफड़ों में रक्त संचार बढ़ता है जिससे वे मजबूत होते हैं. 4.चेहरे की झुर्रियां कम होती हैशंख बजाने से चेहरे की झुर्रियों में कमी आती है. शंख की आवाज़ चेहरे की मांसपेशियों को उत्तेजित करती है जिससे रक्त संचार बेहतर होता है.नियमित रूप से शंख बजाने से चेहरे की झुर्रियां कम होती हैं और चेहरे पर निखार आता है.
Baby Corn Benefits: बेबी कॉर्न सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है. बेबी कॉर्न एक ऐसी सुपरफूड है जिसे हमें अपने रोजाना आपको अपने भोजन में शामिल करना चाहिए. लोग पिज्जा, पास्ता, नूडल्स ऐसी चीजें हैं जिनमें हम कॉर्न का इस्तेमाल कर बड़े चाव से खाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी बेबी कॉर्न को ट्राई किया है.बेबी कॉर्न में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. बेबी कॉर्न में विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर होते हैं जो हमें कैंसर, दिल की बीमारियों, मोटापा और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से बचाते हैं. बेबी कॉर्न को डाइट में शामिल कर कई स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं. तो चलिए आज हम आपको बेबी कॉर्न से मिलने वाले फायदे बताते हैं. 1.आंखों की दृष्टि के लिएबेबी कॉर्न में कैरोटेनॉयड्स या टेट्राटापेनोइड्स यौगिक मौजूद होते हैं जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं और आपकी दृष्टि को प्रभावी रूप से सुधारने में मदद करते हैं. मोतियाबिंद के जोखिम को कम करने के लिए कैरोटीनॉयड भी एक अच्छा विकल्प है जो बेबी कॉर्न में मौजूद होता है. इसलिए अपनी आंखों की दृष्टि को सुचारु बनाए रखने के लिए अपने आहार में बेबी कॉर्न को जरूर शामिल करें. 2. कैंसर में मददबेबी कॉर्न में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकते हैं. दूसरे फलों और सब्जियों के साथ पकाने से बेबी कॉर्न के एंटीऑक्सीडेंट और भी बढ़ जाते हैं. इसमें फेरुलिक एसिड भी होता है जो कैंसर से लड़ने में मदद करता है. यह स्तन कैंसर और लिवर कैंसर जैसे कैंसर से बचाव करता है. बेबी कॉर्न का सेवन करने से हम कैंसर जैसी बीमारियों से बच सकते हैं. 3. एनीमिया मरीजों के लिए फायदेमंदबेबी कॉर्न एनीमिया (कम रक्ताल्पता) से लड़ने में मदद करता है. बेबी कॉर्न में लोहे की उच्च मात्रा होती है जो हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है. हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने का काम करता है. इसलिए, बेबी कॉर्न का सेवन एनीमिया यानी खून की कमी से पीड़ित लोगों को फायदा पहुंचा सकता है. यह उनके रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाकर एनीमिया को दूर करने में मदद करता है. 4. डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद बेबी कॉर्न में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है जो इसे डायबिटीज वाले लोगों के लिए बहुत फायदेमंद बनाता है. यह धीरे-धीरे पचता है और ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मदद करता है. बेबी कॉर्न में मौजूद फाइबर भी ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायक है. 5. पाचन को सुचारु बनाएबेबी कॉर्न में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इसलिए यह पोषक तत्व पाचन की प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है. अगर आप इस फ़ूड को आहार में शामिल करते हैं तो यह पाचन को सुचारु बनाने के साथ मल त्याग की प्रक्रिया में भी सहायक होता है.
Spinach Side Effects: पालक शुरू से ही हेल्दी डाइट प्लान का हिस्सा है.पालक (Palak) में वो सभी आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को बेहतर बनाने का काम करते हैं. इसमें आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व कूट-कूटकर भरे हुए हैं.यह न केवल आंखों के स्वास्थ्य में सुधार करता है, बल्कि ब्लड प्रेशर भी कम करता है. पालक को नियमित तौर पर खाने से बीपी कंट्रोल होती है, आंखें हेल्दी रहती हैं, डायबिटीज में आराम मिलता है, दिल की सेहत दुरुस्त रहती है, पाचन बेहतर बनती है और वजन तेजी से कम हो सकता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप इसे जब चाहे और जितना भी चाहे, खा सकते हैं. क्योंकि यह फायदे की जगह नुकसान (Palak Ke Nuksan) पहुंचा सकता है. आइए जानते है किन लोगों को नहीं खाना चाहिए पालक 1. एलर्जी में नहीं खाना चाहिए पालकअगर किसी में एलर्जी की समस्या है तो उन्हें पालक से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. डॉक्टर के मुताबिक, पालक में हिस्टामिन पाया जाता है, जिसे खाने से कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या हो सकती है. इसलिए उन्हें पालक को अवॉयड (Spinach Side Effects) करना चाहिए. वरना समस्या बढ़ सकती है. 2. गैस की शिकायत पालक फाइबर का एक अच्छा सोर्स है, लेकिन इसका ज़रूरत से ज़्यदा सेवन भी शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है. इसका अधिक सेवन पेट में दर्द और गैस की शिकायत पैदा कर सकता है. 3. किडनी में स्टोन होने परअगर किसी की किडनी में स्टोन यानी पथरी है या पहले कभी पथरी रही है तो ऐसे लोगों को भी पालक नहीं खाना चाहिए. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, किडनी स्टोन की हिस्ट्री वाले लोग अगर पालक का सेवन करते हैं तो उनकी किडनी में दोबारा से पथरी बन सकती है, जो काफी परेशानी खड़ी कर सकती है. 4. इस तरह की दवाईयां खाने वालेहेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जो लोग खून को पतला करने की दवाईयां खा रहे हैं, उन्हें भूलकर भी पालक से बनी कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए. क्योंकि पालक में विटामीन K पाया जाता...
Benefits of Ghee in Winter: सर्दियों के मौसम की शुरुआत होने जा रही है. इस बदलते मौसम में जरूरी है कि आप अपना ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखें. कहते हैं न बदलते मौसम में अच्छे-अच्छों की इम्युनिटी विक हो जाती है. ऐसे में तबियत खराब होने के चांसेस बढ़ जाते हैं. आपको बदलते मौसम में बीमारियों से निजात चाहिए तो कुछ ऐसा रामबाण इलाज ढूंढ़ना होगा जिसके इस्तेमाल से आप पूरे दिन ठीक रह सकते हैं. कई लोगों को इस मौसम में इतनी बार बुखार हो जाता है कि उन्हें बार-बार दवा खाना पड़ता है. ऐसे में हम आपके लिए लाए हैं कुछ खास टिप्स. इस मौसम में बार-बार सर्दी, खांसी और बुखार होना एक आम समस्या है. पोषक तत्वों से भरपूरघी आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसमें विटामिन ए, डी, ई और के, साथ ही स्वस्थ फैटी एसिड भी शामिल हैं. ये पोषक तत्व इम्युनिटी को मजबूत बनाती है और आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं. घी के इस्तेमाल से दूर रहती है सर्दी-खांसीशिखा के अनुसार घी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल दोनों तरह के गुण होते हैं, जो इसे खांसी और जुकाम के इलाज में कारगर बनाता है. शुद्ध गाय के घी की कुछ गर्म बूंदों को नाक में डालने से सर्दी-खांसी में तुरंत राहत मिल सकती है. डाइजेशन में करता है सुधारघी में कई तरह के पोषक तत्व भी होते हैं. यह आंत को हेल्दी बनाये रखता है.घी खाने से डाइजेशन की समस्या दूर होती है. अपनी रोटी में एक चम्मच घी मिलाने से रोटी न केवल नरम हो जाती है बल्कि कब्ज की समस्या भी दूर हो जाती है. शरीर को गर्म रखने में मदद करता हैसर्दियों में घी खाने से शरीर अंदर से गर्म रहता है. घी का हाई स्मोक पॉइंट इ...
Reasons to eat garlic empty stomach: लहसुन हर घर की रसोई में आसानी से मिलने वाले व्यंजनों में से एक है. दालें से लेकर सब्जियां तक हर चीज़ में लहसुन का प्रयोग होता है. व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के अलावा, लहसुन के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी है. लेकिन अधिकतम लाभ पाने के लिए लहसुन का सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है आइए जानते हैं.लहसुन का सेवन करने से कई खतरनाक बीमारियां दूर हो जाती हैं. इसलिए रोजाना सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली खाने से आप इन बीमारियों से बच सकते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में. 1. ब्लड प्रेशर और ब्लड क्लॉट को कंट्रोल करने में फायदेमंदखाली पेट लहसुन खाने से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो ब्लड प्रेशर को स्थिर रखने में सहायक होते हैं. यह ब्लड में क्लॉट बनने की संभावना को कम करता है. लहसुन रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है जिससे ब्लड क्लॉटिंग का खतरा कम होता है. 2. कैंसर से करता है बचाव लहसुन एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबायोटिक और एंटी-कैंसर गुणों से युक्त होता है. रोजाना सुबह खाली पेट कच्चा लहसून की कलियों को खाने से कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है. 3. कोलेस्ट्रॉल औरल हृदय रोगियों के लिए फायदेमंदखाली पेट लहसुन खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है. लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं. यह हृदय रोग के जोखिम को कम करने में भी फायदेमंद होता है. लहसुन खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है. 4. संक्रमण से बचाएंलहसुन एक बेहतरीन प्राकृतिक एंटीबायोटिक है. जिसके कारण रोजाना सुबह खाली पेट लहसुन का सेवन करने से बार-बार होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है. 5. उच्च रक्तचाप को करता है नियंत्रित करता है लहसुनलहसुन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायता करता है. प्रतिदिन खाली पेट लहसुन का सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. 6. सर्दी और खांसी के इलाज में लाभदायक अगर आपको लगातार सर्दी और खांसी की समस्या रहती है तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लहसुन का सेवन कर सकते हैं....
Fasting Benefits: नवरात्रि का समय मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. नवरात्रि के मौके पर भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास से मां की आराधना करते हैं उनके व्रत करते है जिस से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और उन पर अपनी कृपा भी बरसाती हैं. अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने जा रहे हैं तो इस व्रत के फायदों के बारे में जान लीजिए. कई मायनों में ये आपके शरीर के लिए अच्छा होता है.तो एक बार इसके फायदों के बारे में भी जान लें. नवरात्रि का उपवास रखने से शरीर को मिलते हैं ये फायदे वजन कम करने में मददउपवास या व्रत वजन कम करने में मददगार साबित होता है. व्रत के दौरान कैलोरी इनटेक कम होने से शरीर का वजन घटता है. इसके अलावा, व्रत से पाचन प्रक्रिया भी बेहतर होती है जिससे वज़न नियंत्रण में रहता है. लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि व्रत के बाद संतुलित आहार लेना चाहिए ताकि वजन फिर से बढ़ने न पाए. डिटॉक्सीफाई होती है बॉडीव्रत के दौरान अगर व्यक्ति खाद्य पदार्थों की जगह तरल पदार्थों यानी कि लिक्विड का सेवन करें तो उसकी बॉडी डिटॉक्सीफाई होगी. व्रत रखने से पेट संबंधी और त्वचा संबंधी समस्याएं भी कम परेशान करती हैं. अधिक उर्जावान बनाता है व्रत के दौरान पाचन तंत्र को आराम मिलता है और ऊर्जा की खपत कम होती है. इससे शरीर में ऊर्जा संचित होती है.व्रत से शरीर में इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है जिससे ऊर्जा लेवल बढ़ जाता है. यही नहीं व्रत से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और हार्मोन का स्तर संतुलित होता है जिससे ऊर्जा बढ़ती है. मानसिक तनाव होगा कमउपवास करने से दिमाग शांत रहता है. व्रत में हम तामसिक भोजन का सेवन नहीं करते हैं. जिसके कारण दिमाग में शांति का भाव पैदा होता है. व्रत करने से डिप्रेशन और मस्तिष्क से जुड़ी कई समस्याओं में फायदा होता है. हृदय रोगों के लिए सहायक जर्नल ऑफ साइंस एंड सोसाइटी में प्रकाशित एक शोध में 110 मोटापे से पीड़ित वयस्कों पर 8 हफ़्तों तक हर तीसरे दिन व्रत करवाया गया. अध्ययन के अंत में, सभी व्यक्ति में खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स में 25% तक कमी देखी गई. साथ ही, उच्च रक्तचाप की समस्या 32% तक कम हुई और हृदय रोगों का जोखिम को भी कम किया . त्वचा की चमक रहेगी बरकरारव्रत में बहुत ही सादा खाना खाया जाता है. ऐसा खाना खाने से शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकलते हैं और त्वचा की खोई चमक वापस लौट आती है. नवरात्रि के व्रत में एल्कोहल, सिगरेट सब कुछ बंद हो जाता है. अनाज की जगह फल खाते हैं, जिससे पेट की सेहत दुरुस्त रहती है. कब्ज, ब्लोटिंग, गैस, अपच की समस्या नहीं होती है. फास्ट रखते समय ध्यान रखें ये बातें फास्ट के दौरान कुछ आवश्यक पोषक तत्वों को लेना जरूरी है वरना व्रत करना आपके लिए तकलीफदेह हो सकता है. व्रत के बाद आप जब भी कुछ खाएं, कोशिश करें कि वो पौष्टिक होना चाहिए. बहुत ज्यादा आलू जैसी चीजें न खाएं, वरना वजन घटने के बजाय बढ़ जाएगा. ...
Seasonal Affective Disorder: इन दिनों बदलते मौसम के साथ लोगों को कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो रही हैं. बदलती जीवनशैली का असर लोगों की मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर भी देखने को मिल रहा है. इसे सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर (Seasonal Affective Disorder) कहा जाता है. कुछ लोग इसे विंटर डिप्रेशन भी कहते हैं. सर्दी की शुरुआत में इसके केस बढ़ने शुरू होते हैं. अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका है, इसलिए अब सावधान होने का समय आ गया है. इन दिनों व्यवहार और मानसिक सेहत में भी बदलाव देखने को मिलते हैं. बहुत से लोग निराश और उदासी के शिकार हो जाते हैं.अगर आप भी यह सुनकर चौंक गए हैं, तो आपको बता दें कि यह पूरी तरह सच है.आइए जानते हैं इस डिसऑर्डर के बारे में. सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर क्या होता हैसीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी) एक प्रकार का डिप्रेशन है, जो मौसम में बदलाव से जुड़ा हुआ है. एसएडी हर साल लगभग एक ही समय पर शुरू और समाप्त होता है. ज्यादातर लोगों में इसके लक्षण पतझड़ में शुरू होते हैं और सर्दियों के महीनों तक जारी रहते हैं, जिससे आपकी एनर्जी कम हो जाती है और आपको मूड स्विंग्स होने लगते हैं.बारिश से ठंड तक जब तापमान में गिरावट आने लगती है तब इस तरह के लक्षण नजर आते हैं. पूरी सर्दियां ऐसा ही बना रहता है और फिर गर्मी का मौसम आते ही सबकुछ सामान्य हो जाता है. पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में यह समस्या देखने को मिलती है. सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षण- एनर्जी कम होना- हमेशा सुस्ती महसूस होना- सोने में परेशानी होना- भूख कम या ज्यादा लगना- वजन में बदलाव होना- मन में आत्महत्या का विचार आना- लोगों से अलग रहना- बेचैनी महसूस होना - चिंता, गुस्सा और व्यवहार में बदलाव सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर से बचाव और इलाजसीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर यानी एसएडी को रोकने का कोई तरीका नहीं है. हालांकि, कुछ तरीकों से इसके लक्षणों को गंभीर होने से पहले ही रोका जा सकता है. इन तरीकों में निम्न शामिल हैं-1. सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर के लेवल के अनुसार उसका इलाज होता है. टिपिकल ट्रीटमेंट एंटी डिप्रेसेंट दवाईयों, लाइट थेरेपी, विटामिन डी और काउंसिलिंग से इलाज.2. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं, सही चीजें ही खाएं, 3. फिजिकल एक्टिव रहें, सूर्य की रोशनी में कुछ समय बिताएं, वजन को मेंटेन रखें.4. शराब-सिगरेट से दूरी बनाएं....
Bitter Gourd Seeds Face Pack: करेला हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स भी डायबिटीज के मरीजों को करेला खाने की सलाह देते हैं. केवल करेला ही नहीं इसके बीजों में भी बहुत फायदे छिपे हैं. करेले की बीज त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. इनमें मौजूद विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स त्वचा को हेल्दी रखने में मदद करते हैं. करेले के बीजों का फेस पैक बनाकर लगाने से त्वचा पर निखार आता है और यह झाइयों को कम करने में भी मददगार साबित होता है. इसलिए, स्वस्थ और खूबसूरत त्वचा के लिए करेले के बीज का फेस पैक ट्राई आप ट्राई कर सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे बनाएं करेले के बीज का फेस पैक. करेले के बीजों का पैक कैसे बनाएं सामग्री:2 चम्मच करेले के बीज1 चम्मच शहद1 चम्मच दही- सबसे पहले करेले के बीजों को अच्छी तरह धो लें और इन्हें ब्लेंडर में पीस लें.- अब इसमें शहद और दही मिलाएं और अच्छे से मिक्स कर लें.- इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट तक छोड़ दें.- फिर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें.- सप्ताह में 2-3 बार ऐसा करने से त्वचा नरम, चमकदार और निखरी हुई नजर आएगी.- इस पैक को 1 हफ्ते तक फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है. करेले के बीजों को त्वचा पर लगाने के फायदे 1. ओमेगा 3 फैटी एसिड त्वचा की नमी कायम रखते हैं.2. मैग्नीशियम और जिंक मौजूद होने से ये मुंहासों और झाइयों को कम करते हैं.3. विटामिन सी त्वचा में कोलाजन उत्पादन को बढ़ाता है जिससे त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी होती है.4. करेले के बीज त्वचा को डीप क्लीन करते हैं और इस पर निखार लाते हैं.5. इसलिए करेले के बीज लगाने से त्वचा स्वस्थ, खूबसूरत और युवा दिखती है....
Smartphone For Eyes : अगर आप भी दिनभर अपने मोबाइल फोन से चिपके रहते हैं तो सावधान हो जाइए. क्योंकि यह आपकी आंखों की रोशनी भी छीन सकता है.भले ही हमारे दिनभर का ज्यादातर काम मोबाइल फोन से जुड़ा हुआ होता है लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स भी स्मार्टफोन के साइड इफेक्ट्स से सावधान करते हैं. क्योंकि इससे जुड़ी समस्याएं काफी गंभीर (Smartphone Side Effects) हो सकती हैं. स्मार्टफोन का अधिक उपयोग करने से शरीर को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फोन की स्क्रीन के संपर्क में ज्यादा रहना खतरों से भरा हुआ है.जानें ज्यादा फोन चलाना क्यों खतरनाक है. स्मार्टफोन से आंखों को बचाएंज्यादा देर तक मोबाइल फोन चलाने से आंखों की रोशनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसकी वजह से ड्राई आइज की समस्या हो सकती है. आपकी यह आदत ग्लूकोमा के खतरे को भी बढ़ा सकता है, जो अंधेपन का कारण भी बन सकता है. स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट्स आंखों के लिए खतरनाक होती हैं. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाईमोबाइल फोन की आभासी दुनिया हमें विचलित करने वाली होती है. छात्रों को यह आकर्षक लगता है और वे इसमें घंटों खोए रहते हैं. जिसका सीधा असर उनकी मनोस्थिति पर पड़ता है. जो बच्चों मोबाइल पर अधिक समय बीतता है उनके लिए अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाना कठिन हो जाता है. मानसिक स्वास्थ्य पर असरस्मार्टफोन पर वीडियो गेम और दूसरे ऐप का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों में स्ट्रेस और डिप्रेशन बढ़ाने वाला हो सकता है. यह मेंटल हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. लगातार फोन के इस्तेमाल से सिरदर्द और माइग्रेन का खतरा बढ़ा सकता है. इसलिए दिमाग को बेहतर रखने के लिए स्क्रीन टाइम को कम करना चाहिए. स्मार्टफोन को लेकर अलर्टएक्सपर्ट्स मोबाइल फोन के खतरों से अलर्ट करते हैं. उनका कहना है कि इसका लंबे समय तक बुरा असर देखने को मिल सकता है. इसलिए रात में सोने जाने के करीब एक घंटे पहले स्क्रीन से बचना चाहिए. नोटिफिकेशन मैनेज करें, ताकि बार-बार फोन का इस्तेमाल न करना पड़े. इसके अलावा मोबाइल पर आई प्रोटेक्शन भी लगाएं, जिससे आंखों को इसके नुकसान से बचाया जा सके....
Fruits To Avoid In Pregnancy: गर्भावस्था अपने साथ खुशी के साथ-साथ पीड़ा की लहर भी लाती है क्योंकि यह एक महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है. गर्भावस्था एक संवेदनशील अवस्था होती है जिस दौरान महिला को अपने आहार और जीवनशैली में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है.थोड़ी सी भी गलती गर्भवती मां और अजन्मे बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है. कुछ फल ऐसे होते हैं जिनका सेवन गर्भावस्था के दौरान नुकसानदेह साबित हो सकता है. इन फलों में पाए जाने वाले कुछ रसायन और यौगिक गर्भाशय की मांसपेशियों को प्रभावित कर सकते हैं जिससे गर्भपात या प्री-टर्म डिलीवरी होने का खतरा बढ़ जाता है. गर्भावस्था के दौरान इन फलों का सेवन न करना बेहतर विकल्प है. आइए जानते हैं प्रेगनेंसी में किन फलों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. प्रेगनेंसी में पपीता भूलकर भी न खाएं पपीता पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो इसे एक स्वस्थ फल बनाता है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान इस फल का सेवन करने से शरीर में गर्मी पैदा हो सकती है और शरीर का तापमान बढ़ सकता है, जो भ्रूण को प्रभावित कर सकता है. इसके अलावा, पपीते में लेटेक्स की मौजूदगी से गर्भाशय संकुचन, रक्तस्राव और यहां तक कि गर्भपात भी हो सकता है. इस प्रकार, पके और कच्चे पपीते दोनों से परहेज करने की सलाह दी जाती है. अनानास भी प्रेगनेंसी में नहीं खाना चाहिए एक और स्वादिष्ट खट्टा-मीठा फल है अनानास, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है लेकिन गर्भावस्था के दौरान जटिलताएँ पैदा कर सकता है. ऐसा ब्रोमेलैन नामक एंजाइम के कारण होता है जो प्रोटीन को तोड़ सकता है और गर्भाशय ग्रीवा को नरम कर सकता है और परिणामस्वरुप जल्दी प्रसव हो सकता है. इसलिए गर्भावस्था के दौरान अनानास का सेवन करने से बचना चाहिए. प्रेगनेंसी में खाए जाने वाले फल आम – आयरन, विटामिन ए और सी और से भरे हुए आम तुरंत एनर्जी देने, कमज़ोरी दूर करने और इमम्युनिटी बढ़ाने का काम करते हैं. इसके अलावा आम में फाइटोऐस्ट्रोजेन, पॉलीफेनॉल, कैल्शियम, और पोटेशियम जैसे तत्व में प्रचुर मात्रा में होते हैं जिनसे डायजेशन ठीक होता है और प्र...
Roasted Chana Benefits: भुना चना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. हर दिन भुना चना खाने से न सिर्फ वजन तेजी से कम होता है, बल्कि दिल की सेहत भी दुरुस्त (Roasted Chana Benefits) रहती है. इसमें आवश्यक पोषक तत्व प्रोटीन फाइबर मैंगनीज फोलेट फास्फोरस तांबे फैटी एसिड पाए जाते हैं जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों में फायदेमंद होते हैं. इसके सेवन से शरीर को कई समस्याओं से राहत मिल जाती है और ढेर सारे फायदे होते हैं. फाइबर बढ़ते वजन को कंट्रोल करने में मददगार साबित होता है. भुना चना खाने के फायदे वजन कंट्रोलभुने चने में भरपूर मात्रा में फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है, जो आपको ज्यादा समय तक भरा हुआ महसूस कराता है. इससे आप अधिक खाने से बच जाते हैं और वजन कम करने में मदद मिलती है.कब्ज की छुट्टीपेट की कब्ज की समस्या से परेशान है तो भुना चना खाएं. सुबह खाली पेट भुना चना खाने से कब्ज की समस्या से राहत मिल सकती है. इससे डाइजेशन भी अच्छी रहती है. इसके सेवन से पेट से जुड़ी कई और समस्याओं की छुट्टी हो जाती है. एक्सपर्ट्स भी इसे डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं.दिल की सेहत रखे दुरुस्तभुना चना दिल का साथी माना जाता है. इसके सेवन से दिल की सेहत दुरुस्त रखती है. भुने हुए चने में मैंगनीज, फास्फोरस, फोलेट और तांबे की प्रचुर मात्रा होती है, जो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखने और हेल्थ को बेहतर बनाने का काम करती हैं.खून साफभुना चना खून को भी साफ करता है. रोज सुबह खाली पेट भुने हुए चने खाने से शरीर की सारी गंदगी आसानी से बाहर निकल जाती है. इससे खून साफ होता है और इससे संबंधित समस्याएं दूर होती हैं. खून साफ होने से स्किन में निखार आता है. ब्लड प्रेशर करे कंट्रोलचने में फैट और कैलोरी की मात्रा कम होती है और प्रोटीन और फाइबर काफी ज्यादा मात्रा में पाई जाती है. भुने चने में कॉपर मैंगनीज और मैग्नीशियम पाए जाते हैं. जो सूजन को कम कर रक्त वाहिकाओं को रिलैक्स करते हैं. मैंगनीज ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने का काम करता है. भुना चना फॉस्फोरस का भी स्रोत होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का काम करता है.डायबिटीज में फायदेमंदअगर किसी को डायबिटीज है तो भुने हुए चने उसके लिए फायदेमंद बताए जाते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक,भुने चने में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है. जिससे यह डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद माना जाता है.
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