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Egg Shells Bnefits: अंडा खाना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है पर क्या आपने कभी अंडे के छिलके का बारे में सोचा है.  यही वजह है कि अंडे को बैलेंस्ड डाइट का हिस्सा बनाया माना जाता है.हम सभी अंडा उबालते हैं और छिलके को कूड़ेदान में फेंक देते हैं. लेकिन, अगर हम आपसे कहें कि अंडे के छिलके को फेंकना नहीं चाहिए बल्कि खा लेना चाहिए, तो आप यकीन नहीं करेंगे. ध्यान रखें कि अंडे के छिलकों को बड़ी मात्रा में नहीं निगलना चाहिए, क्योंकि इससे आपको नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए आप इसे पीस कर पाउडर बना कर ही इस्तेमाल करें. अंडे के छिलके के फायदे -  - अंडे के छिलके में भरपूर मात्रा में कैल्शियम कार्बोनेट पाया जाता है. जो हड्डियों को स्ट्रांग रखता  है. इसके अलावा एगशेल्स में फ्लोराइड और बाकी जरूरी मिनरल्स के भी अच्छे सोर्स होते हैं. - ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसकी वजह से हड्डियां कमजोर और नाजुक हो जाती हैं. इस बीमारी से जूझने वाले लोग अंडे के छिलके को डाइट में शामिल कर सकते हैं, क्योंकि अंडे के छिलके में भरपूर मात्रा में कैल्शियम मौजूद रहता है. छिलके के सेवन से नाहि सिर्फ ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है बल्कि हड्डियां भी मजबूत होती हैं.  - जोड़ों के दर्द में अंडे के छिलके का पाउडर बनाकर उसका सेवन करने से दर्द में काफी आराम मिलता है और धीरे-धीरे ये समस्या खत्म होने लगती है.  कैसे करें  सेवनअंडे के छिलकों का  सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप छिलके पर मौजूद बैक्टीरिया से बचने के लिए  सबसे पहले अंडे उबाल लेंछिलकों को तोड़कर पीस लें और पाउडर बना लें इसका सेवन आप जूस, पानी या दूध के साथ कर सकते हैं. हालांकि, अंडे के छिलके को डाइट में शामिल करने से पहले आपके डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए. ...

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Tips for Diabetes: डायबिटीज भारत में होने वाली सबसे आम बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है. इस बीमारी को सिर्फ दवाइयों की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है. हमारी बदलती जीवनशैली और खानपान की गलत आदत जैसे बहुत ज्यादा कैलोरी खाना और शारीरिक रूप से कम एक्टिव रहना डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है.डायबिटीज को कण्ट्रोल करने के लिए चीनी को बिल्कुल कम कर देना चाहिए. कई फलों के अंदर नेचुरल शुगर होती है जो की डायबिटीज में खतरनाक साबित हो सकती है.इसलिए इन फलों का जूस मधुमेह के मरीजों को नहीं पीना चाहिए. आज हम आपको बताएंगे कुछ ऐसी ड्रिंक्स के बारे में, जिन्हें पीने से डायबिटीज के लोगों को बचना चाहिए चीनी वाली चायचीनी वाली चाय में बहुत अधिक मात्रा में शुगर पाई जाती है. इसलिए डायबिटीज से पीड़ित लोगों को डायबिटीज सेफ स्वीटनर के साथ अपनी चाय बनानी  चाहिए. फलों का रस या जूसफलों का रस यानी फ्रूज जूस बिना चीनी मिलाए भी, ब्लड शुगर की बढ़ोतरी का कारण बन सकता है, क्योंकि उनमें बहुत अधिक प्राकृतिक शुगर होती है. फलों का जूस निकालने से फाइबर भी निकल जाता है, जिसके परिणामस्वरूप जूस पीने पर ब्लड शुगर बढ़ जाती है.  एनर्जी ड्रिंक्सएनर्जी ड्रिंक्स में भारी मात्रा में कैफीन और कार्ब्स पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकते हैं और इंसुलिन रेसिस्टेंस की वजह बन सकते हैं, जो  डायबिटीज के लिए हानिकारक है. इसलिए डायबिटीज के मरीज़ो को एनर्जी ड्रिंक से दूरी बनानी चाहिए.  शराबडायबिटीज के मरीज़ो के लिए शराब  काफी हानिकारक होती है. शराब या किसी अन्य अल्कोहॉलिक ड्रिंक पीने के कुछ घंटों के अंदर ब्लड शुगर लेवल कम होने लगता है. ऐसे में डायबिटीज वाले लोग, जो इंसुलिन या डायबिटीज की दवाएं ले रहे हैं, उन्हें इन ड्रिंक्स से परहेज करना चाहिए. फ्लेवर्ड कॉफीफ्लेवर्ड कॉफी में अक्सर काफी चीनी मिलाई जाती है.ऐसे में अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो बेहतर होगा कि आप घर पर बिना चीनी के इसे बनाएं.

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Diseases Symptoms: हाथों के नाखूनों के रंग और आकार का बदलना सेहत के लिए सही नहीं है. विशेषज्ञों के मुताबिक नाखूनों के रंग से कई बार बड़ी बीमारियों की जानकारी मिलती है. डॉक्टर्स के मुताबिक नाखूनों में बदलाव दिखें तो सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि नाखूनों के रंग में बदलाव खराब सेहत की निशानी है. डॉक्टर मरीजों के नाखून देखकर उनके अंदर की बीमारी को पहचान लेते हैं. ऐसे में, नाखूनों में सफेदी, पीले या नीले पड़ना, उनका आकार बदलना जैसे कुछ लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि समय रहते रोगों से बचाव हो सके. आइए जानते हैं कि नाखून से जुड़े किन लक्षणों को आपको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. - फीके ​नाखून60 साल से अधिक उम्र के ज्यादातर लोगों के नाखून हल्के रंग के होते हैं. हालांकि, कुछ मामलों में, फीके नाखून किसी ना किसी बीमारी का भी संकेत देते हैं. जैसे की शरीर में खून की कमी होना, कुपोषण, लिवर की बीमारी या फिर हार्ट फेलियर.  - टूटे नाखूननाखूनों का बार-बार टूटना बताता है कि आपके नाखून कितने कमजोर हो चुके हैं. नाखून की ये स्थिति बताती है कि आपके शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी है. जब नाखून तिरछे ढंग से टूटते हैं तो इसे ओनिकोस्चिजिया कहतें हैं. वहीं नाखून जब बढ़ने वाली दिशा में ही टूटते हैं तो इसे ओनीकोरहेक्सिस कहते हैं - सफेद नाखूनसफेद नाखून के सिरे पर जब गुलाबी लाइन दिखाई देती है तो इसे टेरीज नेल कहा जाता है. इस तरह के नाखून लिवर से जुड़ी बीमारी, क्रोनिक किडनी डिजीज और कंजेस्टिव हार्ट फेलियर जैसी बीमारियों का संकेत देते हैं. - नीले नाखूननाखून के नीले पड़ जाने के कई कारण हो सकते हैं. आमतौर पर ये चांदी के ज्यादा संपर्क में रहने की वजह से हो जाता है. मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल दवाएं, दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाली दवाएं और लिवर की दवाएं भी ब्लू पिगमेंटेशन का कारण बन सकती हैं. HIV के मरीजों के नाखून भी नीले पड़ जाते हैं - नाखून में गड्ढे बननानाखूनों पर छोटे-छोटे गड्ढे या धंसने के निशान होना सोरायसिस बीमारी का संकेत है. आमतौर पर ये डर्मेटाइटिस के मरीजों के नाखूनों पर देखा जाता है. ये त्वचा से जुड़ी एक बीमारी है जिसमें स्किन पर चकत्ते के साथ तेज  खुजली, जलन और सूजन होती है....

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Harmful Effects of Black Salt: नमक के बिना कभी भे सब्जी का स्वाद नहीं आता. आजकल कई लोग स्वस्थ रहने के लिए सफेद नमक की जगह काले नमक का इस्तेमाल करने लगे हैं. काले नमक का इस्तेमाल ज्यादातर एसिडिटी या अपच होने पर किया जाता है.(Harmful Effects of Black Salt)अब तक आपने काले नमक के स्वास्थ्य लाभों के बारे में तो पढ़ा होगा लेकिन इसके नुकसान के बारे में आप शायद ही जानते होंगे. कई लोग सोचते हैं कि सफेद नमक सेहत के लिए हानिकारक होता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि काला नमक(Harmful Effects of Black Salt) सेहत बिगाड़ सकता है. काले नमक में कुछ ऐसे यौगिक ...

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Throat pain remedies: बदलते मौसम में गले में संक्रमण होना बहुत ही सामान्य है. गले में संक्रमण (इंफेक्शन) आम तौर पर वायरस या फिर बैक्टीरिया की वजह से होता है. बदलते मौसम का सबसे ज्यादा असर हमारी हेल्थ पर पड़ता है.ठंडा पानी और ठंडी चीजों का सेवन गले की परेशानी बढ़ा देता है. ठंड के मौसम में खासकर सुबह के वक्त गले में दर्द और सूजन की समस्या होती है.  कई बार ऐसा होता है कि लोग धूप से आकर पानी पी लेते हैं जिसके कारण यह समस्या शुरू हो जाती है. गले में खराश, दर्द और सूजन से बोलने खाने, पानी पीने में कई तरह की दिक्कत होने लगती है. आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए कुछ खास उपाय बताने जा रहे हैं.  इन घरेलु उपाय की मदद से आप गले से जुड़ी परेशानियों से निजात पा सकते हैं स्टीम लेंअगर गले में बहुत ज्यादा सूजन है तो बोलने में भी परेशानी हो रही  है तो स्टीम लेते रहें. स्टीम लेने से गले का ब्लॉक का खुलता है. साथ ही ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है. पूरे दिन में 3-4 बार स्टीम ज़रूर लें.  पानी में नमक मिलाकर गरारे करेंगले में होने वाले खराश को दूर करना है तो सबसे आसान उपाय यह है कि आप पानी में नमक मिलाकर गरारे करें. नमक में एंटीबैक्टीरियल होता है जो गले की खराश की समस्या से निजात दिलाता है. एक गिलास गुनगुना पानी लें उसमें नमक मिला लें. फिर उस पानी से अच्छे स गरारे करें.  हल्दी का दूधहल्दी वाले दूध में कई सारे औषधीय गुण होते हैं जो गले की खराश से निजात दिलाते है. इसलिए दूध गर्म करें और उसमें हल्दी मिला लें. फिर इसे रात के वक्त पी लें इससे गले का सूजन और दर्द में आराम मिलेगा.  कैमोमाइल चायकैमोमाइल चाय में भरपूर मात्रा में  औषधीय गुण होते हैं. जिसे पीने से गले का इंफेक्शन और खराश ठीक हो जाता है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो आंखों, नाक और गले के सूजन को ठीक करता है. ...

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Cancer fighting Food: कैंसर एक जानलेवा बीमारी है. कैंसर का नाम सुनते ही मन में खौफ सा बैठ जाता है. हमारी जीवनशैली और खाने पीने की आदते अक्सर हमारी सेहत पर असर डालती हैं.कैंसर के कई प्रकार हैं जैसे फेफड़े का कैंसर, स्तन, ग्रीवा, सिर और गर्दन और कोलोरेक्टल कैंसर हैं. प्रत्येक प्रकार के कैंसर को समझना जरूरी है कि यह कैसे शरीर को प्रभावित करता है तभी इससे बचाव कर सकते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक  हमारी डाइट संबंधी आदतें कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं या कम कर सकती है. प्रत्येक प्रकार के कैंसर को समझना जरूरी है कि यह कैसे शरीर को प्रभावित करता है तभी इससे बचाव कर सकते हैं. सिगरेट पीना, तला हुआ खाना, रेड मीट, शराब, सूरज के संपर्क में आना, पर्यावरण प्रदूषक, संक्रमण, तनाव, मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता सहित खराब आहार कुछ ऐसे कारक हैं जो कैंसर के ख़तरे को बढ़ा सकते हैं. चलिए जानते हैं कुछ ऐसे फूड्स के बारे में कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं. - लहसुन व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के अलावा लहसुन का संभावित कैंसर से लड़ने वाले गुणों के लिए भी अध्ययन किया गया है. लहसुन में पाया जाने वाला एक यौगिक एलिसिन ने विभिन्न अध्ययनों में कैंसर विरोधी प्रभाव प्रदर्शित किया है. ताजा लहसुन को न केवल स्वाद बढ़ाने के लिए बल्कि स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए अपने भोजन में ज़रूर शामिल करें. - ग्रीन टीग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं.ग्रीन टी  सेहत के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है.यह कैंसर उत्पन्न करने वाले फ्री रेडिकल से शरीर को बचाता है. वजन कम करने और पाचन से जुड़ी समस्या को कम करने में भी ग्रीन टी मददगार साबित हो सकता है. - ब्रोकलीब्रोकली में कैल्शियम, विटामिन, फाइबर्स और अन्य कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं. यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारने में मदद करता है. इसमें सल्फोराफाने मौजूद होता है, जो कैंसर सेल के ग्रोथ को रोकने में मदद करता है. - फैटी फिश सैल्मन और मैकेरल जैसी वसायुक्त मछली में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड को कुछ कैंसर विशेष रूप से कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को कम करने के साथ जोड़ा गया है. ओमेगा-3 के सूजन-रोधी और सुरक्षात्मक गुणों का फायदा उठाने के लिए सप्ताह में कम से कम दो बार अपने आहार में वसायुक्त मछली को शामिल करें. - पत्तेदार सब्जियां ब्रोकोली, फूलगोभी और ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसी हरी सब्जियों की शक्ति को पहचानें. एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोकेमिकल्स से भरपूर इन सब्जियों में स्तन और प्रोस्टेट कैंसर सहित विभिन्न कैंसर के खतरे को कम करने की क्षमता होती है....

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Skin Care Tips: गोरी और निखरी त्वचा के लिए महिलाएं महंगे-महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं. आपके किचन में मौजूद ऐसी कई चीजें हैं जो खूबसूरती बढ़ाने के लिए कारगर साबित हो सकते हैं. चहरे से दाग डब्बे हटाने के लिए आप बेकिंग सोडा का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार बेकिंग सोडा डेड से रूखापन दूर करता है और साथ ही बैक्टीरिया को भी नष्ट करता है. आइए जानते हैं कि आप बेकिंग सोडा चेहरे की किन किन समस्याओं में काम करता है. - बेकिंग सोडा के इस्तेमाल से मुंहासे की समस्या दूर होती है. एक चम्मच बेकिंग सोडा में पानी मिला कर गाड़ा पेस्ट बना लें. अब इसे चेहरे पर लगाएं और 4-5 मिनट बाद पानी से धो लें. तेजी से मुंहासे की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप इसका रोजाना इस्तेमाल कर सकती हैं. - अगर आपके त्वचा पर टैनिंग की समस्या है, तो बेकिंग सोडा मददगार साबित हो सकता है. इसके लिए एक चम्मच सिरके में बेकिंग सोडा पाउडर और पानी मिला कर पेस्ट बना लें. अब इसे चेहरे पर लगाएं, 5-10 मिनट बाद पानी से धो लें. हफ्ते में इस प्रक्रिया को आप एक-दो बार कर सकती हैं. - त्वचा को चमकदार बनाने के लिए आप इसका इस्तेमाल कर सकती हैं. इसके लिए बेकिंग सोडा और गुलाब जल मिला कर पेस्ट बना लें, अब इसे चेहरे पर लगाएं. 5-10 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें. - बेकिंग सोडा में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. जो त्वचा की खुजली और सूजन से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं. इसके लिए आप बेकिंग सोडा और नारियल तेल मिला कर पेस्ट बनाएं. इस पेस्ट को चेहरे पर पांच मिनट के लगा सकती हैं....

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Kidneys Damage Early Signs: आपकी त्वचा का रंग अचानक से बदल कर पीला हो रहा है तो सावधान हो जाना चाहिए. अचानक से खुजली और स्क्रैच के निशान पड़ने लग जाए तो नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए. क्योंकि ये संकेत है कि आपकी किडनी सही तरह से काम नहीं कर रही है. किडनी में जब कुछ समस्या होती है तो उसका पहला संकेत त्वचा पर ही मिलता है. सही समय पर इसके संकेतों को समझ लिया जाए तो इससे बच सकते हैं. आइए जानते हैं इसकी गंभीरता और बचने के उपाय. - स्किन स्पेशलिस्ट के मुताबिक, अगर किडनी सही तरह से काम नहीं करेगी तो ब्लड ठीक से साफ नहीं होगा. जिससे त्वचा का रंग पीला होने लगता है. यह किडनी में किसी तरह की समस्या का संकेत है.  - अगर लगातार खुजली हो रही है या रात में तेज खुजली होने लगती है तो भी समझ जाना चाहिए कि किडनी में समस्या है. ऐसे में बिना देर किए जांच करवानी चाहिए. क्योंकि लंबे समय तक इसे इग्नोर करने से स्किन से ब्लीडिंग भी शुरू हो सकती है. - डॉक्टर के मुताबक, जब किडनी सही तरह से खून को फिल्टर नहीं कर पाती तो खून में टॉक्सिन जमने लगते हैं. जो त्वचा के रंग को बदल देते हैं. इससे स्किन का कलर भूरा या पीला पड़ने लगता है. - ऐसे लक्षण नजर आने पर तुरंत किडनी की जांच करवानी चाहिए. ताकि किसी भी गंभीर समस्या से पहले ही बचा जा सके। अगर इन संकेतों को समय पर नहीं समझें तो स्थिति गंभीर और जानलेवा भी हो सकती है.

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Home Remedies For Sinus: साइनस ऐसी बीमारी है जो सर्दियों में काफी ज्यादा बढ़ जाती है. बरसत के मौसम मे यदि  सर्दी खांसी ज़्यदा समय के लिए रहे तो ये साइनस हो सकता है. इसमें नाक के अंदर के भाग (Swelling) में सूजन आ जाती है और सांस लेने में तकलीफ होती है, सिरदर्द रहता है और नाक बहने लगती है. इसे साइसाइटिस (Sinusitis) भी कहा जाता है.साइनस से संबंधित इंफेक्शन (Sinus Infection) आमतौर पर वायरल या एयरबॉर्न इरिटेशन के कारण होता है और कुछ दिनों में खुद ही ठीक हो जाता है. ऐसे में हम आपको कुछ सावधानियां Tips for Prevention from Sinus Infection)और घरेलू उपाय बताएंगे जो इस बीमारी को कम करने में मदद करेंगे. साइनस से बचने के घरेलू उपाय नेचुरल फूड्स का सेवन करेंसाइनस की समस्या से बचने के लिए डाइट में नेचुरल एंटीबैक्टेरियल फूड जैसे- लहसून, अदरक और शहद को शामिल करना चाहिए. इससे शरीर को इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. कुछ फूड्स एंटी फ्लेमेटेरी गुणों से भी भरपूर होते हैं. उनसे सूजन कम किया जा सकता है. इनमें बेरीज और हरी पत्तेदार सब्जियां आती हैं. ग्रेपफ्रूट सीड एक्स्ट्रैक्टग्रेपफ्रूट सीड एक्स्ट्रैक्ट एक हेल्दी और पौष्टिक फूड है. इसे ग्रेपफ्रूट के बीज से पा सकते हैं. यह रोगाणुओं, बैक्टीरिया, वायरस और यीस्ट इंफेक्शन समेत 30 तरह के फंगस से शरीर को बचात...

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Curd and Yogurt Difference: ज्यादातर लोग खाने के साथ दही का सेवन करते हैं. तो वहीं योगर्ट भी बहुत लोगों को पसंद होता है. लेकिन कम ही लोग ऐसे होते हैं जो दही और योगर्ट (Curd and yogurt) के  बीच का अंतर समझ पाते हैं. तो चलिए जानते है दही और योगर्ट के बीच मे क्या फ़रक है.  दही और योगर्ट दोनो को हि पोषक तत्वों का खजाना माना जाता है. लेकिन बहुत लोग योगर्ट को कर्ड यानी दही समझने की भूल कर देते हैं और दोनों के बीच का फर्क नहीं समझ पाते हैं. तो आइये जानते हैं इस बारे में. कर्ड और योगर्ट में अंतरकर्ड यानी दही को घर पर बनाया जा सकता है. इसके लिए दूध में दही का जामन मिक्स करके कुछ देर तक रखा जाता है. जिसके बाद ये दूध दही में तब्दील हो जाता है. वहीं योगर्ट एक तरह का इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट है जिसको घर पर बनाया नहीं जा सकता है. इतना ही नहीं कर्ड और योगर्ट को बनाने का तरीका भी एकदम अलग है. दही और योगर्ट में कौन-कौन से पोषक तत्व कैल्शियमदही और ग्रीक योगर्ट दोनों ही हड्डियों के लिए फायदेमंद माने जाते हैं. ये शरीर को हड़्डियों से जुड़ी समस्याओं से बचाने का काम करते हैं. इन मे भरपूर कैल्शियम पाया जाता है. हालांकि, दही में योगर्ट की तुलना में कैल्शियम थोड़ा ज्यादा होता है. जिससे दही खाना थोड़ा अधिक फायदेमंद हो सकता है. प्रोबायोटिक्स ग्रीक योगर्ट और दही दोनों में प्रोबायोटिक्स होता हैं. यही कारण है कि दोनों डाइजेस्टिव हेल्थ के लिए अच्छे माने जाते हैं. इनके सेवन से पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और शहीर कई तरह की बीमारियों से बच सकती है. इससे सूजन की समस्या भी नहीं होती है.  प्रोटीनवजन कम करने में दही की तुलना में ग्रीक योगर्ट ज्यादा फायदेमंद माना जाता है,क्योंकि इसमें प्रोटीन ज्यादा पाया जाता है, जो वजन घटाने में मदद करता है. वेट लॉस कर रहे हैं तो ग्रीक योगर्ट को स्नैक्स की तरह डाइट में शामिल कर सकते हैं. जिसका फायदा जल्दी देखने को मिल सकता है. कर्ड बनाने क सहि तरीका कर्ड बनाने के लिए सबसे पहले दूध को हल्का सा गर्म किया जाता है. इसके बाद दूध में दही का जोड़न जिसको खट्टा या फिर जामन भी कहा जाता है, उसको मिक्स किया जाता है. कुछ घंटो के लिए इसे ढक कर रख दिया जाता है. ऐसे में दही के जामन में मौजूद लैक्टिक एसिड बैक्टीर...

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Migraine Symptoms: माइग्रेन एक असहनीय सिरदर्द है जिसका इलाज सही समय पर न कराया जाए तो समस्या गंभीर हो सकती है. माइग्रेन (Migraine) का कारण लाइफस्टाइल, टेंशन या मौसम के बदलाव भी हो सकता है. कई बार ऐसा हो जाता है कि जिस सिरदर्द को हम नॉर्मल सिरदर्द समझते हैं वह असल में माइग्रेन होता है.हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस दर्द से बचने का सिर्फ एक ही तरीका है कि समय पर इसकी पहचान कर इलाज कराया जाए. आइए जानते हैं माइग्रेन के बारें में सबकुछ.बता दें कि माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम है. डॉक्टर्स के मुताबिक माइग्रेन के समय दिमाग में खून का फ्लो बढ़ जाता है इसलिए व्यक्ति को तेज सिरदर्द होता है. आप भी माइग्रेन जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो सही दवाई और अच्छी लाइफस्टाइल से आप इसे कई हद तक कंट्रोल कर सकते हैं.  माइग्रेन के संकेतमाइग्रेन होने से पहले कुछ संकेत दिखने लगते हैं. जिन्हें प्रोड्रोम कहा जाता है. सिर में हल्का सा दर्द भी माइग्रेन की शुरुआत हो सकती है. प्रोड्रोम के दौरान हल्के सिरदर्द के साथ कुछ संकेतों पर ध्यान देना चाहिए. अगर इस दौरान उबासी ज्यादा आए, यूरीन ज्यादा आए, मीठा खाने का मन होगा. ऐसे में समज जाएं कि यह माइग्रेन की शुरुआत है. - माइग्रेन के दूसरे लक्षणों पर भी ध्यान देना चाहिए. कुछ लोगों में माइग्रेन से कुछ घंटे पहले चिड़चिड़ापन होने लगता है. वे उदास हो जाते हैं. कई बार तो उनका उत्साह ही खत्म हो जाता है. इन लक्षणों के कुछ देर बाद माइ्ग्रेन होने लगते हैं. - माइग्रेन से पहले लोगों को थकान होने लगती है,  उनके नींद के पैटर्न भी बदल जाते हैं. या तो उन्हें ज्यादा नींद आने लगती है या फिर नींद ही नहीं लगती है. नींद में इस तरह के बदलाव माइग्रेन को ट्रिगर करती हैं. कई बार तेज रोशनी और आवाज से भी माइग्रेन ट्रिगर कर सकती है. - माइग्रेन में कई बार पाचन भी प्रभावित होता है. अगर कब्ज या दस्त जैसी समस्या हो रही है तो इसका कारण सिरदर्द भी हो सकता है. जब भी इस तरह के लक्षण नजर आएं तो तुरंत ही इलाज के लिए जाना चाहिए. माइग्रेन से बचने के तरीके एक्सरसाइज एक्सरसाइज  से सिरदर्द हो सकता है, हालांकि हमेशा ऐसा नहीं होता है. अगर आप माइग्रेन जैसी बीमारी से पीड़ित हैं तो आपको वर्कआउट के बाद 5 मिनट तक आपको स्ट्रेचिंग करना चाहिए. ज्यादा से ज्यादा पानी पिएंमाइग्रेन के मरीज को हमेशा डॉक्टर सलाह देते हैं कि खुद को हमेशा हाइड्रेटेड रखें. दिन में 9-12 ग्लास पानी पिएं. खाना खाने में कभी भी लंबा गैप न लेंकहा जाता है कि माइग्रेन के मरीज टाइम से ब्रेकफास्ट करें या लंच. खाने के बीच में लंबा गैप उनकी तबीयत खराब कर सकती है.  दवा का ज्यादा यूजमााइग्रेन के दर्द को रोकने के लिए एमओएच लेते हैं तो आपको इतनी सारी दवा बंद कर देनी चाहिए. साथ ही माइग्रेन के लिए जब भी आप कोई स्पेशल दवा अलग से ले रहे हैं तो आपको अफने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. बिना वार्म अप और कूल डाउन के व्यायाम करनाआप भी अगर माइग्रेन की बीमारी से परेशान हैं तो अपना काम करना बंद न करें बल्कि अपनी लाइफस्टाइल में कुछ चीजों के जोड़ लें. डॉक्टर्स के मुताबिक वार्म-अप और कूल-डाउन एक्सरसाइज के जरिए माइग्रेन को रोका या कम किया जा सकता है....

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Diabetes Warning: पिछले कुछ वर्षों में डायबिटीज के मरीजों की संख्या में काफी बढ़त देखने को मिली है. डायबिटीज (Diabetes) एक ऐसी बीमारी है जो एक बार शरीर को लग जाए तो जिंदगी भर पीछा नहीं छोड़ती है. डायबिटीज में शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या फिर जितना इंसुलिन बनता है, बॉडी उसका इतना इस्तेमाल नहीं कर पाती है. हालांकि, डायबिटीज की पहचान अगर सही समय पर कर ली जाए तो इससे आसानी निपटा जा सकता है. बता दें कि शरीर का ब्लड शुगर लेवल बढ़ने से आपको टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज, प्रीडायबिटीज और गेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या हो सकती है. बता दें कि जब आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है तो आपके पैरों में इसके लक्षण दिखाई देते हैं. अगर आपके पैरों में भी ऐसे लक्षण दिख रहे हैं तो आपको तुरंत अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच करवानी चाहिए. - पैरों के नाखूनों में फंगल इंफेक्शन अगर आपके पैरों के नाखूनों में फंगल इंफेक्शन नजर आ रही है तो आपको डायबिटीज होने का खतरा है. इस दौरान पैर के नाखून का रंग बदल जाता है. नाखून काला पड़ सकता है. कई बार चोट लगने की वजह से भी नाखून में फंगल इंफेक्शन हो सकता है. - पंजों में झुनझुनी पैरिपेरल न्यूरोपैथी नाम की एक कंडिशन पंजों में झुनझुन पैदा कर सकती है. यह अक्सर डायबिटीज वाले लोगों में होती है और इसके परिणाम स्वरूप पैरों और हाथों में संवेदना पूरी तरह खत्म हो जाती है. - एथलीट्स फूट की समस्याएथलीट्स फूट की बीमारी कई अन्य वजहों से भी हो सकती है लेकिन डायबिटीज भी इसका एक मुख्य कारण है. इस दौरान आपको खुजली, लालपन, स्किन का फटकर निकलना और फंगल इंफेक्शन की समस्या से जूझना पड़ता है. - पैरों में दर्द और सूजन अगर आपके पैरों में सूजन है और उनमें अक्सर दर्द रहता है. पैर बार-बार सुन्न पड़ जाता है तो आपको सतर्कता बरतनी चाहिए. ये डायबिटिज का संकेत हो सकता है....

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Benefits Of Pomegranate Peel: अनार सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. अनार में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पोषक तत्व पाए जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनके छिलके और कुछ नॉन एडिबल पार्ट्स भी काफी फायदेमंद होते हैं. इनमें वह पोषक तत्व मौजूद होते हैं जिनकी शायद हम कल्पना भी नहीं करते. ये बात हुई अनार के दानों की लेकिन क्या आपने अनार के छिलकों के फायदे के बारे में सुना है. हालांकि आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी अनार के छिलकों का कई स्वास्थ्य और सौंदर्य लाभों के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता रहा है तो अगली बार अपने रसोई के कूड़ेदान में अनार के छिलके फेंकने के बारे में सोचने से पहले थोड़ा जरूर सोचें. आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन अनार की तरह ही उसके छिलके भी सेहत के लिए गुणों के भंडार हैं.  हृदय के स्वास्थ्य के लिए शानदार अनार के छिलके हृदय स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं. वे रक्तचाप और  कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और समग्र हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करते हैं.  त्वचा के लिए हेल्दी अनार के छिलकों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट पराबैंगनी (यूवी) किरणों से होने वाले नुकसान से बचाकर और कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देकर त्वचा के स्वास्थ्य में योगदान कर सकते हैं. कुछ त्वचा देखभाल उत्पादों में इन कारणों से अनार के अर्क को शामिल किया जाता है. सूजन रोकता है अनार के छिलकों में उपलब्ध एंटीऑक्सिडेंट सूजन-रोधी प्रभाव में योगदान कर सकते हैं, संभावित रूप से क्रॉनिक सूजन से जुड़ी स्थितियों में मदद कर सकते हैं. पाचन को मजबूत करे अनार के छिलकों में डाइटरी फाइबर होता है, जो पाचन के लिए फायदेमंद होता है. फाइबर मल त्याग को नियंत्रित करने में सहायता करता है और पेट के गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है.  कैसे करें अनार के छिलकों का उपयोग?- अनार के दाने निकालने के बाद उसके छिलके अलग कर लें. - छिलकों को कम से कम 2 से 3 दिनों के लिए, या जब तक वे पूरी तरह से सूख न जाएं, किसी खिड़की के पास रखें जहां सीधी धूप आती हो. - सूखे छिलकों को ब्लेंडर या फूड प्रोसेसर में डालें और उन्हें तब तक पीसें जब तक वे बारीक पाउडर में न बदल जाएं. - पाउडर को कमरे के तापमान पर एक एयरटाइट कंटेनर में रखें और फिर इस पाउडर किसी जूस, शेक या स्मूदी में मिलाकर सेवन किया जा सकता ह....

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Walnut Benefits: अखरोट(Walnut) का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. इसे खाने याददाश्त और ब्रेन पावर बढ़ती है. अखरोट का सेवन बॉडी में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है और बॉडी को हेल्दी रखता है.अखरोट में मौजूद पोषक तत्वों की बात करें तो इसमें विटामिन ई और विटामिन बी 2,प्रोटीन,फोलेट, फाइबर और जरूरी खनिज जैसे मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, ताबां और सेलेनियम मौजूद होता है जो अच्छी सेहत के लिए जरूरी है. अखरोट को दिन में किसी भी वक्त खाया जा सकता है. लेकिन सुबह खाली पेट इसे खाने से काफी ज्यादा फायदेमंद होता है. खाली पेट अखरोट काफी ज्यादा फायदेमंद होता है. चाहे वह महिला हो या पुरुष अखरोट खाने के फायदे मिलते है.किसी भी उम्र के लोग आराम से अखरोट खा सकते हैं.  - अखरोट में सोडियम, संतृप्त वसा और ट्रांस फैट कम होता है जो दिल को हेल्दी रखता है. अखरोट में विटामिन ए और विटामिन सी,आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन या डाइटरी फाइबर भी मौजूद होता है जो दिल की सेहत को दुरुस्त करता है. - अखरोट के सेवन से याददाश्त दुरुस्त रहती है और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. रोजाना अखरोट खाने से सूजन को कम करने और फ्री रेडिकल को दूर रखने में मदद मिलती है, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और समय के साथ अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया का कारण बन सकते हैं. - अखरोट खाने से स्ट्रेस, चिंता और अवसाद की बीमारी भी दूर हो जाती है. आजकल लोगों में सबसे आम समस्या है नींद की बीमारी. ऐसे लोगों को रोज अखरोट खाना चाहिए. ताकि उनका स्ट्रेस दूर हो जाए और नींद भी आए.  - खाली पेट अखरोट से पाचन तंत्र अच्छा होता है साथ ही कब्ज की समस्या भी दूर होती है. अखरोट में फाइबर काफी ज्यादा होता है. फाइबर से भरपूर खाना आंतों में खाना पचाने के काम करती है.   ...

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Banana in Winters: केला एक ऐसा फल है जो शरीर को भरपूर एनर्जी देने का काम करता है.  केले में पोटेशियम (potassium) होता है जिसे खाना, सोडियम इफेक्ट को कम करने में मदद करता है. हालांकि, सर्दियों के मौसम में अगर आपको सांस की कोई बीमारी है या फिर खांसी या सर्दी-जुकाम है तो रात में केला नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह बलगम या कफ के संपर्क में आने पर जलन पैदा करता है.हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर आपको साइनस की समस्या है तो भी आपको इसे सीमित मात्रा में खाना चाहिए. आइए जानते हैं कि एक्सपर्ट्स की इस राय के पीछे क्या वजह है. - केले में सभी जरूरी विटामिन और मिनरल्स जैसे पोटेशियम, कैल्शियम, मैंगनीज, मैग्नीशियम, आयरन, फोलेट, नियासिन, राइबोफ्लेविन और बी 6 पाए जाते हैं. ये सभी पोषक तत्व स्वस्थ और शरीर के फंक्शन को सही रखते हैं. - केला फाइबर से भरपूर होता है. घुलनशील फाइबर में पाचन को धीमा करने की प्रवृत्ति होती है. इससे पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है. यही वजह है कि ज्यादातर लोग ब्रेकफास्ट में केले खाना पसंद करते हैं ताकि उन्हें भूख जल्दी ना लगे.  - केला खाने से दिल की बीमारियों और हाई ब्लड प्रेशर से बचा जा सकता है.केले में मौजूद पोटेशियम दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है, साथ ही दिमाग को भी सतर्क रखता है.  - विटामिन और फाइबर से भरपूर होने के साथ ही केले आधी रात में लगने वाली भूख को भी मिटाने का काम करते हैं. अगर आप शाम को जिम जाते हैं या किसी तरह की एक्सरसाइज करते हैं तो उसके बाद एक केला खाने की आदत डालें. - शाम के समय केला खाना एक अच्छी आदत है. पोटेशियम से भरपूर केला दिन भर की थकान के बाद मांसपेशियों को आराम देने में मदद करता है. देर शाम एक या दो केले खाने से थकान उतरती  है और नींद अच्छी आती है....

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Calcium rich foods: कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए दूध पीना ज़रूरी होता है. लेकिन दूध पीना हर किसी को पसंद नहीं होता है.वहीं, कुछ लोगों को दूध में पाए जानेवाले लेक्टॉस से एलर्जी होती है. ऐसे में आपको दूध पीना पसंद नहीं तो आप दूसरे तरीके से भी इसकी कमी को पूरी कर सकते हैं. एक व्यक्ति को हर दिन कितने कैल्शियम की जरूरत है यह उसके जेंडर, शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है. एक व्यक्ति को 500 से 2000 मिलीग्राम तक की जरूरत पड़ती है.बच्चों के 500 से 700 से तक की जरूरत पड़ती है वहीं अडलट्स और प्रेग्नेंट महिलाओं के एक हजार मिलीग्राम की जरूरत पड़ती है.  दूध के अलावा इन फूड्स में है ढेर सारा कैल्शियम   - बादाम खाकर भी आप अपने शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा कर सकते हैं. इसके लिए रात को कम से कम 12 बादम भिगो दें और सुबह इनका छिलका उतारकर खा लें. इससे आंतों में पहुंचने के बाद इन्हें पीसना और शरीर में अच्छी तरह इनकी खूबियों को सोखना आसान होता है. आप चाहें तो बादाम मिल्क भी बना सकते हैं. - संतर को विटमिन-सी के शानदार सोर्स के रूप में ज्यादा जाना जाता है. लेकिन संतरे में कैल्शियम भी अन्य फ्रूट्स की तुलना में काफी हाई होता है. इसलिए कोशिश करें कि न्यूट्रिशन से भरपूर डायट के साथ ही हर दिन कम से कम 2 संतरे जरूर खाएं. - एक ग्लास सोया मिल्क में गाय या भैस के दूध से कहीं अधिक कैल्शियम और प्रोटीन होता है. आप चाहें तो इससे कॉफी और दही बनाकर भी इसका उपयोग कर सकते हैं. - एक कटोरी हरी पत्तेदार सब्जी में करीब 100 मिलीग्राम कैल्शियम होता है. ऐसे में  ग्रीन सैलेड, बीन्स सैलेड और हरी पत्तेदार सब्जियों के सेवन से शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा कर सकते हैं. प्रतिदिन कम से कम एक पत्तेदार सब्जी का सेवन जरूर कर लें. - बीन्स की सलाद या सब्जी का नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं. हमारे देश में कई तरह की बीन्स होती हैं। तो हर दिन अलग तरह की बीन्स की सब्जी खाएं. टेस्ट भी बदलता रहेगा और सेहत भी बनी रहेगी. ...

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Nose Bleeding Reasons: नाक से खून आने को लोग आम बात समझते हैं. लेकिन, कई बार ये कुछ बीमारियों से जुड़ा हो सकता है.कई बार हाई ब्लड प्रेशर के कारण नाक से खून आने लगता है.जब ब्लड प्रेशर ज्यादा हो जाता है तो नाक की नसों पर दबाव पड़ता है और वे फटने लगती हैं. जब ब्लड प्रेशर ज्यादा हो जाता है तो नाक की नसों पर दबाव पड़ता है और वे फटने लगती हैं. इस वजह से नाक से खून बहने लगता है.नक् से खून आना एक गंभीर लक्षण माना जाता है. हाई ब्लड प्रेशर कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. इससे हृदय रोग, स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. आइए जानते हैं इसके और भी लक्षण. - जब व्यक्ति को हाई बीपी हो जाता है, तो सबसे पहले सिर में दर्द होने लगता है. यह सिरदर्द कभी एक तरफ सिर में, कभी पूरे सिर में या फिर कभी-कभार हो सकता है. कुछ लोगों को सुबह उठते ही सिरदर्द होती है तो कुछ को दिनभर में कई बार सिरदर्द का एहसास होता रहता है.  - सिरदर्द की वजह ये है कि जब बीपी बढ़ जाता है तो दिमाग में जाने वाली धमनियों पर दबाव पड़ता है, जिससे सिर में दर्द होता है. ऐसे में सिरदर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत हाई बीपी की जांच करवा लेनी चाहिए. - हाई ब्लड प्रेशर के कई लक्षणों में से चक्कर आना भी एक सामान्य लक्षण है. जब शरीर में ब्लड प्रेशर का स्तर बढ़ जाता है, तो दिमाग में जाने वाली धमनियों पर दबाव पड़ता है.इस वजह से दिमाग में पर्याप्त रक्त संचार नहीं हो पाता और व्यक्ति को चक्कर का अनुभव होने लगता है.  - हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप होने पर कई लोगों को कानों में अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगती हैं. कुछ लोगों को कानों में घनघनाहट या बजन की आवाज सुनाई देती है तो कुछ को कानों में गूंजने जैसी आवाजें आती हैं. ये आवाजें इसलिए सुनाई देती हैं क्योंकि हाई ब्लड प्रेशर के कारण कान की धमनियों में रक्त का प्रवाह तेज़ी से और जोर से होने लगता है. ...

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Good Health Tips: फल सेहत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होते है. रोजाना फल खाने चाहिए इससे शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं. दरअसल, फल विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व से भरपूर होता है. जो शरीर को कई तरह की बीमारी से बचाता है. संतरा, नींबू, अंगूर और कीनू ये सभी खट्टे फल हैं जो अपने शानदार स्वाद के लिए जाने जाते हैं. यह एक शक्तिशाली एंटी-ऑक्सिडेंट है जो प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करता है और कोलेजन बढ़ाने में भी मदद करता है. लेकिन क्या आप जानते है कि फल खाने का सही वक्त क्या होता है? बता दें कि फल खाने का सही वक्त सुबह के नाश्ते के बाद और दोपहर के खाने के पहले का होता है. वहीं रात के वक्त फल खाने से बचना चाहिए. क्योंकि यह आपके पेट में गैस, एसिडिटी और ब्लोटिंग की दिक्कत बढ़ाती है.  - फल अम्लीय होते हैं और दोपहर के भोजन के तुरंत बाद इनका सेवन कुछ व्यक्तियों के लिए पाचन को खराब कर सकता है. एसिडिटी के कारण बेचैनी, अपच या सीने में जलन हो सकती है, खासकर एसिड रिफ्लक्स से ग्रस्त लोगों को ऐसा करने से बचना चाहिए. - कुछ व्यक्तियों को भोजन के बाद फल खाने पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉबल्मस जैसे पेट में दर्द, सूजन या गैस हो सकती है. खासकर अगर उनका पाचन तंत्र संवेदनशील हो. इसलिए ऐसे लोगों को भूलकर भी खट्टे फलों का सेवन खाने के साथ नहीं करना चाहिए. - भोजन के बाद सीधे सेवन करने पर फलों में कुछ कंपाउंड्स की मौजूदगी विशिष्ट पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा उत्पन्न कर सकती है. इससे आवश्यक खनिजों और विटामिनों की कमी शरीर में होती है और आपको फल खाने का फायदा भी नहीं होता है. 

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Blood Sugar Controling Tips: ब्लड शुगर का बढ़ना या घटना दोनों ही स्वास्थ्य के लिए समस्याकारक स्थिति मानी जाती है. लंबे समय तक शुगर का लेवल बढ़े रहने से शरीर के अन्य अंगों जैसे आंखें, हार्ट, किडनी पर भी नकारात्मक असर हो सकता है. ज़्यदातर डायबिटीक के शिकार लोगों में  शुगर लेवल अधिक होने की समस्या देखी जाती है. लेकिन, शुगर बढ़ने की तरह ही इसका लो होना भी आपके लिए बड़ी मुश्किलों का कारण बन सकता  है. यह गंभीर खतरे का  संकेत देती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा बहुत ज़्यदा होता है. ये ज्यादातर डायबिटीज के ऐसे मरीजों में देखने को मिलता है, जो पहले से ही डायबिटीज का इलाज करवा रहे होते हैं.अगर समय पर इलाज न मिले तो झटके आना, जबड़े सख्त होना, समझने में कमी और कोमा का खतरा हो सकता है. यही कारण है कि डायबिटीज मरीजों को रेगुलर तौर पर शुगर की जांच करवाने की सलाह दी जाती है. कैसे होता है हाइपोग्लाइसीमियाजब ब्लड शुगर यानी ग्लूकोज का लेवल फिजिकल तौर पर  कम हो जाता है तब हाइपोग्लाइसीमिया होता है. डायबिटीज की दवा ज्यादा होने या सुलिन लेने के साथ शुगर कम करने वाले अन्य उपाय हाइपोग्लाइसीमिया की वजह बन सकते हैं. खाली पेट ज्यादा शराब पीने से अचानक से शुगर लेवल नीचे आ जाता है. अगर किसी बीमारी की वजह से शरीर ज्यादा मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन करने लगे तो हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है.  शुगर लो होने पर क्या करें अचानक से शुगर लेवल कम हो जाए तो तुरंत 15 से 20 ग्राम तेज काम करने वाले कार्बोहाइड्रेट या मीठे बिस्किट देना चाहिए. इसके अलावा फलों का रस, सोडा, शहद या मीठी कैंडी भी शुगर बढ़ाने में काम आ सकती हैं. जैसे ही थोड़ा आराम मिले तुरंत डॉक्टर के पास मरीज को ले जाना चाहिए. ...

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Blood Clot in Winters: हमारे शरीर में सबसे ज्यादा खून की जरूरत दिमाग को ही पड़ती है. दिल जब खून पंप करता है तो वह शरीर के बाकी हिस्सों के साथ दिमाग तक भी पहुंचता  है.उस खून को दिमाग के हर हिस्से तक पहुंचाने का काम खून की नलियां करती हैं.बात करें सर्दियों की तो इस मौसम में ब्लड क्लॉट बनने की समस्या काफी ज्यादा होती है. शरीर में खून के थक्के बनने से हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक आने का खतरा रहता है. साथ ही हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के मामले भी काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. आइए जानते हैं आखिर सर्दियों में ब्लड क्लॉट (Blood Clot) क्यों होता है और इससे कैसे बच सकते हैं.  एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सर्दी के मौसम में नसों के सिकुड़ने का जोखिम हो सकता है. इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जो ब्लड क्लॉट बनाने का कारण हो सकता है. जब शरीर लंबे समय तक कम तापमान में रहता है तो खून के थक्के जमने का रिस्क बढ़ जाता है.   ब्लड क्लॉट बनने  के कारण - सर्दियों में प्यास कम लगने से लोग लिक्विड कम लेते हैं. जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है. ब्लड क्लॉट का यह भी एक कारण है. सर्दियों में रेस्पिरेटरी इंफेक्शन होने से भी शरीर में सूजन आ सकती है और खून के थक्के जम सकते हैं. - सर्दियों में अक्सर लोग बाहर जाना कम कर देते हैं और घर में ही रहते हैं. ऐसे में उनकी शारीरिक एक्टिविटीज कम हो जाती है. इससे शरीर एक्टिव नहीं रह पाता है. कम शारीरिक गतिविधि की वजह से मोटापा और हाई बीपी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इससे हार्ट अटैक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. ब्लड क्लॉट बनने से कैसे रोकें- दिन में कम से कम 7- 8  गिलास पानी जरूर पिएं.- सुबह जल्दी उठ कर एक्सरसाइज करें.- छाती या सिर में अचानक तेज दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. ...