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Shankh Benefits: शंख बजाने की प्रथा हिंदू धर्म में सदियों से चली आ रही है. शंख की नादब्रह्म ध्वनि से आध्यात्मिक शांति तो मिलती ही है, साथ ही इससे कई स्वास्थ्य लाभ भी जुड़े हुए हैं.शंख धार्मिक ही नहीं बल्कि वास्तु और स्वास्थ के लिए भी लाभकारी बताया गया है.इसकी आवाज से वातावरण शुद्ध होता है बल्कि बजाने वाले को शरीरिक लाभ भी मिलता है.इसके साथ ही कई रोगों को दूर करने के साथ चेहरे की चमक भी बढ़ाता है.अबतो इसका लाफ कोरोना संक्रमण से ठीक हुए रोगी भी उठा रहे हैं. इसको रोजाना बजाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है, तनाव दूर होता है और चेहरे की रौनक बढ़ती है. अतः अपने स्वास्थ्य और सौंदर्य को बेहतर बनाने के लिए रोजाना शंख बजाना शुरू करें. आइए जाते हैं शंख बजाने के अनेक फायदे. 1.तनाव होगा दूर आधुनिक जीवनशैली में तनाव एक आम समस्या है. काम का बोझ, घर और परिवार की जिम्मेदारियां हमें मानसिक रूप से थका देती हैं. ऐसे में शंख बजाना एक अच्छा विकल्प है. शंख से निकलने वाली पवित्र ध्वनि शरीर और दिमाग को शांत करने में मदद करती है. इससे तनाव और चिंता दूर होती है और मन शांति महसूस करता है. अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए रोजाना शंख बजाना शुरू करें.  2.गैस की बीमारी नहीं होती प्रतिदिन शंख बजाने का सीधा असर रेक्टल मसल्स पर होता है, इससे वो सिकुड़ती और फैलती है. इससे पेट की एक्सरसाइज होती है और गैस की बीमारी खत्म हो जाती है.शंख की तेज आवाज से शरीर के अंदरूनी अंग सक्रिय होते हैं और रेक्टम की मांसपेशियाँ सिकुड़ने-फैलने लगती हैं. इससे उनमें रक्त संचार बढ़ता है और वे मजबूत होती हैं.  3.फेफड़ों को मिलती मजबूतीफेफड़े हमारे शरीर का एक अहम हिस्सा हैं जो सांस लेने में सहायक होते हैं. कई बार प्रदूषण या अन्य कारणों से फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है. शंख बजाने से फेफड़ों को लाभ होता है. शंख की आवाज़ से फेफड़ों में रक्त संचार बढ़ता है जिससे वे मजबूत होते हैं.  4.चेहरे की झुर्रियां कम होती हैशंख बजाने से चेहरे की झुर्रियों में कमी आती है. शंख की आवाज़ चेहरे की मांसपेशियों को उत्तेजित करती है जिससे रक्त संचार बेहतर होता है.नियमित रूप से शंख बजाने से चेहरे की झुर्रियां कम होती हैं और चेहरे पर निखार आता है.   

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Baby Corn Benefits: बेबी कॉर्न सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती  है. बेबी कॉर्न एक ऐसी सुपरफूड है जिसे हमें अपने रोजाना आपको अपने भोजन में शामिल करना चाहिए. लोग पिज्जा, पास्ता, नूडल्स ऐसी चीजें हैं जिनमें हम कॉर्न का इस्तेमाल कर बड़े चाव से खाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी बेबी कॉर्न को ट्राई किया है.बेबी कॉर्न में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. बेबी कॉर्न में विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर होते हैं जो हमें कैंसर, दिल की बीमारियों, मोटापा और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से बचाते हैं. बेबी कॉर्न को डाइट में शामिल कर कई स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं. तो चलिए आज हम आपको बेबी कॉर्न से मिलने वाले फायदे बताते हैं. 1.आंखों की दृष्टि के लिएबेबी कॉर्न में कैरोटेनॉयड्स या टेट्राटापेनोइड्स यौगिक मौजूद होते हैं जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं और आपकी दृष्टि को प्रभावी रूप से सुधारने में मदद करते हैं. मोतियाबिंद के जोखिम को कम करने के लिए कैरोटीनॉयड भी एक अच्छा विकल्प है जो बेबी कॉर्न में मौजूद होता है. इसलिए अपनी आंखों की दृष्टि को सुचारु बनाए रखने के लिए अपने आहार में बेबी कॉर्न को जरूर शामिल करें. 2. कैंसर में मददबेबी कॉर्न में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकते हैं. दूसरे फलों और सब्जियों के साथ पकाने से बेबी कॉर्न के एंटीऑक्सीडेंट और भी बढ़ जाते हैं. इसमें फेरुलिक एसिड भी होता है जो कैंसर से लड़ने में मदद करता है. यह स्तन कैंसर और लिवर कैंसर जैसे कैंसर से बचाव करता है. बेबी कॉर्न का सेवन करने से हम कैंसर जैसी बीमारियों से बच सकते हैं.  3. एनीमिया मरीजों के लिए फायदेमंदबेबी कॉर्न एनीमिया (कम रक्ताल्पता) से लड़ने में मदद करता है. बेबी कॉर्न में लोहे की उच्च मात्रा होती है जो हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है. हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने का काम करता है. इसलिए, बेबी कॉर्न का सेवन एनीमिया यानी खून की कमी से पीड़ित लोगों को फायदा पहुंचा सकता है. यह उनके रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाकर एनीमिया को दूर करने में मदद करता है.  4. डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद बेबी कॉर्न में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है जो इसे डायबिटीज वाले लोगों के लिए बहुत फायदेमंद बनाता है. यह धीरे-धीरे पचता है और ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मदद करता है. बेबी कॉर्न में मौजूद फाइबर भी ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायक है.  5. पाचन को सुचारु बनाएबेबी कॉर्न में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इसलिए यह पोषक तत्व पाचन की प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है. अगर आप इस फ़ूड को आहार में शामिल करते हैं तो यह पाचन को सुचारु बनाने के साथ मल त्याग की प्रक्रिया में भी सहायक होता है.

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Spinach Side Effects: पालक शुरू से ही हेल्दी डाइट प्लान का हिस्सा है.पालक (Palak) में वो सभी आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को बेहतर बनाने का काम करते हैं. इसमें आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व कूट-कूटकर भरे हुए हैं.यह न केवल आंखों के स्वास्थ्य में सुधार करता है, बल्कि ब्लड प्रेशर भी कम करता है.  पालक को नियमित तौर पर खाने से बीपी कंट्रोल होती है, आंखें हेल्दी रहती हैं, डायबिटीज में आराम मिलता है, दिल की सेहत दुरुस्त रहती है, पाचन बेहतर बनती है और वजन तेजी से कम हो सकता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप इसे जब चाहे और जितना भी चाहे, खा सकते हैं. क्योंकि यह फायदे की जगह नुकसान (Palak Ke Nuksan) पहुंचा सकता है. आइए जानते है किन लोगों को नहीं खाना चाहिए पालक 1. एलर्जी में नहीं खाना चाहिए पालकअगर किसी में एलर्जी की समस्या है तो उन्हें पालक से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. डॉक्टर के मुताबिक, पालक में हिस्टामिन पाया जाता है, जिसे खाने से कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या हो सकती है. इसलिए उन्हें पालक को अवॉयड (Spinach Side Effects) करना चाहिए. वरना समस्या बढ़ सकती है.  2. गैस की शिकायत पालक फाइबर का एक अच्छा सोर्स है, लेकिन इसका ज़रूरत से ज़्यदा सेवन भी शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है. इसका अधिक सेवन पेट में दर्द और गैस की शिकायत पैदा कर सकता है. 3. किडनी में स्टोन होने परअगर किसी की किडनी में स्टोन यानी पथरी है या पहले कभी पथरी रही है तो ऐसे लोगों को भी पालक नहीं खाना चाहिए. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, किडनी स्टोन की हिस्ट्री वाले लोग अगर पालक का सेवन करते हैं तो उनकी किडनी में दोबारा से पथरी बन सकती है, जो काफी परेशानी खड़ी कर सकती है. 4. इस तरह की दवाईयां खाने वालेहेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जो लोग खून को पतला करने की दवाईयां खा रहे हैं, उन्हें भूलकर भी पालक से बनी कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए. क्योंकि पालक में विटामीन K पाया जाता...

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Benefits of Ghee in Winter: सर्दियों के मौसम की शुरुआत होने जा रही है. इस बदलते मौसम में जरूरी है कि आप अपना ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखें. कहते हैं न बदलते मौसम में अच्छे-अच्छों की इम्युनिटी विक हो जाती है. ऐसे में तबियत खराब होने के चांसेस बढ़ जाते हैं. आपको बदलते मौसम में बीमारियों से निजात चाहिए तो कुछ ऐसा रामबाण इलाज ढूंढ़ना होगा जिसके इस्तेमाल से आप पूरे दिन ठीक रह सकते हैं. कई लोगों को इस मौसम में इतनी बार बुखार हो जाता है कि उन्हें बार-बार दवा खाना पड़ता है. ऐसे में हम आपके लिए लाए हैं कुछ खास टिप्स. इस मौसम में बार-बार सर्दी, खांसी और बुखार होना एक आम समस्या है.  पोषक तत्वों से भरपूरघी आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसमें विटामिन ए, डी, ई और के, साथ ही स्वस्थ फैटी एसिड भी शामिल हैं. ये पोषक तत्व इम्युनिटी को मजबूत बनाती है और आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं. घी के इस्तेमाल से दूर रहती है सर्दी-खांसीशिखा के अनुसार घी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल दोनों तरह के गुण होते हैं, जो इसे खांसी और जुकाम के इलाज में कारगर बनाता है. शुद्ध गाय के घी की कुछ गर्म बूंदों को नाक में डालने से सर्दी-खांसी में तुरंत राहत मिल सकती है. डाइजेशन में करता है सुधारघी में कई तरह के पोषक तत्व भी होते हैं. यह आंत को हेल्दी बनाये रखता है.घी खाने से डाइजेशन की समस्या दूर होती है. अपनी रोटी में एक चम्मच घी मिलाने से रोटी न केवल नरम हो जाती है बल्कि कब्ज की समस्या भी दूर हो जाती है. शरीर को गर्म रखने में मदद करता हैसर्दियों में घी खाने से शरीर अंदर से गर्म रहता है. घी का हाई स्मोक पॉइंट इ...

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Reasons to eat garlic empty stomach: लहसुन हर घर की रसोई में आसानी से मिलने वाले व्यंजनों में से एक है. दालें से लेकर सब्जियां तक हर चीज़ में लहसुन का प्रयोग होता है. व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के अलावा, लहसुन के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी है. लेकिन अधिकतम लाभ पाने के लिए लहसुन का सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है आइए जानते हैं.लहसुन का सेवन करने से कई खतरनाक बीमारियां दूर हो जाती हैं. इसलिए रोजाना सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली खाने से आप इन बीमारियों से बच सकते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में. 1. ब्लड प्रेशर और ब्लड क्लॉट को कंट्रोल करने में फायदेमंदखाली पेट लहसुन खाने से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो ब्लड प्रेशर को स्थिर रखने में सहायक होते हैं. यह ब्लड में क्लॉट बनने की संभावना को कम करता है. लहसुन रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है जिससे ब्लड क्लॉटिंग का खतरा कम होता है. 2. कैंसर से करता है बचाव लहसुन एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबायोटिक और एंटी-कैंसर गुणों से युक्त होता है. रोजाना सुबह खाली पेट कच्चा लहसून की कलियों को खाने से कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है.  3. कोलेस्ट्रॉल औरल हृदय रोगियों के लिए फायदेमंदखाली पेट लहसुन खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है. लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं. यह हृदय रोग के जोखिम को कम करने में भी फायदेमंद होता है. लहसुन खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है. 4. संक्रमण से बचाएंलहसुन एक बेहतरीन प्राकृतिक एंटीबायोटिक है. जिसके कारण रोजाना सुबह खाली पेट लहसुन का सेवन करने से बार-बार होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है. 5. उच्च रक्तचाप को करता है नियंत्रित करता है लहसुनलहसुन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायता करता है. प्रतिदिन खाली पेट लहसुन का सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से छुटकारा पाया   जा सकता है.  6. सर्दी और खांसी के इलाज में लाभदायक अगर आपको लगातार सर्दी और खांसी की समस्या रहती है तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लहसुन का सेवन कर सकते हैं....

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Fasting Benefits: नवरात्रि का समय मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. नवरात्रि के मौके पर भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास से मां की आराधना करते हैं उनके व्रत करते है जिस से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और उन पर अपनी कृपा भी बरसाती हैं. अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने जा रहे हैं तो इस व्रत के फायदों के बारे में जान लीजिए. कई मायनों में ये आपके शरीर के लिए अच्छा होता है.तो एक बार इसके फायदों के बारे में भी जान लें. नवरात्रि का उपवास रखने से शरीर को मिलते हैं ये फायदे वजन कम करने में मददउपवास या व्रत वजन कम करने में मददगार साबित होता है. व्रत के दौरान कैलोरी इनटेक कम होने से शरीर का वजन घटता है. इसके अलावा, व्रत से पाचन प्रक्रिया भी बेहतर होती है जिससे वज़न नियंत्रण में रहता है. लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि व्रत के बाद संतुलित आहार लेना चाहिए ताकि वजन फिर से बढ़ने न पाए.  डिटॉक्सीफाई होती है बॉडीव्रत के दौरान अगर व्यक्ति खाद्य पदार्थों की जगह तरल पदार्थों यानी कि लिक्विड का सेवन करें तो उसकी बॉडी डिटॉक्सीफाई होगी. व्रत रखने से पेट संबंधी और त्वचा संबंधी समस्याएं भी कम परेशान करती हैं. अधिक उर्जावान बनाता है व्रत के दौरान पाचन तंत्र को आराम मिलता है और ऊर्जा की खपत कम होती है. इससे शरीर में ऊर्जा संचित होती है.व्रत से शरीर में इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है जिससे ऊर्जा लेवल बढ़ जाता है. यही नहीं  व्रत से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और हार्मोन का स्तर संतुलित होता है जिससे ऊर्जा बढ़ती है.  मानसिक तनाव होगा कमउपवास करने से दिमाग शांत रहता है. व्रत में हम तामसिक भोजन का सेवन नहीं करते हैं. जिसके कारण दिमाग में शांति का भाव पैदा होता है. व्रत करने से डिप्रेशन और मस्त‍िष्क से जुड़ी कई समस्याओं में फायदा होता है. हृदय रोगों के लिए सहायक जर्नल ऑफ साइंस एंड सोसाइटी में प्रकाशित एक शोध में 110 मोटापे से पीड़ित वयस्कों पर 8 हफ़्तों तक हर तीसरे दिन व्रत करवाया गया. अध्ययन के अंत में, सभी व्यक्ति में खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स में 25% तक कमी देखी गई. साथ ही, उच्च रक्तचाप की समस्या 32% तक कम हुई और हृदय रोगों का जोखिम को भी कम किया . त्वचा की चमक रहेगी बरकरारव्रत में बहुत ही सादा खाना खाया जाता है. ऐसा खाना खाने से शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकलते हैं और त्वचा की खोई चमक वापस लौट आती है. नवरात्रि के व्रत में एल्कोहल, सिगरेट सब कुछ बंद हो जाता है. अनाज की जगह फल खाते हैं, जिससे पेट की सेहत दुरुस्त रहती है. कब्ज, ब्लोटिंग, गैस, अपच की समस्या नहीं होती है. फास्ट रखते समय ध्यान रखें ये बातें फास्ट के दौरान कुछ आवश्यक पोषक तत्वों को लेना जरूरी है वरना व्रत करना आपके लिए तकलीफदेह हो सकता है. व्रत के बाद आप जब भी कुछ खाएं, कोशिश करें कि वो पौष्ट‍िक होना चाहिए. बहुत ज्यादा आलू जैसी चीजें न खाएं, वरना वजन घटने के बजाय बढ़ जाएगा.   ...

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Seasonal Affective Disorder: इन दिनों बदलते मौसम के साथ लोगों को कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो रही हैं. बदलती जीवनशैली का असर लोगों की मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर भी देखने को मिल रहा है. इसे सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर (Seasonal Affective Disorder) कहा जाता है. कुछ लोग इसे विंटर डिप्रेशन भी कहते हैं. सर्दी की शुरुआत में इसके केस बढ़ने शुरू होते हैं.  अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका है, इसलिए अब सावधान होने का समय आ गया है. इन दिनों व्यवहार और मानसिक सेहत में भी बदलाव देखने को मिलते हैं. बहुत से लोग निराश और उदासी के शिकार हो जाते हैं.अगर आप भी यह सुनकर चौंक गए हैं, तो आपको बता दें कि यह पूरी तरह सच है.आइए जानते हैं इस डिसऑर्डर के बारे में. सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर क्या होता हैसीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी) एक प्रकार का डिप्रेशन है, जो मौसम में बदलाव से जुड़ा हुआ है. एसएडी हर साल लगभग एक ही समय पर शुरू और समाप्त होता है. ज्यादातर लोगों में इसके लक्षण पतझड़ में शुरू होते हैं और सर्दियों के महीनों तक जारी रहते हैं, जिससे आपकी एनर्जी कम हो जाती है और आपको मूड स्विंग्स होने लगते हैं.बारिश से ठंड तक जब तापमान में गिरावट आने लगती है तब इस तरह के लक्षण नजर आते हैं. पूरी सर्दियां ऐसा ही बना रहता है और फिर गर्मी का मौसम आते ही सबकुछ सामान्य हो जाता है. पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में यह समस्या देखने को मिलती है. सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षण- एनर्जी कम होना- हमेशा सुस्ती महसूस होना- सोने में परेशानी होना- भूख कम या ज्यादा लगना- वजन में बदलाव होना- मन में आत्महत्या का विचार आना- लोगों से अलग रहना- बेचैनी महसूस होना - चिंता, गुस्सा और व्यवहार में बदलाव सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर से बचाव और इलाजसीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर यानी एसएडी को रोकने का कोई तरीका नहीं है. हालांकि, कुछ तरीकों से इसके लक्षणों को गंभीर होने से पहले ही रोका जा सकता है. इन तरीकों में निम्न शामिल हैं-1. सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर के लेवल के अनुसार उसका इलाज होता है. टिपिकल ट्रीटमेंट एंटी डिप्रेसेंट दवाईयों, लाइट थेरेपी, विटामिन डी और काउंसिलिंग से इलाज.2. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं, सही चीजें ही खाएं, 3. फिजिकल एक्टिव रहें, सूर्य की रोशनी में कुछ समय बिताएं, वजन को मेंटेन रखें.4. शराब-सिगरेट से दूरी बनाएं....

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Bitter Gourd Seeds Face Pack: करेला हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स भी डायबिटीज के मरीजों को करेला खाने की सलाह देते हैं. केवल करेला ही नहीं इसके बीजों में भी बहुत फायदे छिपे हैं. करेले की बीज त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. इनमें मौजूद विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स त्वचा को हेल्दी रखने में मदद करते हैं. करेले के बीजों का फेस पैक बनाकर लगाने से त्वचा पर निखार आता है और यह झाइयों को कम करने में भी मददगार साबित होता है. इसलिए, स्वस्थ और खूबसूरत त्वचा के लिए करेले के बीज का फेस पैक ट्राई आप ट्राई कर सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे बनाएं करेले के बीज का फेस पैक. करेले के बीजों का पैक कैसे बनाएं सामग्री:2 चम्मच करेले के बीज1 चम्मच शहद1 चम्मच दही- सबसे पहले करेले के बीजों को अच्छी तरह धो लें और इन्हें ब्लेंडर में पीस लें.- अब इसमें शहद और दही मिलाएं और अच्छे से मिक्स कर लें.- इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट तक छोड़ दें.- फिर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें.- सप्ताह में 2-3 बार ऐसा करने से त्वचा नरम, चमकदार और निखरी हुई नजर आएगी.- इस पैक को 1 हफ्ते तक फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है. करेले के बीजों को त्वचा पर लगाने के फायदे  1. ओमेगा 3 फैटी एसिड त्वचा की नमी कायम रखते हैं.2. मैग्नीशियम और जिंक मौजूद होने से ये मुंहासों और झाइयों को कम करते हैं.3. विटामिन सी त्वचा में कोलाजन उत्पादन को बढ़ाता है जिससे त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी होती है.4. करेले के बीज त्वचा को डीप क्लीन करते हैं और इस पर निखार लाते हैं.5. इसलिए करेले के बीज लगाने से त्वचा स्वस्थ, खूबसूरत और युवा दिखती है....

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Smartphone For Eyes : अगर आप भी दिनभर अपने मोबाइल फोन से चिपके रहते हैं तो सावधान हो जाइए. क्योंकि यह आपकी आंखों की रोशनी भी छीन सकता है.भले ही हमारे दिनभर का ज्यादातर काम मोबाइल फोन से जुड़ा हुआ होता है लेकिन  हेल्थ एक्सपर्ट्स भी स्मार्टफोन के साइड इफेक्ट्स से सावधान करते हैं. क्योंकि इससे जुड़ी समस्याएं काफी गंभीर (Smartphone Side Effects) हो सकती हैं. स्मार्टफोन का अधिक उपयोग करने से शरीर को  कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फोन की स्क्रीन के संपर्क में ज्यादा रहना खतरों से भरा हुआ है.जानें ज्यादा फोन चलाना क्यों खतरनाक है. स्मार्टफोन से आंखों को बचाएंज्यादा देर तक मोबाइल फोन चलाने से आंखों की रोशनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसकी वजह से ड्राई आइज की समस्या हो सकती है. आपकी यह आदत ग्लूकोमा के खतरे को भी बढ़ा सकता है, जो अंधेपन का कारण भी बन सकता है. स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट्स आंखों के लिए खतरनाक होती हैं. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाईमोबाइल फोन की आभासी दुनिया हमें विचलित करने वाली होती  है. छात्रों को यह आकर्षक लगता है और वे इसमें घंटों खोए रहते हैं. जिसका सीधा असर उनकी मनोस्थिति पर पड़ता है. जो बच्चों  मोबाइल पर अधिक समय बीतता है उनके लिए अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाना कठिन हो जाता है.  मानसिक स्वास्थ्य पर असरस्मार्टफोन पर वीडियो गेम और दूसरे ऐप का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों में स्ट्रेस और डिप्रेशन बढ़ाने वाला हो सकता है. यह मेंटल हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. लगातार फोन के इस्तेमाल से सिरदर्द और माइग्रेन का खतरा बढ़ा सकता है. इसलिए दिमाग को बेहतर रखने के लिए स्क्रीन टाइम को कम करना चाहिए. स्मार्टफोन को लेकर अलर्टएक्सपर्ट्स मोबाइल फोन के खतरों से अलर्ट करते हैं. उनका कहना है कि इसका लंबे समय तक बुरा असर देखने को मिल सकता है. इसलिए रात में सोने जाने के करीब एक घंटे पहले स्क्रीन से बचना चाहिए. नोटिफिकेशन मैनेज करें, ताकि बार-बार फोन का इस्तेमाल न करना पड़े. इसके अलावा मोबाइल पर आई प्रोटेक्शन भी लगाएं, जिससे आंखों को इसके नुकसान से बचाया जा सके....

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Fruits To Avoid In Pregnancy: गर्भावस्था अपने साथ खुशी के साथ-साथ पीड़ा की लहर भी लाती है क्योंकि यह एक महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है. गर्भावस्था एक संवेदनशील अवस्था होती है जिस दौरान महिला को अपने आहार और जीवनशैली में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है.थोड़ी सी भी गलती गर्भवती मां और अजन्मे बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है. कुछ फल ऐसे होते हैं जिनका सेवन गर्भावस्था के दौरान नुकसानदेह साबित हो सकता है.  इन फलों में पाए जाने वाले कुछ रसायन और यौगिक गर्भाशय की मांसपेशियों को प्रभावित कर सकते हैं जिससे गर्भपात या प्री-टर्म डिलीवरी होने का खतरा बढ़ जाता है. गर्भावस्था के दौरान इन फलों का सेवन न करना बेहतर विकल्प है. आइए जानते हैं प्रेगनेंसी में किन फलों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए.  प्रेगनेंसी में पपीता भूलकर भी न खाएं पपीता पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो इसे एक स्वस्थ फल बनाता है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान इस फल का सेवन करने से शरीर में गर्मी पैदा हो सकती है और शरीर का तापमान बढ़ सकता है, जो भ्रूण को प्रभावित कर सकता है. इसके अलावा, पपीते में लेटेक्स की मौजूदगी से गर्भाशय संकुचन, रक्तस्राव और यहां तक ​​कि गर्भपात भी हो सकता है. इस प्रकार, पके और कच्चे पपीते दोनों से परहेज करने की सलाह दी जाती है. अनानास भी प्रेगनेंसी में नहीं खाना चाहिए एक और स्वादिष्ट खट्टा-मीठा फल है अनानास, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है लेकिन गर्भावस्था के दौरान जटिलताएँ पैदा कर सकता है. ऐसा ब्रोमेलैन नामक एंजाइम के कारण होता है जो प्रोटीन को तोड़ सकता है और गर्भाशय ग्रीवा को नरम कर सकता है और परिणामस्वरुप जल्दी प्रसव हो सकता है. इसलिए गर्भावस्था के दौरान अनानास का सेवन करने से बचना चाहिए. प्रेगनेंसी में खाए जाने वाले फल आम – आयरन, विटामिन ए और सी और से भरे हुए आम तुरंत एनर्जी देने, कमज़ोरी दूर करने और इमम्युनिटी बढ़ाने का काम करते हैं. इसके अलावा आम में फाइटोऐस्ट्रोजेन, पॉलीफेनॉल, कैल्शियम, और पोटेशियम जैसे तत्व में प्रचुर मात्रा में होते हैं जिनसे डायजेशन ठीक होता है और प्र...

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Roasted Chana Benefits: भुना चना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. हर दिन भुना चना खाने से न सिर्फ वजन तेजी से कम होता है, बल्कि दिल की सेहत भी दुरुस्त (Roasted Chana Benefits) रहती है. इसमें आवश्यक पोषक तत्व प्रोटीन फाइबर मैंगनीज फोलेट फास्फोरस तांबे फैटी एसिड पाए जाते हैं जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों में फायदेमंद होते हैं. इसके सेवन से शरीर को कई समस्याओं से राहत मिल जाती है और ढेर सारे फायदे होते हैं. फाइबर बढ़ते वजन को कंट्रोल करने में मददगार साबित होता है. भुना चना खाने के फायदे वजन कंट्रोलभुने चने में भरपूर मात्रा में फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है, जो आपको ज्यादा समय तक भरा हुआ महसूस कराता है. इससे आप अधिक खाने से बच जाते हैं और वजन कम करने में मदद मिलती है.कब्ज की छुट्टीपेट की कब्ज की समस्या से परेशान है तो भुना चना खाएं. सुबह खाली पेट भुना चना खाने से कब्ज की समस्या से राहत मिल सकती है. इससे डाइजेशन भी अच्छी रहती है. इसके सेवन से पेट से जुड़ी कई और समस्याओं की छुट्टी हो जाती है. एक्सपर्ट्स भी इसे डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं.दिल की सेहत रखे दुरुस्तभुना चना दिल का साथी माना जाता है. इसके सेवन से दिल की सेहत दुरुस्त रखती है. भुने हुए चने में मैंगनीज, फास्फोरस, फोलेट और तांबे की प्रचुर मात्रा होती है, जो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखने और हेल्थ को बेहतर बनाने का काम करती हैं.खून साफभुना चना खून को भी साफ करता है. रोज सुबह खाली पेट भुने हुए चने खाने से शरीर की सारी गंदगी आसानी से बाहर निकल जाती है. इससे खून साफ होता है और इससे संबंधित समस्याएं दूर होती हैं. खून साफ होने से स्किन में निखार आता है. ब्लड प्रेशर करे कंट्रोलचने में फैट और कैलोरी की मात्रा कम होती है और प्रोटीन और फाइबर काफी ज्यादा मात्रा में पाई जाती है. भुने चने में कॉपर मैंगनीज और मैग्नीशियम पाए जाते हैं. जो सूजन को कम कर रक्त वाहिकाओं को रिलैक्स करते हैं. मैंगनीज ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने का काम करता है. भुना चना फॉस्फोरस का भी स्रोत होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का काम करता है.डायबिटीज में फायदेमंदअगर किसी को डायबिटीज है तो भुने हुए चने उसके लिए फायदेमंद बताए जाते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक,भुने चने में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है. जिससे यह डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद माना जाता है.  

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Benefits Of Jaggery Tea: आमतौर पर हर घर में सुबह की शुरआत चाय के साथ होती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चीनी की जगह अगर गुड़ वाली चाय पी जाए. चाय में का प्रयोग किया जाए तो कैसा रहेगा? चीनी की तुलना में गुड़ में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होते  हैं. गुड़ की चाय पीने से आपका वजन कंट्रोल में रहता है, पाचन तंत्र मजबूत होता है, ऊर्जा लेवल बढ़ता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है. नियमित रूप से गुड़ की चाय पीने से सेहत के कई तरह के लाभ मिलते है. पाचन तंत्र मजबूत गुड़ की चाय पाचन क्रिया को मजबूत करने में लाभदायक होती है. इसके नियमित सेवन से पाचन संबंधी कई समस्याएं दूर हो जाती हैं. गुड़ में पाए जाने वाले फ्रुक्टोज और फाइबर आसानी से पच जाते हैं और पेट को हल्का रखते हैं. यह एसिडिटी को कम करके पेट संबंधी जलन और अल्सर जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है. गुड़ में पाए जाने वाले प्रोबायोटिक गुण आंतों में स्वस्थ बैक्टीरिया का विकास करते हैं. आयरन से भरपूरजिन लोगों के शरीर में खून की कमी होती है उन्हें गुड़ की चाय का सेवन करना चाहिए. क्योंकि गुड़ की चाय में भरपूर आयरन पाया जाता है जिसकी वजह से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ जाता है और खून की कमी दूर हो जाती है. एनीमिया से राहत एनीमिया एक ऐसी स्थिति होती है जब शरीर में रक्त की कमी हो जाती है. गुड़ में आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज और जिंक जैसे खनिज पाए जाते हैं. ये खनिज एनीमिया में कम होने वाले रक्त के घटकों की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं. गुड़ रक्त में हीमोग्लोबिन स्तर को बढ़ाने में भी सक्षम होता है.  इसके अलावा गुड़ की चाय एनीमिया के कारण होने वाली कमजोरी और थकान को दूर करने में मदद कर सकती है.  वजन कम करनें में सहायक अक्सर देखा जाता है कि लोग वजन घटाने के लिए कई तरह की चीजों का इस्तेमाल करते हैं. लोगों को ये भी सलाह दी जाती है कि चाय के सेवन से दूर रहें क्योंकि चाय में चीनी की वजह से फैट बढ़ता है. लेकिन बता दें कि गुड़ की चाय पीने की वजह से वजन कम होता है.

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Milk for depression: मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के मामले वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, कामकाज का तनाव,रिश्तों का तनाव हो या कंपटीशन का तनाव, इन सभी चीजों का असर सीधा मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. यही कारण है कि डॉक्टर फिजिकल फिटनेस के साथ साथ मेंटल फिटनेस पर भी फोकस करने की सलाह देते हैं. अगर  इसपर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह हृदय रोगों जैसी गंभीर समस्याओं का भी कारक हो सकती हैं. मेंटल फिटनेस की बात की जाए तो आप अपनी डाइट में कुछ बदलाव करके डिप्रेशन और तनाव से छुटकारा पा सकते हैं. ऐसे में हाल ही में कराए गए कुछ अध्ययन कहते हैं कि डिप्रेशन और तनाव जैसी समस्याओं से बचना है तो डाइट में दूध को एड करने से फायदा मिलता है. चलिए जानते हैं कि दूध पीने से तनाव दूर होने का क्या कनेक्शन है. डिप्रेशन में दूध पीना कितना फायदेमंद  एक स्टडी में कहा गया है कि तनाव या डिप्रेशन को दूर रखने के लिए विटामिन डी युक्त डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन लाभ करता है. डेयरी प्रोडक्टस में पाए जाने वाले पोषक तत्व मेंटल डिसऑर्डर को दूर रखने में सहायक होते हैं. इसके साथ ही शरीर में विटामिन डी की कमी से मेंटल फिटनेस पर बुरा असर पड़ता है. ऐसे में अगर शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी की खुराक दी जाए तो मेंटल इलनेस जैसे तनाव, डिप्रेशन, एंजाइटी आदि में लाभ मिलता है. देखा जाए तो दूध सीथा डिप्रेशन पर असर नहीं करता, लेकिन इसके अंदर पाया जाने वाला विटामिन डी डिप्रेशन के जोखिमों को दूर करने में मददगार साबित होता है. - गाजर खाने से भी होगा फायदा   हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि केवल दूध ही नहीं गाजर के सेवन से भी डिप्रेशन के लक्षणों में कमी आती है. गाजर में पाया जाने वाला बीटा कैरोटीन अवसाद में फायदा करता है और इससे मेंटल फिटनेस भी अच्छी होती है.  - कैफीन से दूर होता है स्ट्रेसकैफीन हमारे शरीर के लिए लाभकारी है या नुकसानदायक इसको लेकर लंबे समय से चर्चा होती रही है, हालांकि कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि यदि आप कम मात्रा में रोजाना इसका सेवन करते हैं तो यह कई प्रकार से हमारे लिए लाभकारी हो सकती है. कैफीन आपको थोड़े ही समय में उत्साहवर्धक महसूस करा सकती है. - हरी पत्तेदार सब्जियां भी करती हैं लाभ हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाने वाला फोलेट डिप्रेशन से बचाने में सहायक साबित होता है. इन सब्जियों में पाए जाने वाले पोषक तत्व तनाव और मेंटल इलनेस को दूर करते हैं. इसलिए रोज डाइट में एक ना एक हरी और पत्तेदार सब्जी जरूर शामिल करनी चाहिए.   ...

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Dry Fruits Benefits: ड्राई फ्रूट पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं.यही वजह है कि डॉक्टर से लेकर हेल्थ एक्सपर्ट तक खाली पेट ड्राई फ्रूट्स और सीड्स खाने की अक्सर सलाह देते हैं. कई लोग हैं भी जो खाली पेट किशमिश, अखरोट ड्राई फ्रूट्स,काजू, और पिस्ता एंड सीड्स खाते हैं. ड्राई फ्रूट्स में कई सारे पोषक तत्व होते हैं. काजू, बादाम, पिस्ता, और अखरोट के चमत्कारी फायदे है.इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताएंगे कि क्या बादाम और पिस्ता साथ में खाने से शरीर को क्या फायदे होते हैं.  बादाम और पिस्ता साथ में खाने के फायदे1.पाचन-तंत्र के लिए है अच्छाआजकल लोगों की इम्युनिटी कमजोर होने के साथ-साथ पाचन तंत्र भी ठीक नहीं है. इसी वजह से अपच, गैस और कब्ज की शिकायत होती है. ऐसे में अगर आप रोजाना खाली पेट बादाम और पिस्ता खाएंगे तो काफी ज्यादा फायदा पहुंचता है. क्योंकि बादामा और पिस्ता दोनों में फाइबर होता है. जो पाचन को मजबूत बनाता है. और कब्ज से भी मुक्ति दिलाता है.  2. हार्ट को रखता है हेल्दीरोजाना बादाम और पिस्ता साथ में खाने से हार्ट को हेल्दी रखता है. पिस्ता में पोटैशियम होता है. जो हार्ट के लिए काफी अच्छा होता है. वहीं बादाम में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. जो हार्ट को फ्री रेडिकल्स के नुकसान से बचाता है. दिल की बीमारी से बचाव करता है.  3. मसल्स गेन के लिए है फायदेमंंदजो लोग काफी दुबले-पतले हैं वह पिस्ता और बादाम साथ में खाएं कुछ दिनों में ही उनका वजन बढ़ जाएगा. साथ में खाने से शरीर के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होता है. क्योंकि दोनों में अधिक मात्रा में प्रोटीन होता है. जो मसल्स गेन में मदद करती है. खाली पेट बादाम और पिस्ता खाने से शरीर को काफी ज्यादा फायदा होता है.  4. हीमोग्लोबिन बढ़ाएजिन लोगों को हीमोग्लोबिन की कमी होती है. वह भी अगर रोजाना खाली पेट बादाम और पिस्ता खाएं तो उन्हें काफी ज्यादा फायदा पहुंचता है. हीमोग्लोबिन बढ़ता है और एनीमिया के लक्षण भी दूर होते हैं. 5. हड्डी होता है मजबूतखाली पेट पिस्ता और बादाम खाने से हड्डी मजबूत होता है. इसलिए रोजाना इसे खाली पेट खाना चाहिए.   ...

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Anjeer Benefits For Skin: मन ही मन हर कोई हर कोई यही चाहता है कि उसका चेहरा खूबसूरत हो.चेहरे पर ऐसा ग्लो हो जो उन्हें भीड़ में भी अलग बनाए।इसके लिए आपको स्किन की सेहत के साथ ही आपको अपनी डाइट का भी इसके लिए भरपूर ख्याल रखना होता है.आपको इन चीजों का भी ख्याल रखना होता है कि कौन सी चीजें आपकी स्किन के लिए अच्छी हैं और कौन सी नहीं।अगर आप घर बैठे-बैठे अपने चेहरे को चमकाना चाहते हैं तो अंजीर से बेहतर कोई चीज़ नहीं है. अंजीर चेहरे पर निखार लाता है और ओवलऑल हेल्थ को बेहतर बनाता है. यह मार्केट में आसानी से मिल जाता है. अंजीर में विटामिन A, C, K, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन और आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो त्वचा को अंदर तक पोषण देकर अर्ली एजिंग से बचाने का काम करते हैं. तो चलिए जानते हैं अंजीर के फायदे और चेहरे पर इसके इस्तेमाल का तरीका. त्वचा के लिए अंजीर के फायदे 1. झुर्रियों पर रोक अंजीर में ऐसे पोषक तत्व और विटामिन पाए जाते हैं जो सीबम उत्पादन और त्वचा मेलेनिन को बैलेंस रखने के साथ एपिडर्मल पानी के नुकसान को रोकने का काम करते हैं. इससे हाइड्रेशन बढ़ता है और त्वचा की झुर्रियां खत्म हो जाती हैं. अंजीर का मास्क लगाने से कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा मिलता है और झुर्रियों का नामोनिशान मिट जाता है. 2. चेहरा होगा तरोताजाअजीर में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. अंजीर खाने या चेहरे पर लगाने से काफी फायदा मिलता है. इसके इस्तेमाल से चेहरा तरोताजा और चमकदार बनता है. उसकी खूबसूरती बढ़ जाती है. 3. एक्ने करे कंट्रोल अंजीर का रस या अंजीर बेस्ड स्किन केयर प्रोडक्ट मुंहासे को कंट्रोल करने का काम करते हैं. अंजीर में सूजन को कम करने और मुंहासों को खत्म करने वाले गुण पाए जाते हैं. इससे त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं दूर हो सकती हैं. 4.स्किन पिगमेंटेशन की छुट्टीअंजीर खाने से विटामिन सी भरपूर मात्रा में शरीर में पहुंचता है, जिससे दाग, धब्बे और निशान के साथ हाइपरपिग्मेंटेशन कम हो सकता है. इससे चेहरा चमकदार बनता है. अंजीर का नियमित तौर पर सेवन चेहरे की खूबसूरती को बढ़ा सकता है. निखार के लिए अंजीर और नींबू के रस का मास्क बनाकर करें इस्तेमाल  - अंजीर और...

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Raw Turmeric Health Benefits: कच्ची हल्दी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती हैं.कच्ची हल्दी का इस्तेमाल शरीर से जुड़ी कई समस्याओं में बतौर घरेलू उपाय के रूप में किया जाता है.कच्ची हल्दी एक ऐसा सुपरफूड है, जिसमें कई पोषक तत्व और औषधीय गुण पाए जाते हैं. कच्ची हल्दी का सेवन नियमित रूप से करने से स्वास्थ्य को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं. यह शरीर के कई रोगों और संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है. कच्ची हल्दी पाचन तंत्र को बेहतर बनाती है, इम्यूनिटी बढ़ाती है और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होती है. आइए जानते हैं कच्ची हल्दी खाने के और कई फायदे. 1. ब्लड प्यूरीफाई के लिएकच्ची हल्दी का उपयोग खून को साफ करने के लिए भी किया जा सकता है. दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि हल्दी में ब्लड प्यूरीफायर यानी रक्त को साफ करने के गुण पाए जाते हैं. ऐसे में हम कह सकते हैं कि ब्लड को प्यूरीफाई करने के लिए कच्ची हल्दी का उपयोग किया जाता  है. 2. पाचन शक्ति को मजबूत करनाकच्ची हल्दी में फाइबर होता है जो आंतों की गतिविधि को बढ़ाकर पाचन प्रक्रिया को तेज करता है. यह पेट के एसिड का स्राव बढ़ाती है जिससे भोजन पचने में आसानी होती है. कच्ची हल्दी में 'जिंजरॉल' नामक यौगिक होता है जो पाचन शक्ति को बढ़ाता है. यह पेट में गैस और ब्लोटिंग जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करती है.  3. एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूरकच्ची हल्दी में करक्यूमिन नामक यौगिक होता है, जो एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट के रूप में कार्य करता है. यह सूजन को कम करती है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है.कच्ची हल्दी में ओमेगा 3 फैटी एसिड भी होते हैं जो सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं. यह जोड़ों के दर्द और मोच जैसी स्थितियों में राहत देता है. 4. एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुणकच्ची हल्दी बेनिफिट्स में संक्रमण से बचाव भी शामिल है. बताया जाता है कि हल्दी एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुण प्रदर्शित करता है, जो बैक्टीरियाओं से बचाने में सहायक होता  है. 5. कैंसर में फायदेमंद कच्ची हल्दी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करते हैं. कच्ची हल्दी मुंह, आंत, जिगर और ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में फायदेमंद होता है. कच्ची हल्दी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके कैंसर से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है.  ...

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Coffee For Weight Loss: आज हर कोई अपनी फिटनेस का पूरा दयान रखता  है. खुद को फिट रखने के लिए लोग सही खानपान और वर्कआउट पर फोकस कर रहे हैं. हालांकि, बावजूद इसके मोटापा लोगों के लिए समस्या बना हुआ है. लोग वजन (Weight Loss) कम करने के लिए तरह-तरह की कोशिश करते हैं. हालांकि वजन कम करना काफी चुनौतीपूर्ण है. आजकल वजन कम करने में कॉफी का भी अहम रोल माना जाता है. कुछ लोग ब्लैक कॉफी और कुछ लोग मिल्क कॉफी पीकर वजन कम करने का प्रयास करते हैं. हालांकि, वेट लॉस के लिए दोनों ब्लैक और मिल्क कॉफी में कौन सा ज्यादा बेहतर है, ये हम आपको बताएंगे... ब्लैक कॉफी का रोलब्लैक कॉफी से मेटाबोलिज्म बूस्ट होता है. वजन कम करने में इसकी अहम भूमिका मानी जाती है. ब्लैक कॉफी में जो कैफीन होता है, वह मेटाबोलिज्म को अस्थायी गति देने का काम करता है, जिससे कम समय में ज्यादा कैलोरी बर्न हो सकती है. ब्लैक कॉफी भूख कम करने का भी काम करता है. हालांकि, इसे काफी बैलेंस रखने की जरूरत होती है.  मिल्क कॉफी का रोलमलाईदार और टेस्टी मिल्क कॉफी भी वजन घटाने में मदद कर सकती है. मिल्क कॉफी में कैल्शियम और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसलिए यह ब्लैक कॉफी की तुलना में ज्यादा अच्छा ऑप्शन माना जाता है. कैलोरी की मात्रा कंट्रोल करने के लिे कम फैट वाले या बिना मलाई वाली दूध की ही कॉफी पीनी चाहिए. हालांकि, ज्यादा कैलोरी के चलते मिल्क कॉफी ब्लैक कॉफी की तरह मेटाबोलिज्म नहीं बढ़ा पाती है. बावजूद इसे अपनी डाइट में बैलेंस्ड ही रखना चाहिए. वजन कम करने में कौन सी कॉफी बेस्ट?अब बात जब ब्लैक और मिल्क दोनों ही कॉफी वजन घटाने में मदद करती हैं तो दोनों में ज्यादा कारगर कौन हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वजन कम करने के लिए आप अपने हिसाब से किसी भी कॉफी को पी सकते हैं. हालांकि, यह भी जरूरी नहीं कि ब्लैक कॉफी या मिल्क कॉफी से ही वेट लॉस होगा. इसके साथ ही सही डाइट और एक्सरसाइज से वजन कम करने में मदद मिलेगी....

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Karela Bitterness Remove Tips: करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो लेकिन करेला हमारे सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. करेला स्वास्थ्य के लिए किसी किसी वरदान से कम नहीं है.इसे नेचुरल ब्लड प्यूरीफायर भी माना जाता है. करेला शरीर के हर ऑर्गन को फिट रखने में  मदद करता है. इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, फाइबर, आयरन आदि जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो ब्लड शुगर, वजन, कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के साथ खून साफ करने में मदद करता है.हालांकि, इसका स्वाद कड़वा होने के चलते बहुत से लोग इसे खाने से बचते हैं. कई लोग इसकी कड़वाहट के चलते इसे खाना पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में मास्टर शेफ संजीव कुमार ने हाल ही में करेले के कड़वापन को दूर करने के कुछ आसान तरीके बताए हैं.जिनकी मदद से आप भी केले की कड़वाहट दूर कर सब्जी बनाकर या किसी दूसरे तरीके से अपनी डाइट में शामिल कर खुद को सेहतमंद बना सकते हैं. 1. कुछ देर नमक मिलाकर रखेंकरेले का कड़वापन कम करने के लिए करेले को काटकर उस पर नमक छिड़क दें. करीब 15-20 मिनट बाद करेले से निकले पानी को फेंक दें. इससे उसका तीखापन काफी कुछ कम हो गया होगा. 2. तलने से पहले करेले को शहद या चीनी के पानी में डालेंकरेले को तलने से पहले किसी बर्तन में पानी में जरूरत के मुताबिक शहद या चीनी डालकर करेला डाल दें. इसके बाद करेले को तलकर खाने से उसका तीखापन शहद या चीनी की वजह से कम हो गया होगा. 3. सौंफ का करे यूज जब भी आप करेले की सब्जी बनाएं तो उसमें प्याज, सौंफ या मूंगफली का इस्तेमाल किसी न किसी रूप में जरूर करें। ये सभी चीजें करेले के कड़वेपन को दूर करने में मदद करती हैं. 4. करेले को नारियल पानी से मैरीनेट करेंनारियल का पानी यानी कि रस का इस्तेमाल करके भी करेले का कड़वापन कम किया जा सकता है. नारियल पानी में करेला मैरीनेट करें और फिर इसे 15-20 मिनट के लिए उसी में छोड़ दें. इसके कुछ देर बाद उसे अच्छी तरह से धो लें और फिर इस्तेमाल करें. इससे करेले का तीखापन कम पता चलेगा. करेला खाने के फायदे - खून को प्यूरीफाई करता है करेलाकरेले को एक बेहतरीन ब्लड प्यूरीफायर के तौर पर माना जाता है. इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो कि खून को साफ करने में मदद करता है. साथ ही, इसमें एंटी ऑक्सीडेंट तत्व भी पाए जाते हैं कि जो कि हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं. -  डायबिटीज के लिए रामबाणकरेले में मौजूद केरेंटीन  एलिमेंट शरीर की ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मददगार साबित होता है. साथ ही, करेले में पोलीपेपटाइड (polypeptide) भी भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो कि इंसुलिन की तरह शरीर की बढ़ी हुई ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का काम करता है. ...

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Benefits of Curd: दही स्वास्थ्य के लिए काफी गुणकारी है और दही का सेवन भारत के लगभग हर घर में किया जाता है. भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में दही को मिट्टी के बर्तनों में जमाने की बहुत ही पुरानी परंपरा  है. मिट्टी के बर्तनों में जमा दही अपनी विशिष्ट गंध और स्वाद के लिए जाना जाता है. मिट्टी में मौजूद खनिज तत्व दही को एक स्वाद देता है. लेकिन अब यह परंपरा  धीरे -धीरे खत्म होती जा रही है. यह दही खानें में जीतना ज्यादा लजीज होता है उतना ही फायदेमंद भी, आइए जानते हें मिट्टी के बर्तनों में जमे दही के फायदे... - स्वादमिट्टी के बर्तनों में जमे दही का स्वाद अनूठा होता है, और इसमें मिट्टी की गंध का प्रभाव होता है, जिससे दही का स्वाद बहुत ही अच्छा होता है. मिट्टी हमेशा ठंडी रहती है जिससे दही काफी देर तक ठंडा और कसावट वाला बना रहता है. - एल्कलाइनमिट्टी में स्वाभाविक रूप से पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम जैसे एल्कलाइन तत्व पाए जाते हैं. जब दही को मिट्टी के बर्तन में जमाया जाता है, तो ये एल्कलाइन तत्व मिट्टी से दही में ट्रांसफर हो जाते हैं.ये एल्कलाइन तत्व शरीर के pH लेवल को बैलेंस करने में मदद करते हैं और कई तरह के रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं.  - मिनरलमिट्टी में आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं. जब हम दही को मिट्टी के बर्तनों में जमाते हैं, तो ये खनिज मिट्टी से दही में स्थानांतरित हो जाते हैं.इससे दही में आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है जो हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी होते हैं. - प्रोबायोटिकमिट्टी में कई प्रकार के प्रोबायोटिक बैक्टीरिया पाए जाते हैं. जब हम दही को मिट्टी के बर्तन में जमाते हैं, तो ये प्रोबायोटिक्स मिट्टी से दही में स्थानांतरित हो जाते हैं.प्रोबायोटिक्स हमारे पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. दही को अपनी डाइट में शामिल करने के फायदे 1. ब्लड प्रेशर को संतुलित रखता है दहीदही में मौजूद मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम हाई ब्लड प्रेशर को कम करते है। दही हाइपरटेंशन को कम करती है और कोलेस्ट्रॉल को भी संतुलित करती है.हार्ट को स्वस्थ रखने के लिए आपको दही का सेवन जरूर करना चाहिए. 2.इम्यूनिटी बढ़ाता है दहीदही के सेवन से इम्युनिटी को बढ़ाया जा सकता है.दही के अच्छे बैक्टीरिया गट हेल्थ के लिए काफी अच्छे है और संक्रमण फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों को भीशरीर से दूर रखते है. 3.फाइनलाइन और रिंकल को भी कम करता हैएजिंग से साथ फाइनलाइन और रिंकल जैसी समस्या बहुत आम है. लेकिन कई लोगों में यह समस्या काफी पहले आनी शुरू हो जाती है. दही का इस्तेमाल स्किन की इलास्टिसिटी को बढ़ाता है. जिस वजह से स्किन की मांसपेशियां टाइट होती है, फाइनलाइन और रिंकल को कम करती है.  ...

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Dengue : डेंगू एक खतरनाक बीमारी है. डेंगू एक आम तरह का वायरस है जो एडीज मच्छर के काटने से होता है. अगर वही मच्छर एक इंसान से किसी दूसरे इंसान को काट ले तो दूसरा भी डेंगू की चपेट में आ सकता है. देशभर में इस वक्त डेंगू का कहर बढ़ता  रहा है. अस्पताल के बाहर डेंगू के मरीजों की लाइन लगी है. डॉक्टर भी डेंगू के मच्छर से सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं. दरअसल, डेंगू बुखार को आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के नाम से भी जाना जाता है. बुखार आने पर मरीज की हड्डियों में तेज दर्द होता है. अगर सही समय पर इलाज न मिल पाए तो डेंगू खतरनाक हो सकता है. कैसे  फैलता है डेंगू?डेंगू को लेकर बहुत से लोगों के मन में कई सवाल होते हैं. ऐसे में डेंगू को लेकर कुछ भ्रांतिया भी हैं. कुछ लोगों को लगता है कि डेंगू छींकने और हाथ मिलाने से भी हो जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है. डेंगू सिर्फ एडीज नाम के मच्छर के काटने से ही फैलता है. ये मच्छर साफ पानी में ही पैदा होता है. डेंगू के मच्छर दिन के वक्त ही काटते हैं. डेंगू के मरीज के लिए सही डाइटडेंगू वायरस से पीड़ित व्यक्ति को अपनी डाइट पर ध्यान देना चाहिए. लिक्विड डाइट लें और फलों के जूस का जरुर पीएं. मरीजों को अधिक तला, भुना या फिर जंक फ़ूड नहीं खाना चाहिए. ऐसी डाइट लें जिसमें सभी प्रकार के प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स हों. डेंगू से बचाव के लिए सावधानियां 1. अपने घर के सभी खिड़की- दरवाजे बंद रखे जिससे मच्छर घर में न घुस पाएं.2. किसी भी बर्तन में पानी को ज्यादा समय तक न रखें, नहीं मच्छर पनपने लगते  हैं, पानी को नियमित रुप से बदल कर रखें3. बारिश के मौसम में पूरी बांहों के कपड़े पहनें.5. मच्छरदानी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं