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HealthTips: पानी पीना शरीर के लिए बेहद जरूरी होता  है लेकिन हद से ज्यादा पानी पीना नुकसानदायक भी हो सकता है.ज्यादा पानी पीने से वॉटर टॉक्सिसिटी की  बीमारी हो सकती है.वॉटर टॉक्सिसिटी काफी ज्यादा पानी पीने के कारण होता है. इस बीमारी में किडनी में पानी जमा होने लगता है. जिसके कारण ब्लड में सोडियम जमने लगता है. जिसके कारण शरीर को पानी पचाने में दिक्कत होने लगती है. जो आगे जाकर कई परेशानियां खड़ी करती है.  कैसे पता करें कि आप अधिक पानी पी रहे हैं? यूरीन का रंग- हम कम या ज्यादा पानी पी रहे हैं, इसका पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है हमारे यूरीन का रंग. यूरीन का रंग हल्का पीलापन लिए होता है. अगर आप बहुत ज्यादा पानी पी रहे हैं तो आपके यूरीन का रंग अक्सर साफ दिखेगा. अगर यूरीन का रंग बिल्कुल साफ है तो इसका मतलब है कि आप कम समय में बहुत अधिक पानी पी रहे हैं. वहीं, अगर यूरीन का रंग ज्यादा पीला है तो इसका मतलब है कि आप कम पानी पी रहे हैं.  1.बार-बार बाथरूम जाना- अगर आप सामान्य से ज्यादा बार बाथरूम जा रहे हैं तो इसका एक मतलब यह है कि आप अधिक पानी पी रहे हैं. अगर आप दिन में 6-8 बार बाथरूम जा रहे हैं तो यह सामान्य माना जाता है. हालांकि, जो लोग अधिक कैफीन और एल्कोहल का सेवन करते हैं, वो सामान्यतः 10 बार बाथरूम जाते हैं, जो कि नॉर्मल है. 2.प्यास न लगने पर भी पानी पीना- बिना प्यास लगे भी बार-बार पानी पीना बताता है कि आप अधिक पानी पी रहे हैं. इससे बचने के लिए पानी तभी पिएं जब आपको लगे कि प्यास लगी है.  3.सिरदर्द, मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द- जब शरीर में सोडियम का स्तर कम होता है तो मस्तिष्क की मांसपेशियां सूजकर मस्तिष्क पर दबाव डालती हैं जिससे सिरदर्द की समस्या पैदा होती है. इससे सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है. सोडियम की कमी से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और उनमें दर्द होता है.  4.हाथ, पैर और होठ के रंग का बदलना- अगर आप अधिक पानी पी रहे हैं तो आपको महसूस होगा कि आपके हाथ, पैर और होठों के रंग में हल्का बदलाव आया है या उनमें हल्की सूजन पैदा हो गई हैं. जब शरीर की कोशिकाओं में सूजन पैदा होती है तब त्वचा भी सूज जाती है. एक दिन में कितना पानी शरीर के लिए है जरूरीएक्सपर्ट के मुताबिक एक दिन में तीन लीटर पानी ठीक है. लेकिन आपको अपने शरीर को भी देखना है. अगर आपका शरीर ऐसा है कि आप 3 लीटर पी सकते हैं तो तभी पिएं. अगर इतना पानी पीना संभव नहीं है तो इससे जबरदस्ती न करें. एक साथ पानी पीने के बजाय आराम-आराम से पानी पीना ज्यादा सही होता है. यह आपकी सेहत को नुकसान भी नहीं पहुंचाएगा.  लिविंग इंडिया न्यूज़ ऊपर दी गई जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. यदि कोई ऐसी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे ...

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Happy Life Tips: हमारी जिंदगी में आने वाले हर व्यक्ति का कोई ना कोई महत्व ज़रूर होता है.कई बार हमारी लाइफ में कुछ लोग ऐसे आते  हैं जो हमें सीखा देते है कि हमें किन तरह के लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. कुछ लोग हमरी लाइफ में सिर्फ नेगेटिविटी भरते हैं ऐसे में जरूरी है कि इन लोगों से दूरी बनाकर रखें. जरूरी है कि आप एक हेल्दी रिलेशनशिप को मेंटेन रखने के साथ ही अपनी सेहत का भी ख्याल रखें. हम आपको 6 ऐसे लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे दूरी बनाकर रखना आपकी इमोशनल और मेंटल हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. झूठे लोग- किसी ना किसी बात पर लगातार झूठ बोलने वाले लोग आपके भरोसे के साथ-साथ दिमाग शांति को भी तोड़ सकते हैं. इस तरह के लोगों के साथ हेल्दी रिलेशनशिप रखना काफी मुश्किल साबित होता है. ऐसे में जरूरी है कि इन लोगों की पहचान करें और इनसे दूर रहें.  टॉक्सिक लोग- टॉक्सिक लोग वे होते हैं जो लगातार आपके जीवन में नकारात्मकता लाते हैं. ऐसे लोग हमेशा आपकी आलोचना करते हैं, आपके रिश्तों में जोड़-तोड़ करते हैं और आपको इमोशनली थका सकते हैं. अपनी मेंटल और इमोशनल हेल्थ की रक्षा के लिए इन व्यक्तियों से दूरी बनाना आवश्यक है.  अहंकारी लोग- अहंकारी व्यक्ति सिर्फ अपने बारे में ही सोचता है और इन लोगों में अक्सर दूसरों के प्रति कोई भी सहानुभूति नहीं होती. इस तरह के लोग इमोश्नली किसी को भी चोट पहुंचा सकते हैं. इस तरह के लोगों के साथ रहने से आपकी मेंटल हेल्थ पर काफी बुरा असर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि इनसे दूर ही रहें. हावी होने वाले- इस तरह के लोग हमेशा आपके ऊपर हावी रहते हैं और आपकी इच्छा के खिलाफ आपसे अपने सारे काम करवाते हैं. इस तरह के लोग आपको कंट्रोल करते हैं. अपने आत्म सम्मान को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आप इस तरह के लोगों से दूर रहें. नेगेटिव एनर्जी वाले- कुछ लोग लगातार अपनी नकारात्मकता और निराशावाद से आपकी एनर्जी को खत्म कर देते हैं. इस तरह के लोग लगातार शिकायत कर सकते हैं और आपको नीचा दिखा सकते हैं. अपने सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाए रखने के लिए इस लोगों से दूरी बनाकर रखें. ड्रामा करने वाले- इस तरह के लोग  ड्रामा करने वाले - छोटी-छोटी बातों पर ड्रामा करके सभी का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश करते हैं. ये लोग आपकी मेंटल हेल्थ पर काफी बुरा असर डालते हैं. ऐसे में जरूरी है कि इन लोगों से दूर रहें....

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Anjeer Laddu Recipe: नवरात्रि का त्योहार शुरू हो गया है. आमतौर पर सभी लोग 9 दिनों का व्रत रखते हैं, लंबे समय तक भोजन न करने से कई लोगों को भूख लगने लगती है. हम आपको नवरात्रों में खाने के लिए एक ऐसे लड्डू की रेसिपी बताने जा रहे हैं. जिसको खाने से आपके शरीर में पौष्टिकता का बनी रहेगी. इसके साथ ही वह खाने में भी स्वादिष्ट लगेंगे.  अगर आप व्रत रख रहे हैं तो आप अंजीर के लड्डू खा सकते हैं, तो आप अंजीर के लड्डू खा सकते हैं.  अंजीर के लड्डू से भूख पर नियंत्रण पाने में मदद मिल सकती है. अंजीर हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है.अंजीर में फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, विटामिन बी-6 आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके अलावा अंजीर में कैलोरीज काफी कम होती हैं.अंजीर से बनाए गए लड्डू खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है. अंजीर में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और भूख को कम करता है. इन लड्डुओं को बनाने में किसी भी तरह की ऐसी चीजों का इस्तेमाल नहीं किया गया है. जो आप व्रत में नहीं  खा सकतें. ये लड्डू बनाने में बहुत आसान हैं और आप इन्हें घर पर भी आराम से बना सकते हैं.ये व्रत में खाने के लिए एक बेहतर विकल्प है लड्डू बनाने की रेसिपी  सामग्री:1 कप अंजीर, भिगोया हुआ1/2 कप खजूर, ब्लेंड किया हुआ2 चम्मच बादाम, टुकड़ों में कटा1 चम्मच खरबूजे के बीज1 चम्मच खसखस2 चम्मच घी1/2 चम्मच इलायची पाउडर1 चुटकी कोकोनट पाउडर लड्डू बनाने की विधि:   - अंजीर के लड्डू बनाने के लिए सबसे पहले उसे रात भर पानी में भिगोकर रख दें. - उसके बाद सुबह भिगोए हुए अंजीर और साथ में खजूर को डालकर ब्लैंडर में अच्छी तरह से ब्लेंड कर लें. - उसके बाद एक पेन में घी गर्म करें. - पेन में घी गर्म करने के बाद उसमें कटा हुआ बादाम खरबूजे के बीज और खसखस के बीज डालकर 2 मिनट तक अच्छी तरह से रोस्ट कर लें. - अंजीर और खजूर के बनें मिश्रण में रोस्ट किए हुए मेवे को डालकर अच्छी तरह से ब्लेंड कर लें. - अब इसमें इलायची और कोकोनट पाउडर मिलाएं. - अब इन सभी मिश्रणों को थोड़ी देर ठंडा होने के लिए एक तरफ रख दें. - जब सारा मिश्रण अच्छी तरह से ठंडा हो जाए। तो हथेलियां पर घी लगाकर मिश्रण से छोटे-छोटे लड्डू बनाना शुरू करें. - तो बस इतने सिंपल तरीके से आपके लड्डू तैयार हैं, आप इसे लंबे समय तक रख कर खा सकते हैं....

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Navratri Diet Tips:  नवरात्रि (Navratri 2023) का त्योहार है. कई लोग ऐसे होते हैं जो नवरात्रि के 9 दिन व्रत रखते हैं. इस दौरान उन्हें गैस और एसिडिटी की परेशानी हो सकती है. अचानक से खान पान में बदलाव और मिर्च मसाला और प्याज-लहसुन का सेवन  न करना आपके मेटाबोलिज्म को प्रभावित कर करता है.ये आपके डाइजेशन को स्लो कर सकता है और कई समस्याओं को ट्रिगर करता है. साथ ही साथ यह पाचन तंत्र को भी काफी हद तक प्रभावित करता  है. जिसकी वजह से एसिडिटी और गैस की समस्याए हो सकती है. व्रत के दौरान अगर आप कुछ बातों का ख्याल रखेंगे तो इन परेशानियों से बच सकते हैं.  व्रत के दौरान एसिडिटी और गैस से बचने के लिए करें यह उपाय दिन की शुरुआत में करें ये काम सुबह खाली पेट सबसे पहले पुदीने की पत्तियां चबा लें. इसे खाने से आपका व्रत भी नहीं टूटेगा साथ ही आपको गैस और एसिडिटी की समस्या भी नहीं होगी. इन सब के अलावा आप एक काम और कर सकते हैं. पुदीने के पत्ते को मिश्री में मिलाकर पीस लें और फिर उसे जूस के साथ लें. इससे आपका पेट ठंडा रहेगा. और आपको कई तरह की समस्या से निजात मिल जाएगी. नारियल पानी पिएंव्रत के दौरान खाली पेट नारियल पानी पिएं. इससे गैस और एसिडिटी की समस्या से आपको छुटकारा  मिलेगा. नारियल पानी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पेट के एसिडिट और पीएच को बैलेंस करने का काम करता है. साथ ही भरपूर मात्रा में पानी होने का कारण यह पाचन तंत्र को दुरूस्त रखता है. ताकि एसिडिटी और गैस की समस्या न हो. यह कब्ज से भी निजात दिलाता है. जिससे आपको एसिडिटी हो. ज्यादा चाय-कॉफी न पिएंव्रत के दौरान कुछ लोग बहुत ज्यादा चाय या कॉफी पीते हैं. यह आपकी गैस और एसिडिटी का कारण हो सकता है. दरअसल, जब आप बहुत ज्यादा चाय-कॉफी पीते हैं तो इसमें पाया जाने वाला कैटेचिन एसिडिक बाइल ...

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Ayurvedic Tips To Boost Immunity: देशभर में सर्दियां धीरे-धीरे दस्तक देने लगी हैं. ऐसे मौसम में बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता हैं. सर्दियों में खांसी- जुकाम की समस्या तो आम बात है. लेकिन इस मौसम में इम्यूनिटी कमजोर होने से  इंफ्लुएंजा, साइनसाइटिस, टॉन्सिलाइटिस जैसी समस्याएं भी होती हैं. ऐसे में अगर आप सर्दियों में बीमार नहीं होना चाहते हैं आयुर्वेद (Ayurvedic) आपकी मदद कर सकता है.आयुर्वेद में शरीर को सेहतमंद रखने के रामबाण तरीके बताए गए हैं.यह एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में सहायक है.इस प्रणाली में उपचार के लिए कुछ ऐसे नुस्खे हैं जो आपकी इम्यूनिटी (Ayurvedic Tips To Boost Immunity) को मजबूत बनाकर आपको बीमारियों से बचा सकते हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही आयुर्वेदिक उपाय.- काढ़ाइम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए काढ़े का सेवन भी फायदेमंद है. सर्दी और जुकाम में काढ़े का सेवन बीमारी को दूर करता है और जल्द स्वस्थ बनाने के लिए अच्छा उपचार होता है. -ध्यान-योगआयुर्वेद में शरीर को तनाव मुक्त रखने और मन की शांति के लिए ध्यान और योग करने की सलाह दी गई है. रोजाना योग के नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के तनाव को कम किया जा सकता है.साथ ही इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है.रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए कई योगासन लाभदायक हैं. प्राणायाम का नियमित अभ्यास भी इम्यूनिटी मजबूत बनाता है.- आयुर्वेदिक क्रियाएंकुछ ऐसी और भी आयुर्वेदिक प्रक्रियाएं हैं जो इम्यूनिटी को बढ़ा सकती हैं. इनमें सुबह-शाम नथुनों में तिल या नारियल का तेल या घी लगाना फायदेमंद माना जाता है. इसके अलावा ऑयल पुलिंग थेरेपी भी काफी जबरदस्त मानी जाती है. इसमें एक चम्मच तिल या नारियल का तेल मुंह में डा...

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SkinCare Tips : सौंदर्य और त्वचा देखभाल उत्पाद बहुत महंगे हैं. चेहरे पर चमक लाने और लंबे समय तक जवान बने रहने के लिए कई महिलाएं इन प्रोडक्ट्स पर पानी की तरह पैसा खर्च करती हैं और कई बार उन्हें मनचाहा परिणाम नहीं मिल पाता है.त्वचा की देखभाल में स्क्रबिंग एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है, जो रोमछिद्रों में जमा गंदगी को बाहर निकालता है और त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाता है. यूं तो कहा जाता है कि हफ्ते में एक या दो बार एक्सफोलिएशन जरूरी है, लेकिन अगर आप महंगे स्क्रब पर पैसे बर्बाद नहीं करना चाहते हैं तो आपके किचन में ही कई चीजें मौजूद हैं जो त्वचा को साफ और मुलायम बना सकती हैं. कॉफ़ीकॉफ़ी एक बहुत ही प्रभावी एक्सफोलिएटर है. कॉफी में मौजूद कैफीन त्वचा के लिए एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सीडेंट है.यह त्वचा से गंदगी और मृत कोशिकाओं को हटाता है. कॉफी त्वचा की रंगत में भी सुधार लाती है. इससे सूजन भी कम हो जाती है. इसे ऐसे इस्तेमाल करेंकॉफी स्क्रब बनाने के लिए कॉफी को जैतून के तेल के साथ मिलाएं. इसे अपने चेहरे, हाथों और पैरों पर मलें और थोड़ी देर बाद धो लें. जई का दलियाअब तक आपने वजन घटाने के लिए दलिया का इस्तेमाल किया होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं, यह एक बेहतरीन एक्सफोलिएटर भी है. इसके इस्तेमाल से रूखी त्वचा और एक्जिमा की समस्या दूर हो जाती है. ओटमील में त्वचा की सुरक्षा और मॉइस्चराइजिंग गुण होते हैं. यह त्वचा की सूजन को कम करने में सहायक है. इसके अलावा, यह यूवी किरणों से होने वाली त्वचा की क्षति को रोकता है. त्वचा की लालिमा और जलन को कम करने में भी दलिया बहुत प्रभावी है. इसे ऐसे करें  इस्तेमाल इसके लिए ओटमील को पानी के साथ मिला लें.इसके बाद इससे चेहरे और हाथ-पैरों को रगड़ें. हल्के हाथों से स्क्रब करें और फिर पानी से धो लें.

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Sleeping Tips: ज्यादातर लोगों को रात के समय सोने मे परेशानी होती है. जिसक कारण है लगातार सोचते रहना. अक्सर लोगों को जब रात में नींद नहीं आती तो उन्हें बेचैनी होने लगती है जिस वजह से उनके तबियत पर असर होता है. लोगो को ऐसा लगता है कि ये अपने आप ठीक हो जायेगा, ये किसी गंभीर समस्या की शुरूआत नहीं है.ज़्यादा सोचने से समस्या और भी बदतर हो जाती है.ये समस्या अगर ज्यादा दिनों तक रही तो ये हाई बीपी, दिल की बीमीरी, मानसिक बीमारी की तरफ बढ सकती है. लेकिन ये समस्या रात में ज्यादा क्यों हो रही है? आइये जानते हैं इसके पीछे का कारण क्या है चिंता ?चिंता एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, जिसमें तनाव बहुत बढ़ जाता है, चिंता परेशानी बनने लगती है, घबराहट महसूस होती है, डर बना रहता है. इस समस्या के कारण दैनिक दिनचर्या, सामाजिक रिश्ते, कार्यस्थल की समस्याएं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। चिंता सामान्य से अधिक निराशाजनक और चिंताजनक हो सकती है. इतना ही नहीं, यह फोबिया भी हो सकता है. इससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना ​​है कि सही कारण जानकर आप चिंता और चिंता से खुद को बचा सकते हैं. रात के समय अधिक घबराहट क्यों होती है? 1. रात के समय जब सब कुछ बिल्कुल शांत होता है तो हम अकेले हो जाते हैं. उस वक्त सिर्फ हमारे विचार ही साथ रहते हैं. इसीलिए विचार इधर-उधर घूमते रहते हैं और चिंता जैसी समस्याएँ पैदा करते हैं. 2. थकान नकारात्मक विचारों को भी बढ़ावा दे सकती है. अगर रात में ज्यादा थकान हो तो हमें चिंता होने लगती है. जिसके कारण हम ज्यादा सोचने लगते हैं. यह भी रात में घबराहट का एक बड़ा कारण है. 3. रात में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर कम हो जाता है. जिसके कारण चिंताजनक विचार अधिक मात्रा में आने लगते हैं और चिंता बढ़ सकती है. 4. हम दिन भर में जो करते हैं उस पर हमारा नियंत्रण होता है. रात में इसका उलटा होता है.इस समय आस-पास के माहौल पर बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं रहता है, जिससे चिंता और चिंता बढ़ सकती है.  

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Leg Cramps At Night: ज्यादातर लोगों को रात को सोते वक्त पैरों में दर्द और ऐंठन का अनुभव होता है. इसमें  कुछ सेकंड के लिए इतना तेज दर्द होता है कि इसे सहन करना मुश्किल हो जाता है. बता दें कि यह आपकी रात की नींद में खलल डालने के अलावा आपके रोजमर्रा के कामकाज पर भी असर डाल सकता है. हालांकि,ऐसी ऐंठन केवल कुछ सेकंड तक ही रहती है और अपने आप कम हो जाती है. लेकिन कभी-कभी यह कई मिनटों तक मांसपेशियों को सिकोड़ता रहता है. पैर में ऐंठन का क्या कारण है?विशेषज्ञों के अनुसार, तंत्रिका स्राव आमतौर पर पैर की मांसपेशियों में खराब रक्त प्रवाह, तनाव या बहुत अधिक तीव्रता वाले व्यायाम के कारण होता है। लंबे समय तक डेस्क जॉब, मांसपेशियों का अत्यधिक उपयोग, कंक्रीट के फर्श पर चलना, खराब मुद्रा, गुर्दे की विफलता, मधुमेह तंत्रिका क्षति, खनिज की कमी, रक्त प्रवाह की समस्याएं ये सभी रात में ऐंठन का कारण बन सकते हैं.  तत्काल राहत के उपाय   . यदि आपके पैर में ऐंठन है, तो तुरंत बड़े पैर के अंगूठे को पकड़ें और पैर को फैलाएं यदि थाई को ऐंठन हो रही है, तो खड़े हो जाएं और आसन को फैलाएं. जैसे ही मांसपेशियों में ऐंठन हो, तुरंत हाथ या मसाजर की मदद से उस जगह पर दबाव डालें और मांसपेशियों की मालिश करें.  तुरंत खड़े हो जाएं और तलवों को मजबूती से जमीन में दबाएं.गर्म पानी का सेक लगाएं या पैरों को गर्म पानी में भिगोएं. आप गर्म पानी से स्नान भी कर सकते हैं. एक तौलिये में आइस पैक रखें और इससे मांसपेशियों को अच्छी तरह लपेट लें. कुछ मिनटों के लिए सेक लगाएं. विटामिन बी12 कॉम्प्लेक्स या मैग्नीशियम सप्लीमेंट लें। रात को सोने से पहले टहलें. आप ढेर सारा हल्का व्यायाम कर सकते हैं.रोजाना 8 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए. जितना हो सके कैफीन और अल्कोहल से बचें. अगर फिर भी ऐंठन से राहत न मिले तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें....

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Cucumber Benefits: खीरे में काफी मात्रा में पानी होता है, इसलिए लोग अक्सर सलाद या शाम के नाश्ते के साथ खीरे का सेवन करते हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए खीरा खाना बहुत जरूरी है. खीरा विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन के, पोटैशियम और कॉपर से भरपूर होता है इसलिए इसे खाने के बाद आप पूरे समय हाइड्रेटेड रहते हैं. शरीर को पोषक तत्वों की कमी के साथ-साथ बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे खाने के कई नुकसान भी होते हैं. इसीलिए अक्सर रात के समय खीरा खाने से मना किया जाता है. रात में खीरा खाना सही है या गलत?खीरा दुनिया भर में खाया जाने वाला एक स्नैक है और पोषक तत्वों से भरपूर खीरे को अक्सर लोग कच्चा ही खाते हैं. इसे सलाद में अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर खाया जाता है. खीरा विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है. इसलिए यह खाने में बहुत ठंडा होता है. इसमें कई तरह के पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर और दिमाग को ठंडा रखते हैं.बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो रात के खाने में खीरा खाते हैं. लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जो रात में खीरा खाने से मना कर देते हैं. पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, हमें रात में खीरा खाने से बचना चाहिए. आइए आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह. अगर पेट संवेदनशील हैजिन लोगों को पेट की समस्या रहती है उनके लिए खीरा हानिकारक होता है.उन्हें इसे खाने से बचना चाहिए. खीरे में कुकुर्बिटासिन नामक शक्तिशाली पदार्थ होता है, जो पेट की समस्याओं का कारण बन सकता है. अगर पाचन तंत्र में थोड़ी सी भी दिक्कत हो तो गैस की समस्या हो जाती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (आईबीएस) से पीड़ित लोगों को अपने आहार में खीरा शामिल नहीं करने की सलाह देते हैं. नींद प्रभावित होगीखीरा पचने में काफी समय लेता है और पेट पर बहुत भारी पड़ता है, जिसका सीधा असर आपकी नींद पर पड़ता है. खीरे में पानी की प्रचुर मात्रा होने के कारण अगर आप इसे रात में खाकर सो जाते हैं तो आपको कई बार बाथरूम जाने में परेशानी हो सकती है. रात के खाने से पहले खा सकते हैंहम आपको खीरा न खाने के लिए नहीं कह रहे हैं, बल्कि हम आपको बता रहे हैं कि आप रात के खाने से पहले खीरा खा सकते हैं. रात के खाने से 20-30 मिनट पहले खीरा खाएं.रात को हल्का और स्वास्थ्यवर्धक भोजन करें.

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Amla side effects: सर्दियों के मौसम में आंवला खाना बहुत फायदेमंद माना जाता है.इसके  सेवन से कई तरह के फायदे होते  हैं. विटामिन C से भरपूर होने के साथ-साथ ही इसमें कई शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट (Amla benefits) भी पाए जाते हैं. इसलिए इसे सर्दियों का सुपरफूड (winter superfood) भी कहा जाता है.खाने के साथ-साथ इसका इस्तेमाल कई तरह की दवाईयों में भी किया जाता है. हालांकि आंवला हर किसी को लाभ नहीं पहुंचाता है और कुछ खास कंडीशन वाले लोगों को इसके साइड इफेक्ट (side effects of amla) देखने को भी मिल सकते हैं. आइए जानते हैं कि किन लोगों को आंवला नहीं खाना चाहिए. खून की बीमारी वाले लोगआंवले में एंटीप्लेटलेट गुण...

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Home Remedies For Chest Pain: आजकल चेस्ट पेन की समस्या , हार्ट अटैक और हार्ट  स्ट्रोक जइसे बीमारियां आम हो गई है. खराब लाइफस्टाइल और खानपान ने हमारी जिंदगी को इस तरह से प्रभावित किया है कि किसी भी स्वस्थ्य व्यक्ति को भी सीने में तेज दर्द की शिकायत हो सकती है.ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार यह समस्या इतनी बढ़ जाती है कि इससे छुटकारा पाना बहुत जरूरी हो जाता है. वहीं अगर आपको हल्का चेस्ट पेन है तो आप कुछ घरेलू तरीके अपना सकते हैं. लेकिन अगर सीने में दर्द बहुत अधिक हो रहा है तो फौरन आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए. चलिए हम यहां आपको बताएंगे कि सीने में दर्द होने पर आपको क्या करना चाहिए? अचानक सीने में दर्द होने पर ये घरेलू उपचार बादाम (Almond)अगर आपको खाना खाने के बाद दर्द महसूस होता है तो यह एक एसिड रिफ्लक्श है. ऐसे में आप रोजाना बादाम खा सकते हैं या फिर आप बादाम मिल्क भी पी सकते हैं ऐसा करने से आप चेस्ट पेन से राहत पा सकते हैं.वहीं इसके अलावा आप सुबह खाली पेट भी भीगे बादाम का भी सेवन कर सकते हैं. एप्पल साइडर विनेगर (Apple Cider Vinegar)एसिड रिफ्लक्स के कारण होने वाली हार्ट पेन को दूर करे के लिए एप्पल साइडर विनेगर का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका सेवन करने के लिए आप खाने से पहले या जब दर्द हो रहा हो तब एक गिलास पानी में एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिलाकर पी सकते हैं.ऐसा करने से आपको सीने से दर्द से राहत पा सकते हैं. गर्म ड्रिंक्स (hot drinks)गैस और ब्लोटिंग के कारण होने वाली चेस्ट पेन होने पर गर्म ड्रिंक्स लेने से गैस को दूर करने में मदद मिलती है.जिससे सीने में होने वाले दर्द से छुटकारा मिल सकता है.यह एक बेहतरीन घरेलू उपाय है. हल्दी वाला दूध (Turmeric milk)हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती है. इसका सेवन करने से सीने के दर्द से छुटकारा मिल सकता है. इसका सेवन करने के लिए गर्म दूध के एक कप में एक चम्मच हल्दी को मिला कर पिएं. इसके साथ ही इससे कोलेस्ट्रॉल कम होने में भी मदद मिलती है....

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Blood Sugar Remedies: डायबिटीज का कोई परमानेंट इलाज नहीं है. खानपान और लाइफस्टाइल की मदद से इसे जिंदगीभर कंट्रोल करना पड़ता है. सिर्फ दवाईयों और सही डाइट से ही डायबिटीज को कंट्रोल में रखा जा सकता है. इसीलिए डायबिटीज के मरीजों को डाइट दुरुस्त रखने की सलाह दी जाती है.  इसके अलावा कुछ नेचुरल तरीकों से भी हाई ब्लड शुगर लेवल (High Blood Sugar) को कंट्रोल किया जा सकता है. कुछ नेचुरल उपाय इतने कारगर होते हैं कि नियमित तौर पर इस्तेमाल करने से ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रहता है. आज हम ऐसे ही एक पत्ते के बारें में बताने जा रहे हैं, जिसे हर रोज चबाने से डायबिटीज में आराम मिल सकता है.डायबिटीज का रामबाण इलाज पूर्वी एशिया और अन्य देशों में अमरूद के पत्तों के रस का इस्तेमाल डायबिटीज के उपचार के लिए किया जाता है.अमरूद के पत्तों का इसके औषधीय गुणों की वजह से कई देशों में औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है.इन पत्तों (Guava Leaf Benefits) के सेवन से ब्लड शुगर लेवल तेजी से कंट्रोल में आ सकता है. रात को सोने से ठीक पहले अमरूद का पत्ता चबाने से ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रह सकता है. वैसे तो इस पत्ते को किसी भी समय चबा सकते हैं लेकिन रात में इसका फायदा ज्यादा मिलता है. ऐसा इसलिए क्योंकि रात में खाने के बाद यह पेट में पूरी रात काम करता है औऱ सुबह हाई ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करके रखता है. ऐसे लोग जिन्हें खाली पेट ब्लड शुगर बढ़ने की समस्या है, उनके लिए यह फायदेमंद हो सकता है. कैसे करें सेवन ?जब भी अमरूद के पत्तों को चबाएं तो ध्यान रखें कि ये पूरी तरह पके या बड़े आकार वाले न हो. कच्चे और छोटे पत्ते ज्यादा अच्छे माने जाते हैं. अमरूद के तीन-चार पत्ते लेकर उन्हें साफ पानी से अच्छी तरह साफकर एक-एक पत्ते चबाएं. इससे निकलने वाला रस अंदर लें और बाद में बाकी हिस्सा थूक दें.  डाक्टर की सलहा से करें सेवनध्यान रखें कि डायबिटीज जैसी क्रोनिक बीमारियों से निपटने के लिए डॉक्टर की बताई दवाईयों का सही समय पर सेवन करते रहें. इसके अलावा खानपान का भी विशेष ध्यान दें. अमरूद के पत्तों का सेवन करना चाहते हैं तो उससे पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. अमरूद के पत्ते के फायदेअमरूद के हरे पत्ते न सिर्फ ब्लड शुगर कंट्रोल करने में सहायक हैं बल्कि इनके नियमित इस्तेमाल से आपको दस्त रोकने, कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने, वजन कम करने, कैंसर से लड़ने, आंखो...

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Benefits of chia seeds: हेल्दी फूड्स की बात की जाए और चिया सीड्स का नाम ना लिया जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. चिया सीड्स हेल्थ के लिए काफी लाभदायक होते है. दिखने में छोटे-छोटे चिया सीड्स में कई बड़े-बड़े गुण होते हैं. चिया के बीज एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो शरीर में फ्री रैडिकल्स से होने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचाने का काम करते हैं. इसके साथ ही चिया सीड्स वेट लॉस में काफी असरदार होता है और डाइजेस्टिव सिस्टम को बेहतर कर ये पेट को स्वस्थ और दुरुस्त बनाता है.इस बीज को अपनी डाइट में शामिल करने पर कई बीमारियों से बचने के साथ ही शरीर को स्वस्थ भी रखा जा सकता है. आइए जानते हैं चिया सीड्स के कुछ सेहतमंद फायदे वजन कम करने में सहायकचिया बीज में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो खाने के बाद आपको संतुष्ट महसूस करने में मदद कर सकता है. इससे कम कैलोरी खाना और वजन कम करना आसान हो सकता है. हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदचिया सीड्स में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं. ये खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और हृदय से संबंधित समस्याओं को प्रबंधन करने में मदद करते हैं. रक्त शर्करा स्तर में सुधारचिया सीड्स में फाइबर मौजूद होता है. अध्ययन के अनुसार फाइबर इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करता है इसके साथ ही रक्त शर्करा में सुधार करता है. इसके अलावा चिया सीड्स मेटाबोलिक सिंड्रोम और टाइप 2 डायबिटीज होने के खतरे को कम करता है.  डायबिटीज के प्रबंधन में सहायकचिया सीड्स का सेवन ब्लड सुगर को कम करने में मदद कर सकता है. इसमें मौजूद फाइबर और प्रोटीन डायबिटीज के प्रबंधन में मदद करते हैं और रक्त शर्करा की स्तिथि को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. कैल्शियम का स्रोतचिया सीड्स में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूती प्रदान कर सकती है और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डी संबंधित समस्याओं को प्रबंधन करने में मदद कर सकती है.

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Green Tea vs Black Coffee Benefits: सुबह सोकर उठते ही चाय पीना किसे पसंद नहीं.लोग सुबह उठते ही चाय की चुस्की लिए बिना फ्रेश फील नहीं करते  हैं. छ लोग तो एक दिन में 3-4 कप दूध वाली चाय पी जाते हैं, लेकिन सेहत के लिए दूध वाली चाय से कहीं बेहतर है हर्बल टी.  हालांकि, हेल्थ कॉन्शस लोग अब दूध वाली चाय की जगह ग्रीन टी, ब्लैक कॉफ़ी  को अधिक तवज्जो देने लगे हैं. ग्रीन टी (Green Tea) और ब्लैक कॉफ़ी (Black Coffee) दोनों हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होती है. 2013 में प्रकाशित एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया गया है कि जिसमें  हरी चाय और काली कॉफी के प्रभावों के बीच सीधी तुलना की गई है.तो चलिए जानते है कि स्वास्थ्य लाभ के मामले में किसका पलड़ा भारी रहता है?  ग्रीन टी के फायदे- ग्रीन टी की पत्तियां फर्मेंटेड नहीं होती हैं और ना ही ये ऑक्सिडेशन प्रॉसेस म...

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Sabudana Ki Khichdi Recipes: 15 अक्टूबर से  नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है. नवरात्रि के पूरे 9 दिन मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. इन दिनों में लोग पूरे विधि विधान से मां की आराधना करते हैं और व्रत रखते हैं. व्रत में साबुदाना काफी शौक से खाया जाता है और लोग साबुदाने की खिचड़ी बहुत खाते हैं. तो अगर आप भी नवरात्रि का व्रत रखते हैं और एक ही तरह की साबूदाने की खिचड़ी फलाहार में खाकर बोर हो गए हैं तो यह खबर आपके लिए है.  आज हम आपको बताने जा रहे हैं साबूदाने की खिचड़ी बनाने की बहुत ही आसान और डिफरेंट रेसिपी. इस रेसिपी से साबूदाने की खिचड़ी बनाएंगे तो न सिर्फ स्वादिष्ट बल्कि की बहुत ही हेल्दी बनेगी. तो चलिए जानते हैं साबूदाने की खिली खिली खिचड़ी बनाने की रेसिपी.  साबूदाना खिचड़ी बनाने के इंग्रेडिएंट्स - 1 कप साबूदाना- ¾ कप पानी- ½ कप मूंगफली- 1 चम्मच चीनी- स्वादानुसार सेंधा नमक- 2 बड़े चम्मच घी- 1 चम्मच जीरा- कुछ करी पत्ते- 1 इंच अदरक (बारीक कटा हुआ)- 2 हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)- 1 आलू (उबला हुआ और टुकड़ों में कटा हुआ)- ½ नींबू- 2 बड़े चम्मच धनिया (बारीक कटा हुआ) साबूदाने की खिचड़ी बनाने का तरीका 1. सबसे पहले साबूदाना को भिगोने के लिए 1 कप साबूदाना को एक कटोरे में लें और पानी से धो लें और 3/4 कप पानी डालकर 6 घंटे के लिए रख दें.2. एक भारी तले की कढ़ाई में ½ कप मूंगफली को धीमी आंच पर भून लीजिए जब तक कि मूंगफली कुरकुरी न हो जाए. 3. ठंडा होने पर इसे मिक्सर जार में डाल दीजिए, मूंगफली का दरदरा पाउडर बना लीजिए और भीगे हुए साबूदाने में मूंगफली पाउडर डाल दीजिए.4. अब एक छोटा चम्मच चीनी और ¾ छोटा चम्मच सेंधा नमक डालकर एक तरफ रख दें.5. अब एक बड़ी कढ़ाई में घी गर्म करें, उसमें जीरा और कुछ करी पत्ते डालें, 1 इंच अदरक, हरी मिर्च और आलू डालकर हल्का सुनहरा भूरा होने तक भूनें.6. साबूदाना मूंगफली का मिश्रण डालें और धीरे से मिलाएं, सुनिश्चित करें कि मिश्रण को पैन पर रखकर तब तक पकाएं जब तक कि साबूदाना ट्रांसपेरेंट न हो जाए. ½ 7. नींबू और 2 टेबल...

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Mental Health Benefits of Running : भारत में डिप्रेशन एक बड़ी समस्या बन गया है.डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो हमारे मन को प्रभावित करती है. इससे उदासी, निराशा, थकान और चिंता जैसे लक्षण दिखते हैं. डिप्रेशन इतना खतरनाक है कि  कई बार तो लोग आत्महत्या भी कर लेते हैं.  भारत की आबादी का लगभग 14% डिप्रेशन से पीड़ित है. यह दर्शाता है कि हर 7 में से लगभग 1 भारतीय व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है. भारत में डिप्रेशन इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि लोग इसके बारे में जागरूक नहीं हैं. लोग इसे एक सामान्य नहीं समस्या समझते हैं और न ही समय रहते इलाज कराते हैं.आज दुनियाभर में वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जा रहा है. हम सभी को मिलकर डिप्रेशन के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी ताकि लोग सही समय पर इलाज करा सकें और इस बीमारी से बच सकें.  जानें दौड़ने से कैसे दूर होता है डिप्रेशन 1. हैप्पी हॉर्मोन का निर्माण प्रतिदिन दौड़ने से शरीर में हैप्पी हॉर्मोन जैसे सेरोटोनिन और डोपामाइन का निर्माण होता है.इससे हमारा मूड अच्छा हो जाता है और तनाव भी कम होता है.हम दौड़ते हैं तो हमारे शरीर में एंडोर्फिन्स नामक हार्मोन बनता है. यह हमें खुश और पॉजिटिव महसूस कराता है. 2. नकारत्मक ख्याल दूर होते हैं  दौड़ने से शरीर में बनने वाले अन्य हॉर्मोन जैसे कोर्टिसोल और ग्लूटोमटे मस्तिष्क में  उत्पन होने वाले नकारत्मक ख्यालों को बाहर निकालने में मदद करता है. इसलिए प्रतिदिन  दौड़ने से मन अच्छा होता है.  3. बेहतर नींद तनाव और अवसाद के कारण कई बार अच्छी नींद नहीं आती  है. प्रतिदिन दौड़ लगाने से मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद भी पूरी होती है.  4. कम वजन  नियमित रूप से  दौड़ने से वज़न कम होता है. जिस से पर्सनालिटी बेहतर होती है और आत्मविश्वास बढ़ेता है.अच्छा दिखने से नकारत्मक विचार कम होते हैं और अवसाद से छुटकारा मिलता है.  डिप्रेशन के लक्षण  - लगातार 2 सप्ताह से अधिक समय तक उदास या निराश महसूस करना.- रोज के कामों में रुचि का ना होना.- सोने की समस्याएं - नींद ना आना या फिर ज्यादा नींद आना.- थकान महसूस होना और ऊर्जा का ...

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Dark Chocolate Benefits: आज की ज्यादातर यंग लोगों को डार्क चॉकलेट (dark chocolate) काफी पसंद होती है. डार्क चॉकलेट आयरन, मैग्नीशियम और जिंक जैसे खनिजों से भरपूर होती है. अब आप अपनी पसंदीदा डार्क चॉकलेट का लुत्फ उठा सकते हैं और इसके साथ ही अपने स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रख सकते हैं.  क्योंकि नई रिसर्च से पता चला है कि डार्क चॉकलेट न सिर्फ आपके दिल को स्वस्थ रखने में मदद करती है, बल्कि यह आपके दिमाग को भी तेज और निरोगी बनाए रखने में कारगर है.इसलिए, अगर आप अपने दिल और दिमाग का ख्याल रखना चाहते हैं तो डार्क चॉकलेट आपको खाना चाहिए. आइए जानते हैं कि आपको कितनी चॉकलेट खानी  चाहिए. दिल की बीमारीनियमित रूप से डार्क चॉकलेट खाने से किसी व्यक्ति में दिल की बीमारी विकसित होने की संभावना कम हो सकती है. डार्क चॉकलेट में कुछ कंपाउंड (विशेष रूप से फ्लेवनॉल्स) दिल की बीमारी के लिए दो प्रमुख जोखिम फैक्टर (हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल) को प्रभावित करते हैं. डिप्रेशन का इलाजडार्क चॉकलेट के खाने से जुड़े आनंद के अलावा, ये डिप्रेशन के खतरे को कम करने से भी मदद कर सकता है. वेट लॉससीमित मात्रा में डार्क चॉकलेट खाने से वजन घटाने की प्रक्रिया में मदद मिल सकती है. डायबिटीज का इलाजडार्क चॉकलेट में पॉलीफेनोल होता है, जो एक नेचुरल रूप से पाया जाने वाला कंपाउंड है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार करते हैं. इससे डायबिटीज को कंट्रोल में किया जा सकता है. कितनी डार्क चॉकलेट खानी चाहिए?कई अध्ययनों के अनुसार, आम तौर पर प्रति दिन 20-30 ग्राम डार्क चॉकलेट का उपयोग किया जाना चाहिए. कोको के ज्यादा प्रतिशत वाले डार्क चॉकलेट में आमतौर पर चीनी कम लेकिन फैट अधिक होती है. अधिक कोको का मतलब अधिक फ्लेवनॉल्स भी होता है, इसलिए 70 प्रतिशत से ज्यादा कोको वाली डार्क चॉकलेट चुनना सबसे अच्छा है.

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Navratri Pulao Recipe:  नवरात्रि के 9 दिन कई लोग माता रानी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं.ज्यादातर लोग इन दिनों में सिर्फ़ फलाहार खाते हैं, लेकिन इसके बावजूद यह एक सामान्य खाना हो जाता है. जैसे कि कुट्टू की पूरी, परांठा या साबूदाने की खिचड़ी आदि. आज हम आपके लिए कुछ अलग और स्वादिष्ट व्रत की रेसिपी लेकर आए हैं - फलाहारी पुलाव. इसे बनाना बेहद आसान है और यह आपको दिनभर ऊर्जावान और संतुलित महसूस करने में मदद करेगा और स्वादिष्टता भी नहीं छोड़ेगा. तो आइए हम आपको फलाहारी पुलाव की रेसिपी बताते हैं. फलाहारी पुलाव बनाने की सामग्रीसमा चावल- एक कप मूंगफली- एक चौथाई कपआलू- 2जीरा- एक छोटा चम्मचघी- दो चम्मच हरी मिर्च- 4 हरी धनिया- बारीक कटी हुईपानी- 2 कपसेंधा नमक- स्वादानुसार इस तरह बनाएं फलाहारी पुलाव1. सबसे पहले आलू को धोकर उबाल लीजिये. फिर समा के चावल को धोकर पानी में भिगो लें. 2. करीब 15 से 20 मिनट बाद चावल का पानी निकाल दें और उसे कुछ देर तक ढककर रख दें. 3. आलू उबल जाएं तो उसका छिलका निकाल लें और बारीक कटी हुई हरी मिर्च डाल दें.4. अब मीडियम फ्लेम पर गैस ऑन करके कढ़ाई चढ़ा दें. 5. इस कढ़ाई में घी डालकर गर्म करें. जब घी गर्म हो जाए तो मूंगफली को फ्राई कर के निकाल लें.6. अब घी में जीरा डाल दें और उसे चटकने दें.7.अगले स्टेप में आलू डाल लें और हल्का सा नमक डालकर मिला दें. करीब 3 से 4 मिनट तक आलू को भून लें.8. इसके बाद इसमें समा के चावल डाल दें और दोनों चीजों को अच्छी तरह से मिक्स कर के करीब तीन मिनट तक भूनें. 9 अब इसमें पानी डालकर स्वाद के हिसाब से नमक और मूंगफली के दाने डालें औ...

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Side effects Of Rice:  चावल भारतीय भोजन में सबसे महत्वपूर्ण अनाजों में से एक है. भारत में ऐसे कई लोग है जो हर दिन लंच या डिनर में कम से कम एक बार चावल खाए बिना नहीं रह सकते. चावल  स्वास्थ्य को लाभ देता है, लेकिन अधिक मात्रा में चावल के खाने से कुछ नुकसान भी होता है. चावल में स्वाभाविक रूप से आर्सेनिक नामक जहरीला तत्व पाया जाता है जो गुर्दे और लीवर को नुकसान पहुंचाता है. इसके अलावा, चावल में उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने से ब्लड शुगर बढ़ जाता है. चावल में मौजूद फाइटेट्स और प्यूरीन भी शरीर को नुकसान पहुंचाता है. इसलिए, डायबिटीज, मोटापा और गठिया जैसी समस्याओं से ग्रस्त लोगों को चावल का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए. आइए जानते हैं चावल खाने से और क्या नुकसान होता है. कोलेस्ट्रोल बढ़ता हैचावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है. जब हम चावल का अधिक खाते हैं तो शरीर में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ जाती है. इससे ब्लड स्ट्रीम में ट्राइग्लिसराइड्स यानि वसा का स्तर बढ़ने लगता है. ट्राइग्लिसराइड्स के बढ़ने से कोलेस्ट्रोल का स्तर भी बढ़ता है. इसलिए हाई कोलेस्ट्रोल वाले लोगों को चावल का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए. चावल से वजन बढ़ता है चावल में फाइबर कम होता है, जिससे आपका पेट तो भरा रहता है लेकिन कैलोरी बर्न नहीं होती। इस प्रकार, चावल के अधिक सेवन से मोटापे, वजन बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. इससे बचने के लिए चावल का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए और नियमित व्यायाम करना जरूरी है. मेटाबोलिज्म और मधुमेह को बढ़ाता हैअधिक मात्रा में चावल खाने से शरीर का मेटाबॉलिज्म प्रभावित हो सकता है. चावल में उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है. अधिक मात्रा में ग्लूकोज का सेवन इंसुलिन के स्तर को प्रभावित करता है. इससे आपका रक्त शर्करा स्तर बढ़ जाता है और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है. चावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होने से वजन बढ़ सकता है. मोटापे से मेटाबॉलिज्म भी गंभीर रूप से प्रभावित होता है. दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता हैडॉक्टरों का कहना है कि रोजाना सफेद चावल खाने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. सफेद चावल में कम पोषक तत्व होते हैं. इसमें फाइबर भी कम होता है. फाइबर कम होने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है. उच्च कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग का कारण बन सकता है. यही कारण है कि डॉक्टर हमें हर दिन सफेद चावल के बजाय ब्राउन चावल या लाल चावल खाने के लिए कहते हैं. इनमें अधिक पोषक तत्व होते हैं. ये दिल के लिए फायदेमंद होते हैं.  

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Diabetes: आजकल तेजी से बढ़ती बीमारियों में सबसे पहला नाम डायबिटीज का माना जाता है.डायबिटीज (Diabetes) एक लाइलाज बीमारी है जो की   तेजी से बढ़ रही है. डायबिटीज हर उम्र के लोगों को अपना शिकार बना रही है. इस बीमारी में ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) कंट्रोल नहीं रहता है. जिससे मरीज को कई स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं.ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने के लिए अक्सर मीठा खाने से बचने और दवाई लेने की सलाह दी जाती है. लेकिन समस्या यह है कि कुछ लोगों में खाने से परहेज करने और दवाई लेने के बावजूद भी शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं रहता है. आइए जानते हैं इसका क्या कारण है. सही समय पर  दवाई न लेनाअगर कोई डायबिटीज की चपेट में है और दवाई खा रहा है तो उसे समय का भी ध्यान रखना चाहिए. हर दिन एक समय पर दवाई खानी चाहिए. इसके अलावा इंसुलिन इंजेक्शन लेने वालों को भी डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर इसे लगवाते रहना चाहिए. समय  पर खाना न खानाडायबिटीज (Diabetes) के मरीजों को अपने खानपान का खासतौर पर ध्यान देना चाहिए. इसमें किसी तरह की लापरवाही गंभीर परिणाम दे सकती है. सुबह का खाना तो कभी भी मिस नहीं करना चाहिए. सुबह के ब्रेकफास्ट पर ही दिनभर का ब्लड शुगर लेवल निर्भर करता है. इसलिए सुबह उठने के करीब एक घँटे के अंदर कुछ न कुछ खा लेना चाहिए. समय पर लंच और डिनर भी बेहद जरूरी होता है. डायबिटीज के मरीज इस बीच कुछ भी खा सकते हैं. पर ध्यान रखें कि खाने में ज्यादा देर तक गैप करना डायबिटीज की समस्या को बढ़ा सकता है. फिजिकल एक्टिविटीज का ध्यान न रखनाडायबिटीज के मरीजों को फिजिकल एक्टिविटीज को भी बनाए रखा चाहिए. उन्हें समय पर एक्सरसाइज करना चाहिए. कभी भी वर्कआउट करना छोड़ना नहीं चाहिए. आप जितना एक्टिव रहेंगे, आपकी बॉडी उतना ही रिस्पॉन्स बढ़ाती है. इससे ग्लाइसेमिक के सही तरह कंट्रोल करने में मदद मिलती है. इसलिए खुद को ज्यादा से ज्यादा एक्टिव रखने की कोशिश करें. हैवी एक्सरसाइज नहीं कर पाते तो कुछ देर तक पैदल ही चलें. ...