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Health
n86 1

DiabetesAwareness: आज भारत में एक तिहाई से अधिक लोग डायबिटीज के शिकार हैं. बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, माता-पिता की कुछ आदतों के कारण बच्चों में इसका जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. ऐसी स्थिति में माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों के साथ-साथ वे अपनी बुरी आदतों के प्रति जागरूक हों.अगर बच्चों की खराब आदतों को शुरू-शुरू में ही ध्यान न दिया जाए तो बड़े होने पर डायबिटीज उन्हें अपना शिकार बना सकती हैं.ऐसे में आइए जानते हैं बच्चों की उन खराब आदतों के बारें में जो उनमें डायबिटीज का जोखिम बढ़ा सकती हैं. - फास्ट फूड से प्यारपबमेड सेंट्रल में पब्लिश एक रिसर्च में बताया गया है कि हाल के कुछ सालों में फास्ट फूड खाना काफी ज्यादा बढ़ा है. जिसकी वजह से डायबिटीज और मोटापे का खतरा बढ़ रहा है. कई पैरेंट्स ऐसे होते हैं जो बच्चों को लाड़-प्यार में फास्ट फूड खिलाते हैं और बाद में ये उनकी आदत बन जाती है. फास्ट फूड्स में कैलोरी हाई होती है और पोषक तत्व जीरो. ऐसे में इससे वजन और डायबिटीज दोनों बढ़ सकता है.- पोर्शन साइजकई पेरेंट्स ऐसे हैं जो बच्चों का पेट भरा रखने के लिए खाना बढ़ा देते हैं. इससे बच्चा हेल्दी फूड खाने की आदत नहीं बनता बल्कि अत्यधिक कैलोरी वाले फूड्स की बार-बार स्नैकिंग करता है. इस ऊर्जा असंतुलन की वजह से उनका वजन बढ़ सकता है. जिससे डायबिटीज बढ़ सकता है.- पैकेट बंद स्नैक्स अक्सर पैरेंट्स बच्चों के सही खाने की बजाय हाथों में स्नैक्स थमा दिया जाता है. स्नैक फूड में चिप्स, बेक सामान और कैंडी जैसे प्रोडक्ट्स शामिल हैं. डिब् बाबंद स्नैकिंग से बहुत ज्यादा कैलोरी और एक्स्ट्रा फैट बढ़ जाता है. इससे डायबिटीज की आशंका बढ़ सकती है.- फिजिकल एक्टिविटीडायबिटीज का सबसे प्रमुख कारणों में एक शारीरिक रूप से एक्टिव न होना भी है. आजकल बच्चे खेलने-कूदने की बजाय ज्यादातर समय स्मार्टफोन, टीवी पर बिताते हैं. इसकी वजह से मोटापा तेजी से बढ़ रहा है. शारीरिक गतिविधि न होने और जंक फ़ूड, मिठाई, मीठे पेय और स्नैक्स खाने से डायबिटीज का खतरा कई गुना तक बढ़ रहा है.- पर्यावरणीय कारणगतिहीन लाइफस्टाइल में पर्यावरणीय कारक भी योगदान दे रहे हैं. हाल ही के कुछ समय में शारीरिक रूप से सक्रिय और सुरक्षित वातावरण में कम सक्रिय रहने से काफी समस्याएं बढ़ी हैं. पहले बच्चे साइकिल या पैदल स्कूल जाया करते थे लेकिन आज स्थिति अलग है. - पारिवारिक कारणमोटापा और डायबिटीज बढ़ने के पीछे पारिवारिक कारण भी शामिल है. घर में मौजूद भोजन के प्रकार और परिवार के सदस्य क्या खाते हैं ये भी शरीर पर प्रभाव डालती है. कई अध्ययन में पाया गया है कि ज्यादा वजन वाली मां और सिंगल पैरेंट्स के साथ रहने वाले बच्चों में मोटापा और डायबिटीज का खतरा ज्यादा रहता है....

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Exercise During Period: पीरियड्स यानी माहवारी (Period) एक सामान्य प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है.12 साल की उम्र से लड़कियों को पीरियड्स आना शुरू हो जाते हैं, जो कि लगभग 45-55 साल तक मेनोपॉज (Menopause) आने तक चलते हैं. पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर में दर्द और थकावट महसूस करना असहज हो जाता  है. हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि इस दौरान हेल्दी डाइट फॉलो करना चाहिए ताकि आपके शरीर में किसी भी तरह की कमी न हो. इंटरनेट पर पीरियड्स से जुड़े कई सारे सवाल सर्च किए जाते हैं. इस दौरान लड़कियों या महिलाओं में काफी हार्मोनल और शारीरिक बदलाव (Hormonal and physical changes) होते हैं, जिनके कारण मूड स्विंग, गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन और इमोशनल होना आम बात है. अधिकतर लड़कियां इन मुश्किल दिनों में एक्सरसाइज करना छोड़ देती हैं, क्योंकि उन्होंने सुन रखा होता है कि उन दिनों में एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए. लेकिन इस बारे में एक्सपर्ट का क्या कहना है, इस बारे में आर्टिकल में जानेंगे. पीरियड्स में एक्सरसाइज करें या नहीं ? एक्सपर्ट के मुताबिक पीरियड्स में एक्सरसाइज करना फायदेमंद होता है, लेकिन यह महिलाओं के बॉडी टाइप पर भी निर्भर करता है. अगर किसी को अधिक क्रैम्प (ऐंठन) या दर्द है, तो वह पीरियड्स के शुरुआती 1-2 दिन एक्सरसाइज न करें, उसके बाद आराम मिलने पर एक्सरसाइज कर सकती हैं.एक्सपर्ट इन मुश्किल दिनों में एक्सरसाइज करने के निम्न फायदे बताते हैं.  पीरियड्स के दौरान एक्सरसाइज करने का फायदे 1. दर्द कम...

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Pregnancy Tips: सर्दियों का सीजन लगभग शुरू हो चुका है. सुबह-शाम की ठंड के साथ ही सर्दियों की आहट सुनाई देने लगी है। बदलते मौसम के साथ ही अब हमारी लाइफस्टाइल में भी बदलाव होने लगेंगे. सर्दियों में लोग अक्सर खुद को हेल्दी रखने के लिए सेहत का खास ख्याल रखते हैं. मौसम में बदलाव की वजह से अक्सर हमारी इम्युनिटी काफी कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से हम सर्दी और फ्लू का शिकार हो चाहते हैं. ऐसे में खुद का ख्याल रखना बेहद जरूरी है, खासकर अगर आप प्रेग्नेंट हैं. सर्दियों में प्रेग्नेंट महिलाएं इस तरह रखें अपनी सेहत का ख्याल- हाइड्र्रेशन है जरूरी प्रेग्नेंट महिला के लिए यह जरूरी है कि वह अपने हाइड्रेशन का खास ख्याल रखें, खासतौर पर त्योहारों के समय. इसके लिए अपने पास एक पानी की बोतल रखें और कुछ-कुछ देर में पानी पीती रहें. ऐसा करना आपकी सेहत और बच्चे के विकास के लिए फायदेमंद साबित होगा. सोच-समझकर खाएंत्योहार के हर घर में काफी टेस्टी पकवान बनाए जाते हैं. ऐसा नहीं कि प्रेग्नेंट महिलाएं ये पकवान या मिठाई नहीं खा सकती, लेकिन जरूरी है कि आप इन चीजों को थोड़ी मात्रा में खाएं. इसके अलावा डाइट में हेल्दी स्नैक्स, फ्रूट्स और सब्जियों को शामिल करें.  ज्यादा खाने के बचेंठंड के मौसम में अक्सर भूख बढ़ जाती है, जिसकी वजह से लोग ज्यादा खा लेते हैं. हालांकि, ज्यादा खाने से कई समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में इस दौरान ज्यादा खाने से परहेज करें, ताकि आप सुस्ती से खुद को बचा सकें. स्ट्रेस से बचेंतनाव का असर मां और बच्चे दोनों पर पड़ सकता है. ऐसे में जरूरी है कि आप उन चीजों पर ध्यान दें या वो काम करें जिससे आपको खुशी मिलती है. किसी भी तरह के स्ट्रेस से खुद को दूर रखें. जो काम आपसे नहीं हो सकता है उसके लिए ना बोलने में हिचकिचाएं ना.  अपने आप को गर्म रखेंसर्दी के मौसम में सेहतमंद रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, खुद को ठंड से बचाकर गर्म रखना. ऐसे में आप अपने आप को गर्म रखने के लिए गर्म कपड़े, स्कार्फ, शॉल और कोट का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह आपको गर्म रखने में मदद करेंगे और ठंड से बचाएंगे.

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Soaked Walnut Health Benefits: मेवों को भिगोकर खाने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं. काजू, बादाम, किशमिश को तो लोग सदियों से भिगोकर खाते आ रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप अखरोट को भी भिगोकर खा सकते हैं? आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भीगे हुए अखरोट खाने से स्वास्थ्य को बेशुमार फायदे मिलते हैं. आइए जानते हैं कि अखरोट का सेवन भिगोकर क्यों करना चाहिए. अखरोट में एक-दो नहीं, बल्कि कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे- एंटीऑक्सिडेंट, ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन, मिनरल्स. इनको भिगोकर खाने से पोषक तत्वों का अवशोषण आसानी से हो जाता है. ओमेगा-3 फैटी एसिड की मौजूदगी की वजह से यह दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं. एंटीऑक्सिडेंट की मौजूदगी से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन जैसी समस्याओं से निपटने में काफी मदद मिलती है. जबकि विटामिन्स और मिनरल्स पूरी हेल्थ को बेहतर बनाए रखने का काम करते हैं. दिमाग के लिए लाभकारी अखरोट में पॉलीअनसैचुरेटेड फैट, पॉलीफेनॉल्स और विटामिन-ई की अच्छी मात्रा होती है, जो दिमाग की सेहत को लाभ पहुंचाते हैं.यह सभी तत्व सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं. अखरोट का सेवन दिमाग को तेज़ बनाता है, याददाश्त बेहतर होती है और आप अलर्ट बनते हैं. भूलने की बीमारीकई रिसर्च के मुताबिक अखरोट से  दिमाग तेज होता  हैं. इसके अंदर पोलिअनसैचुरेटेड फैट, पोलिफेनोल्स, विटामिन ई होते हैं, जो ऑक्सीडेटिव डैमेज और ब्रेन इंफ्लामेशन से बचाकर भूलने की बीमारी से दूर रखते हैं. हाई बीपी की बीमारीस्ट्रोक और हार्ट अटैक के लिए हाई बीपी को काफी जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन अखरोट खाकर इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है. इसे कई शोधों में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने वाला देखा गया है. दिल की बीमारीदिल की बीमारी के लिए अखरोट को बेस्ट सोर्स माना जाता है. यह एक हेल्दी फैट होता है, जो शरीर के कई कामकाज के लिए जरूरी होता है. पुरुष और महिलाओं को दिल की बीमारी से बचने के लिए इसकी पर्याप्त मात्रा की जरूरत होती है....

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Benefits of Eating Ghee: घी खाना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है.आज कल आमतौर पर वजन कम करने और अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आमतौर पर तेल वाले फूड्स से दूर रहने की सलाह दी जाती है, लेकिन देसी घी का त्याग नहीं करना चाहिए क्योंकि ये सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. घी में हेल्दी फैट होते हैं साथ ही यह फैटी एसिड का बहुत अच्छा सोर्स होता है. इस फैट में विटामिन ए, ई और डी से भरपूर है. जो समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसके अतिरिक्त, घी में ब्यूटिरिक एसिड होता है. हेल्थ एक्सपर्ट से लेकर न्यूट्रिशन एक्सपर्ट अक्सर घी खाने की सलाह देते हैं. यह भी कहा जाता है कि डाइट में घी को बिल्कुल शामिल करना चाहिए. इसमें जितने सारे पोषक तत्व होते हैं. वह आपको किसी चीज में नहीं मिलेगा. अब सवाल यह उठता है कि एक दिन में कितना चम्मच घी खाना चाहिए? घी खाने के फायदे : पाचन में सुधारघी को पाचन के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. क्योंकि यह पाचन तंत्र को चिकना करने और सूजन को कम करने में मदद करता है. घी खाने से आंत में स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करता है, जो पाचन में सहायता करता है और जो शरीर में पोषक तत्वों को बढ़ाता है. यह मतली, सूजन और कब्ज जैसे अपच के लक्षणों से राहत दिलाने में भी सहायक है. इम्युनिटी बढ़ाता हैघी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और किसी भी मौसम में सर्दी और फ्लू से बचाने में मदद करता है. घी में विटामिन ए, डी, ई और के के साथ-साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होता है, जिसमें सूजन-एलर्जी वाली दिक्कतें दूरी होते हैं. साथ ही इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व विभिन्न प्रकार की बीमारियों के खिलाफ हमारी इम्युनिटी को बढ़ाती है.  यादाश्त को बढ़ाता है घीघी खाने से दिमाग तेज होता है और यादाश्त मजबूत होता है. यह स्मृति, एकाग्रता, फोकस और निर्णय लेने के कौशल जैसी क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करता है. इसके अलावा, घी में ओमेगा 3एस जैसे आवश्यक फैटी एसिड होते हैं जो बेहतर मानसिक स्वास्थ्य और बेहतर मूड से जुड़े होते हैं. मेटाबॉलिज्म बढ़ाता हैघी का सेवन आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने और खराब फैट को शरीर से खत्म करता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि घी में फैटी एसिड (एमसीएफए) होते हैं जो शरीर द्वारा आसानी से घुल जाते हैं और शरीर को एनर्जी देते हैं. यह वजन घटाने में भी मदद करता है. आयरन से भरपूर है घीघी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, सेलेनियम, जिंक और आयरन होते हैं जो किसी भी मौसम में स्वस्थ हड्डियों, त्वचा और बालों को हेल्दी रखने में मदद करते हैं. यह आपको एनीमिया जैसी बीमारी से भी बचाता है. इसलिए मौसम चाहे जो भी हो आपको हर रोज घी खाना चाहिए. घी सिर्फ आपके हेल्थ को ही नहीं बल्कि यह खाना के टेस्ट को भी बढ़ाता है.

n76

Black Salt vs Rock Salt: नमक शरीर में सोडियम बढ़ाने का काम करता है. हाई बीपी के मरीजों को हाई सोडियम से बचने का सुझाव दिया जाता है. लेकिन, नमक शरीर के लिए जरूरी भी है क्योंकि ये इलेक्ट्रोलाइट से भरपूर है और शरीर के इलेक्ट्रिकल सिग्नल को बेहतर बनाने में मदद करता है. बिना नमक के शरीर, खासकर कि इसके ब्रेन और सेल्स आराम से काम नहीं कर पाते हैं और व्यक्ति कोमा जैसी स्थिति में भी जा सकता है. आज हम आपको बताएंगे कि हाई बीपी के मरीज को कौन सा नमक खाना चाहिए ताकि उनकी सेहत न बिगड़े. नमक में सोडियम होता है जो आपके शरीर में सोडियम बढ़ाने का काम करता है. वहीं हाई बीपी के मरीज को ज्यादा सोडियम खाने से मना किया जाता है. बेहतर कौन काला नमक या सेंधा नमक? - काला नमक पूरी तरह से प्राकृतिक नहीं है और इसमें एक अलग गंध और स्वाद होता है, जबकि सेंधा नमक (kala namak sendha namak mein antar) पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसका रंग हल्का गुलाबी होता है.- आयुर्वेद में, सेंधा नमक का उपयोग पित्त दोष को दूर करने के लिए किया जाता है, जबकि काला नमक का उपयोग गैस, कब्ज और पाचन समस्याओं को - दूर करने के लिए किया जाता है. सेंधा नमक खाने से दिल के लिए अच्छा होता है और मधुमेह को रोकने में मदद मिल सकती है, जबकि काला नमक कोई विशेष लाभ नहीं देता है. हाई बीपी में कौन सा नमक खाएं?  सेंधा नमक में सोडियम की मात्रा काफी कम होती हैय जिसके कारण बीपी नहीं बढ़ता है. इसमें पाए जाने वाले सोडियम ब्लड वेसेल्स को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. जिसके कारण हाई बीपी की समस्या नहीं होती है.यह ब्लड सर्कुलेशन के फ्लो को भी ठीक रखता है. इसके अलावा यह शरीर को नुकसान पहुंचाने से भी बचाता है. पेट से जुड़ी समस्याओं में काला नमक खाना सेहत के लिए अच्छा होता है. डाइजेस्टिव एंजाइम्स को बढ़ावा देता है साथ ही कब्ज और गैस समेत पेट से जुड़ी कई समस्याओं से निजात दिलाता है. ...

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Benefits of Green Chilli: भारतीय रसोई में हरी मिर्च का खूब इस्तेमाल किया जाता है. हरी मिर्च को लाल मिर्च की तुलना में सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद माना जाता है और यही वजह है कि अधिकतर लोग इसे अपनी डाइट में जरूर शामिल करते हैं.हरी मिर्च में विटामिन ए, विटामिन बी6, विटामिन सी, आयरन, कॉपर, पोटैशियम, प्रोटीन और बीटा-कैरोटीन जैसे तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. जो आपको कई बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं. जी हां क्योंकि हरी मिर्च औषधीय गुणों से भरपूर होती है. अगर आप रोजाना अपनी डाइट में एक हरी मिर्च शामिल करते हैं तो यह ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करती है और इसके सेवन से स्वास्थ्य संबंधी कई अन्य समस्याएं भी दूर हो जाती हैं. हरी मिर्च दुनियाभर में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों में से एक है. आज हम आपको हरी मिर्च खाने के बेहतरीन फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे. दर्द से दिलाए राहत हरी मिर्च को नेचुरल पेन रिलीवर माना जा सकता है. मिर्च में पाया जाने वाला कंपाउंड कैप्साइसिन शरीर में होने वाले दर्द को कम कर सकता है. यह कंपाउंड हमारे नर्वस सिस्टम में जाकर दर्द को कम कर देता है.  हार्ट हेल्थ के लिए लाभकारी हरी मिर्च खाना दिल की सेहत के लिए भी बेहद लाभकारी होता है. कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि हरी मिर्च का सेवन करने से शरीर में जमे बैड कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है. इससे ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल किया जा सकता है.  कोलेस्ट्रॉल ऐसे रहता है कंट्रोलअगर आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है तो अगर आप रोजाना 1 हरी मिर्च का सेवन करते हैं तो यह फायदेमंद होता है. जी हां, क्योंकि इसमें पाया जाने वाला फाइबर खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है. जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. त्वचा को रखे हेल्दीअगर आप रोजाना 1 हरी मिर्च खातें हैं तो इससे त्वचा को फायदा होता है. जी हां, इसमें पाया जाने वाला विटामिन सी और विटामिन ई त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है. आंखों को रखें हेल्दीअगर आप रोजाना 1 हरी मिर्च खाएंगे तो यह आंखों के लिए फायदेमंद होता है. जी हां क्योंकि इसमें पाया जाने वाला विटामिन ए और बीटा कैरोटीन आंखों को स्वस्थ रखने और आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है.

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Diabetes Control Flour: डायबिटीज बड़ी खतरनाक बीमारी है. इसमें शुरुआत में कुछ पता नहीं चलता लेकिन धीरे-धीरे यह शरीर को खोखला करने लगती है.यह एक ऐसी क्रोनिक बीमारी है, जिसकी कोई दवा नहीं है. हालांकि, लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव कर इसे कंट्रोल किया जा सकता है.भारत में डायबिटीज के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. इसका कारण है कि भारत का खान-पान कार्बोहाइड्रैट आधारित है जिसके कारण ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल दोनों बढ़ जाता है. इसलिए खान-पान की आदतों में सुधार करना चाहिए. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अपनी रोजाना की डाइट में बदलाव कर ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को आसानी से कम कर सकते हैं. चार चीजें ऐसी हैं, जिन्हें अगर आटे (Diabetes Control Flour) में मिलाकर उसकी रोटी बनाई जाए तो डायबिटीज से काफी राहत मिल सकती है. जौ का आटा जौ के आटे में प्रचूर मात्रा में फाइबर होता है जो मेटाबोलिज्म को बूस्ट कर शुगर को तुरंत बनने नहीं देता. जौ का आटा इंसुलिन सेंसिटिविटी को तेजी से बढ़ाता है. जौ लो ग्रेड इंफ्लामेशन को भी कम करता है जिससे शरीर में कई तरह की बीमारियों से रक्षा होती है. इसलिए आप यदि गेंहू के आटे की रोटियां बनाते हैं तो आटा गूंथते समय ही इसमें थोड़ा जौ का आटा मिला दें. आपका पूरा दिन शुगर नहीं बढ़ेगी और कोलेस्ट्रॉल भी नहीं बढ़ेगा. बेसन या चने का आटा गेंहू के आटे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है और इसमें कार्बोहाइड्रैट की मात्रा भी ज्यादा होती  है. लेकिन यदि आप इस गेंहू के आटे में थोड़ा बेसन रोज मिला देंगे तो इसके टेस्ट में भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा और इसमें प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाएगी. जब आप इस आटे से बनी रोटियों को सुबह-सुबह खाएंगे तो दिन भर आपकी शुगर नहीं बढ़ेगी और कोलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल में रहेगा. अमरंथ का आटा अमरंथ मिलेट कैटगरी में आता है. लोग अमरंथ के आटे का इस्तेमाल औषधि के तौर पर करते हैं. अमरंथ लाल रंग के दानेदार अनाज है. अमरंथ से दलिया बनाया जाता है. इसे राजगिरा और चौलाई भी कहा जाता है. हाल ही की रिसर्च में अमरंथ में एंटी-डायबेटिक और एंटीऑक्सीडेटिव गुण पाए जाने के बाद यह बेहद पॉपुलर हो गया है. अमरंथ के आटे को गेंहू के आटे में मिलाकर इसकी रोटियों का सेवन करने ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है.  रागी का आटा यदि आप शुगर के मरीज हैं या हाई कोलेस्ट्रॉल है तो आप रोजाना गेंहू के आटे में थोड़ा रागी का आटा मिला दीजिए. इसकी रोटियां खाने से दोनों चीजें कंट्रोल में रहेगी. रागी फाइबर और कई तरह के पोषक तत्वों का खजाना होता है. रागी कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, प्रोटीन, पोलीसैचुरेटेड फैट से भरा होता है. रागी कई तरह की क्रोनिक बीमारियों को दूर करती है....

n60

Benefits of Eating Dates: इस भागदौड़ वाली लाइफस्टाइल में बहुत कम लोग हैं जो खुद को फिट रखने के लिए हमेशा कुछ न कुछ अलग ट्राई करते रहते हैं. आज हम आपको खजूर के फायदे के बारे में बताएंगे. जिसे आप अपनी डाइट में शामिल करेंगे तो कब्द से लेकर खून की कमी शरीर की सभी छोटी-बड़ी बीमारी से आपको छुटकारा मिल जाएगा. इसमें फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, विटामिन बी6 और आयरन की भरपूर मात्रा पाई जाती है. आज हम खजूर के फायदे के बारे में बात करेंगे. खजूर में नैचुरल मिठास होता है. तो अगर आप चीनी छोड़ना चाहते हैं तो उसकी जगह आप खजूर का इस्तेमाल कर सकते हैं.  1. वजन होगा कमसुबह खाली पेट खजूर खाने के खाने से आपका वजन कम होने लगता हैं, इसलिए जो लोग वेट लूज करने का मन बना रहे हैं वो नींद से जागने के बाद खजूर जरूर खाएं क्योंकि इससे काफी देर तक भूख नहीं लगती और आप जल्दी-जल्दी खाने से बच जाते हैं. 2. बढ़ जाएगी एनर्जीअगर आप रोजाना खाली पेट खजूर खाएंगे तो शरीर में दिनभर एनर्जी बरकार रहेगी. दरअसल इस मीठे फल में आयरन की भरपूर मात्रा पाई जाती है जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ जाता है और आप ऊर्जा से भर जाते हैं. 3. त्वचा के लिए लाभदायकखजूर में भरपूर मात्रा में विटामिन-सी, विटामिन-डी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो आपकी त्वचा को मुलायम बनाते हैं. इसमें एंटी-एजिंग गुण भी होते हैं. इसे खाने से स्किन भी हेल्दी होती है. 4. डायबिटीज के मरीजों के लिए गुणकारीखजूर में मौजूद फाइबर डायबिटीज के मरीजों के लिए अच्छा है. यह रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य रखने में मदद करता है. मधुमेह के रोगियों को लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स खाने की सलाह दी जाती है. एक्सपर्ट के अनुसार, सादे दही में खजूर मिलाकर खाने से फायदा हो सकता है. 5. डाइजेशन होगा दुरुस्तजो लोग पेट की गड़बड़ी से परेशान रहते हैं उन्हें सुबह-सवरे खजूर जरूर खाना चाहिए, इसमें मौजूद फाइबर डाइजेशन और मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाता है जिससे कब्ज और गैस की समस्या दूर हो जाती है. 6. स्वीट क्रेविंग कम होती हैहम में से कई लोग ऐसे हैं जो बिना मीठा खाए नहीं रह सकते, लेकिन ये आदत मोटापा और डायबिटीज जैसी परेशानियां पैदा करती है. इसलिए खजूर आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है. इससे स्वीट क्रेविंग कम होती है और आप ज्यादा मीठा खाने से बच जाते हैं....

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High BP Problem: आजकल के लाइफस्टाइल में हाई ब्लड प्रेशर एक सामान्य समस्या बन गई है. दुनियाभर में अधिकतर लोगों को बीपी की शिकायत होती है. यह समस्या सही खान-पान न होने की वजह से साथ ही अधिक तनाव लेने की वजह से होता है. ब्लड प्रेशर होने पर डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए. ये लोग अपनी डाइट में पोटैशियम युक्त आहार शामिल करें. जिससे इनका बीपी कंट्रोल रहे. साथ ही इनको अपने खाने में नमक की मात्रा एकदम कम कर देना चाहिए. साथ ही जानते है कि चाय से परहेज करनी चाहिए या नहीं. हाई बीपी के मरीज को क्या खाली पेट चाय पीना चाहिए या नहीं- हाई बीपी के मरीज को हमेशा दूध वाली चाय पीने से बचना चाहिए. क्यों दूध वाली चाय बीपी कम करने के बजाय बढ़ा सकती है. .- हाई ब्लड प्रेशर के लोगों को अगर एंजाइटी, तनाव रहता है तो उन्हें भी चाय नहीं पीनी चाहिए. अगर वो चाय पीते हैं तो बीपी बढ़ने की संभावना रहती है.- हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को अगर एसिडिटी की समस्या है तो उन्हें चाय बिल्कुल नहीं पीनी चाहिए.- हाई ब्लड प्रेशर वाले को अगर पेशाब करने में जलन होती है तो उन्हें भी चाय से परहेज करना चाहिए. चाय अधिक पीने से सीने और पेट में जलन होती है.- वैसे तो खाली पेट किसी भी व्यक्ति को चाय नहीं पीनी चाहिए, लेकिन ब्लड प्रेशर की स्थिति में खाली पेट चाय पीने से इसका स्तर अधिक हो सकता है. इस स्थिति में सीने में जलन महसूस हो सकती है. हाई बीपी में कौन सी चाय पिएंग्रीन टीहाई बीपी के मरीज के लिए सबसे अच्छी चाय होती है ग्रीन टी. ग्रीन टी सिकुड़े हुए ब्लड वेसेल्स को खोलने का काम करता है. साथ ही साथ हाई बीपी की समस्या को भी कम करता है. ग्रीन टी में जो एंटीऑक्सीडेंट्स और कैटेचिन होते हैं वह ब्लड वेसेल्स को खोलने का काम करता है जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है.  ब्लैट टीअगर हाई बीपी वाले ब्लैक टी भी पिएंगे तो वह उनके ब्लड वेसेल्स के लिए अच्छा है. साथ ही साथ दिल से जुड़ी कई समस्याओं को ठीक करने में भी मदद करता है. हाई बीपी के मरीज नींबू की चाय भी पी सकते हैं.

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Fenugreek Leaves Benefits: सर्दियों के मौसम में बीमारी से बचने के लिए हरी सब्जियां किसी वरदान से कम नही हैं. औषधीय गुणों से युक्त हरी सब्जियों का सेवन करना बड़ा फायदेमंद माना जाता है. मेथी की पत्तियों में मौजूद विटाामिन, फाइबर और मिनरल्स जैसे गुण सेहत को बहुत फायदा पहुंचाते हैं. ये बीमारियों को शरीर से दूर रखने का काम करते हैं. सर्दियों के दिनों में मेथी की पत्तियों की सब्जी और पराठे बनाकर खाए जाते हैं. इन दिनों में मेथी खाने से बहुत फायदा मिलता है. हार्ट के लिए फायदेमंदमेथी के पत्तों में मौजूद पोषक तत्व हार्ट के लिए फायदेमंद माने जाते हैं. इन पत्तियों में पोटेशियम मौजूद होता है तो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है. मेथी के सेवन से हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है. डायबिटीज में असरदार मेथी के बीज तो शुगर लेवल कम करते ही हैं, साथ ही मेथी की पत्तियां भी डायबिटीज में फायदा पहु्ंचाती हैं. मेथी की पत्तियों को खाने से शुगर कंट्रोल में रहती है. इसमें गैलेक्टरोमैनन नामक फाइबर पाया जाता है जो शुगर को बढ़ने से रोकता है.  वजन कम करने में मदद करेमेथी की पत्तियां वजन कम करने में मदद करती हैं. इनमें बहुत कम कैलोरी पाई जाती है. जहां दूसरी चीजें खाने से वजन बढ़ सकता है, वहीं मेथी की पत्तियां वजन कम करने में मदद करती हैं. इन पत्तियों के सेवन से तेजी से वेटलॉस होता है.  हड्डियां बनाए मजबूत मेथी की पत्तियां हड्डियों के लिए फायदेमंद है. इसमें विटामिन k भी अच्छी मात्रा में मौजूद होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करता है. मेथी की पत्तियों में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स भी सेहत को फायदा पहुंचाते हैं. पाचन बनाए बेहतर मेथी की पत्तियां पाचनतंत्र के लिए भी फायदेमंद हैं. इन पत्तियों में मौजूद पोषक तत्व पाचन से जुड़ी परेशानियों को दूर करने का काम करते हैं. मेथी की पत्तियों से बनी चीजें खाने से कब्ज, अपच और पेट दर्द की परेशानी दूर हो जाती है.   ...

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Female Condoms: कंडोम जन्म नियंत्रण का सबसे लोकप्रिय तरीका है. यह सस्ता होने के साथ-साथ उपयोग में आसान भी है, जो आपको विभिन्न एसटीआई और अनचाहे गर्भ से बचाता है. कंडोम बेशक आपके लिए अच्छा है लेकिन इसका अधिक इस्तेमाल आपकी सेहत के लिए हानिकारक भी हो सकता है. इसकी आपूर्ति 138 देशों को की गई. 2007 से इसकी खरीदारी दोगुनी हो गई है और महिला स्वास्थ्य कंपनी आठ वर्षों से लाभदायक है. लेटेक्स एलर्जीकंडोम पतले लेटेक्स (रबर), पॉलीयुरेथेन या पॉलीआइसोप्रीन से बने होते हैं, जो शुक्राणु को गर्भावस्था तक पहुंचने से रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. लेकिन लेटेक्स से किसी को भी एलर्जी हो सकती है. इससे दाने, पित्ती और नाक बहने जैसी एलर्जी हो सकती है.गंभीर मामलों में, यह वायुमार्ग को संकीर्ण कर सकता है और रक्तचाप को कम कर सकता है. यदि आपको या आपके साथी को लेटेक्स से एलर्जी है, तो आपको पॉलीयुरेथेन या लैम्ब्स्किन कंडोम का उपयोग करना चाहिए. अन्य दो कंडोम लेटेक्स से थोड़े अधिक महंगे हैं. यौन संचारित रोगों (एसटीआई) का खतरा कंडोम एचआईवी और क्लैमाइडिया और एचपीवी जैसी अन्य बीमारियों के खतरे को कम करते हैं, लेकिन वे कई यौन संचारित रोगों के खतरे को भी बढ़ाते हैं. कंडोम बाहरी त्वचा की रक्षा नहीं करते, जिससे खुजली और संक्रमण का खतरा होता है. अमेरिकन सोशल हेल्थ एसोसिएशन के अनुसार, कंडोम जननांग दाद के खतरे को कम कर सकता है, लेकिन त्वचा के उन सभी क्षेत्रों की रक्षा नहीं करता है जो यौन संचारित रोगों के खतरे में हैं. गर्भावस्था के जोखिमकंडोम का सही उपयोग 98 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन गलत उपयोग से 100 में से 15 महिलाओं को गर्भधारण का खतरा होता है. इसलिए इसका सही तरीके से इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. एक्सपायर्ड कंडोम का गलती से भी इस्तेमाल न करें. पार्टनर के स्वास्थ्य को ख़तरादो अमेरिकी डॉक्टरों का दावा है कि कंडोम से महिलाओं को कैंसर का भी खतरा रहता है. उनके मुताबिक, कंडोम पर पाउडर और चिकनाई का इस्तेमाल किया जाता है. कई अध्ययनों के अनुसार, पाउडर से डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है और फैलोपियन ट्यूब पर फाइब्रोसिस महिला को बांझ बना सकता है. हर किसी को कंडोम से दुष्प्रभाव नहीं होते. ऐसे बहुत ही कम मामले सामने आए हैं जहां लोगों को कंडोम के इस्तेमाल से परेशानी का सामना करना पड़ा हो. ऐसे मामले में, वे गर्भनिरोधक के अन्य तरीकों का चयन कर सकती हैं जैसे मौखिक गर्भनिरोधक गोलियाँ, अंतर्गर्भाशयी उपकरण (आईयूडी), या डायाफ्राम. गर्भावस्था और यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) को रोकने के लिए कंडोम का उपयोग सबसे सुरक्षित तरीका है. इसलिए अगर आपको अब तक कंडोम से कोई परेशानी नहीं हुई है तो इसका इस्तेमाल बंद न करें और इसका सही तरीके से इस्तेमाल करना सीखें.चीन में उपलब्ध महिलाओं का कंडोम PATH नामक एक गैर सरकारी संगठन की 17 साल की परियोजना का परिणाम है.यह संगठन स्वास्थ्य अनुसंधान में शामिल है.उन्होंने इसके 50 वेरिएंट का परीक्षण किया है. यह कंडोम FC-2 से छोटा है.यह एक टैम्पोन जैसा दिखता है और एक पॉलीविनाइल आवरण में रखा जाता है.यह गुहिका योनि के अंदर घुल जाती है और कंडोम उसकी जगह ले लेता है. इस पर बने बिंदु इसे स्थिर रखते हैं.  

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Remedies to increase Breast Size: हर महिला की चाहत होती है कि उसके स्तन सुंदर, बड़े और आकर्षक हों. शरीर में एस्ट्रोजन की कमी और ख़राब खान-पान के कारण कुछ महिलाओं के स्तन ठीक से विकसित नहीं हो पाते हैं. स्तनों का आकार छोटा होने के कारण महिलाएं हर तरह की ड्रेस में अच्छी नहीं लगतीं छोटे स्तन वाली महिलाएं अन्य महिलाओं की तुलना में कम आकर्षक लगती हैं. ऐसी महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी भी देखी जाती है.ऐसे में हर महिला अपने स्तनों का आकार बढ़ाना चाहती है. ऐसी कई महिलाएं हैं जो प्राकृतिक रूप से अपने स्तनों का आकार बढ़ाना चाहती हैं.अगर आप भी प्राकृतिक रूप से ब्रेस्ट साइज बढ़ाना चाहती हैं तो कुछ घरेलू उपाय कारगर साबित हो सकते हैं. 1. जैतून या तिल के तेल से मालिश करेंमालिश करने से स्तनों का आकार बढ़ाने में मदद मिल सकती है. दरअसल, मालिश करने से स्तनों में रक्त संचार बेहतर होता है. इससे छाती की मांसपेशियां बढ़ती हैं. इसके अलावा छाती की मांसपेशियां भी टाइट हो जाती हैं. स्तनों की मालिश के लिए जैतून या तिल का तेल अच्छा हो सकता है. इसके लिए तेल को हल्का गर्म कर लें. प्रत्येक स्तन की 10-15 मिनट तक मालिश करें. रोजाना अपने स्तनों की मालिश करने से आपको कुछ ही दिनों में फर्क नजर आने लगेगा. 2. मेथी के बीज चबाएंमेथी के बीज भी स्तन का आकार बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं. अगर आपके स्तन छोटे हैं तो आप रसोई में उपलब्ध मेथी के दानों को अपने आहार में शामिल कर सकती हैं. मेथी के बीज शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ाते हैं. इससे स्तन का आकार तेजी से बढ़ने लगता है.इसके लिए मेथी के दानों को रात भर एक गिलास पानी में भिगो दें. सुबह उठकर इन बीजों को चबाएं. आप चाहें तो मेथी के बीज का पानी भी इस्तेमाल कर सकते हैं. या फिर आप मेथी के दानों का पेस्ट भी छाती पर लगा सकते हैं. 3. सोयाबीन का सेवन करेंब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए सोयाबीन का सेवन भी बहुत फायदेमंद होता है. आपको बता दें कि शरीर में एस्ट्रोजन की कमी के कारण स्तनों का आकार नहीं बढ़ता है. सोयाबीन में एस्ट्रोजेन होता है, जो स्तन के आकार को बढ़ाने के लिए आवश्यक है. सोयाबीन को आहार में शामिल करने से शरीर में एस्ट्रोजन बढ़ता है, जिससे स्तनों का आकार बढ़ता है.सोयाबीन प्रोटीन का भी अच्छा स्रोत है, जो स्तन की मांसपेशियों के विकास में मदद करता है. 4. योग और व्यायाम करेंआप रोजाना योग या व्यायाम करके भी अपने स्तनों का आकार बढ़ा सकती हैं.शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से छाती की मांसपेशियां मजबूत होती हैं.इसके अलावा स्तनों का भी विकास होता है.ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए आप रोजाना पुश-अप्स, वॉल प्रेस, डंबल प्रेस, पुलओवर आदि एक्सरसाइज का अभ्यास कर सकती हैं.इनके अलावा भुजंगासन, उस्रासन, वृक्षासन और गोमुखासन करने से भी स्तनों का आकार बढ़ता है. 5.शतावरी चूर्ण का सेवन करेंब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए आप शतावरी पाउडर का भी सेवन कर सकते हैं. इसके लिए रोज रात को एक कप दूध में 2-3 ग्राम शतावरी पाउडर मिलाएं. कुछ दिनों तक रोजाना शतावरी का सेवन करने से स्तनों के आकार में बढ़ोतरी देखी जा सकती है. शतावरी में मौजूद औषधीय गुण महिलाओं की कई अन्य समस्याओं को भी दूर करने में मदद करते हैं. इसलिए, यदि आपके स्तन का आकार छोटा है, तो आप अपने डॉक्टर की सलाह पर शतावरी का सेवन कर सकती हैं.

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Diwali Sweets Adulteration: दीपावली (Deepawali 2023,)का त्योहार बस आ ही गया है. दीपावली पर मां लक्ष्मी औऱ गणेश जी की पूजा की जाती है और जमकर मिठाइयां खाई जाती हैं. इस मौके पर लोग एक दूसरे को मिठाई (mithai) भी गिफ्ट करते हैं. दिवाली पर मिठाइयों की बाजार में भरमार होगी. रंग-बिरंगी और लुभावनी मिठाइयों के स्वाद के साथ विक्रेताओं के निजी स्वार्थ जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ को रफ्तार देने की तैयारी में है. आपको बता दें कि नकली मिठाई सेहत के लिए काफी खतरनाक होती है. इससे ना केवल फूड पॉइजनिंग होती है बल्कि और भी कई सेहत संबंधी खतरे पैदा हो जाते हैं. इसलिए जरूरी है कि बाजार से मिठाई लाते समय आप नकली और असली मिठाई की पहचान जरूर कर लें. चलिए जानते हैं कि बाजार में मौजूद मिठाई में असली और नकली की पहचान (how to check, fake mithai)कैसे की जाती है. इस तरह की जाती मिलावटदूध-यूरिया, शैंपू, डिटर्जेंट व रिफाइंड से सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है. ऐसा 10 किलो दूध 200 रुपये से कम में तैयार हो जाता है। असली दूध 60 रुपये लीटर है. नकली मावा सिंथेटिक दूध, सूजी, तेल, रंग, आलू, शकरकंद की मिलावट की जाती है. एक किलो नकली मावा बनाने पर 60 से 70 रुपये खर्चा आता है. असली बताकर इसे 250-300 रुपये किलो तक बेचा जाता है. सिंथेटिक दूध व स्टार्च (अरारोट) का उपयोग करके रसगुल्ला तैयार किया जाता है. होलसेल में यह 80 रुपये किलो बिकता है. रिटेल में 250 रुपये से अधिक तक बिक्री होती है. इस तरह करें असली और नकली मिठाई की पहचान  अगर आप दुकान पर मिठाई खरीदने जा रहे हैं तो केवल रंग देखकर ही मिठाई पैक ना करवा लें. सबसे पहले मिठाई असली है या नकली, इसकी पहचान कर लें. - अगर मिठाई ज्यादा रंगीन दिख रही है तो इसे ना लें. इसे हाथ में लेकर देखें, अगर इसका रंग हाथ में आ रहा है तो इसे ना खरीदें.  - मिठाई को हाथ में लेकर जरा सा रगड़े, अगर लिसलिसा महसूस हो रहा है तो ना खरीदें.  - मिठाई को सूंघकर देखें, अगर ये बासी लग रही है ...

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Raisins Benifits: किशमिश एक बहुत ही फायदेमंद सूखा मेवा है. इसमें ढेर सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं. जिसे महिलाओं को अपने डाइट में जरूर  शामिल करना चाहिए. खासतौर पर महिलाओं के लिए. यदि आप किशमिश को भिगोकर खाते हैं तो इसका आपको दोगुना लाभ प्राप्त हो सकता है. काली किशमिश में भरपूर मात्रा में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होते हैं.खासकर, भिगोए हुए किशमिश खाली पेट काली खाने से शरीर को कई तरह के पोषक तत्व मिलते हैं और ये आसानी से पच भी जाते हैं. इसलिए, महिलाओं को रोजाना खाली पेट काली किशमिश जरूर खानी चाहिए. आइए जानते हैं इसके फायदे. महिलाओं के लिए काली किशमिश के 5 चमत्कारी लाभ यौन स्वास्थ्य बेहतर बनाएएक्सपर्ट के मुताबिक, महिलाओं के लिए काली किशमिश अधिक फायदेमंद होती है. बता दें कि, काली किशमिश में अमीनो एसिड पर्याप्त मात्रा में होता है, जो यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है. दरअसल, अमीनो एसिड संभावित रूप से गर्भधारण की संभावना को भी बढ़ा सकता है. इनमें एल-आर्जिनिन की मौजूदगी गर्भाशय और अंडाशय में ब्लड फ्लो को बढ़ा सकती है. प्रेग्नेंसी में करें सेवनकाली किशमिश को गर्भावस्था के दौरान अपनी डाइट का हिस्सा बनाना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान काली किशमिश को पानी में भिगोने से कब्ज से प्रभावी रूप से राहत मिल सकती है. इसके अलावा काली किशमिश के पानी को डाइट में शामिल करने से गर्भवती महिलाओं को कई लाभ मिल सकते हैं. इसके अलावा, इसका नियमित सेवन एनीमिया को रोकने और हीमोग्लोबिन लेवल को बनाए रखने में मदद कर सकता है. हड्डियों के लिए फायदेमंदकाली किशमिश में कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और जिंक जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हड्डियों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं. ये सभी खनिज हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं. फास्फोरस और मैग्नीशियम हड्डियों के विकास में मदद करता है स्किन के लिए फायदेमंद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से युक्त काली किशमिश स्किन को पोषण देने का काम करती है. बता दें कि, इसके डिटॉक्सिफाइंग और एंटी-एजिंग गुण त्वचा को साफ, चमकदार और लंबे समय तक जवां बनाए रखने में मदद करते हैं. इसके अलावा, विटामिन सी मुंहासे को रोकने में भी मदद करता है. इसका लाभ लेने के लिए रोज एक कप पानी में 8-10 काली किशमिश भिगोकर इसका पानी खाली पेट पीना चाहिए. इम्यूनिटी मजबूत करेगर्भावस्था के दौरान इम्यून सिस्टम में बदलाव आते हैं. कई विटामिन और मिनरल से भरपूर काली किशमिश का पानी, इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकता है, जो सामान्य बीमारियों और इंफेक्शन से सुरक्षा प्रदान करता है. वहीं, काली किशमिश के पानी में मौजूद पोटेशियम ब्लड प्रेशर लेवल को स्थिर बनाए रखने में योगदान देता है, जिससे इन कॉम्प्लीकेशन्स की संभावना कम हो जाती है.

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Turmeric Milk in Pregnancy : ज्यादातर भारतीय घरों में हल्दी दूध पीने की परंपरा होती है. क्योंकि दादी-नानी के जमाने से हल्दी दूध पीने का चलन चल रहा है. क्योंकि ये माना जाता है कि हल्दी वाला दूध पीना फायदेमंद  होता है.हल्दी दूध पीने से हजम शक्ति बढ़ती है, नींद अच्छी आती है, जो लोग अर्थराइटिस के शिकार है उनके जोड़ों में दर्द होता है उससे आराम मिलता है.सर्दी के मौसम में हल्दी अगर आपके खानपान में शामिल है तो प्रदूषण और ठंडी हवाओं से बच सकते हैं. यही कारण है कि सर्दियों में हल्दी के लड्डू, हल्दी वाला दूध और हल्दी से बनी कई चीजें खाई जाती हैं. हल्दी वाला दूध अक्सर पीने की सलाह दी जाती है लेकिन एक सवाल अक्सर पूछा जाता है कि क्या प्रेगनेंसी में महिलाओं को हल्दी वाला दूध (Turmeric Milk in Pregnancy) पीना चाहिए या नहीं. आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं इसका जवाब. प्रेगनेंसी में हल्दी वाला दूध फायदेमंद या नुकसानदायकएक्सपर्ट्स के मुताबिक, प्रेगनेंसी में हल्दी और दूध फायदेमंद हो सकता है. गर्भवती महिलाओं के लिए हल्दी वाला दूध पीना पूरी तरह सेफ माना जाता है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. जैसे, हल्दी वाला दूध दिन में सिर्फ एक बार ही पीना चाहिए. दूध में ज्यादा हल्दी डालना भी नुकसानदायक हो सकता है. गर्भवती महिलाओं के लिए हल्‍दी का दूध निम्‍न तरह से फायदेमंद होता है : - पैरों में सूजन : प्रेगनेंसी में वॉटर रिटेंशन और हार्मोनल बदलावों के कारण जोड़ों में दर्द और पैरों में सूजन को हल्‍दी दूर करती है.- सर्दी-जुकाम : हल्‍दी में एंटी-इंफ्लामेट्री गुण होते हैा जो सर्दी-जुकाम से राहत दिलाती है। हल्‍दी का दूध पीने से सर्दी-जुकाम, खांसी और गले की खराश ठीक होती है.- इम्‍यून सिस्‍टम : हल्‍दी एंटीऑक्‍सीडेंट की तरह काम करती है जो फ्री रेडिकल्‍स को हटाकर इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत करती है. कैसे पिए हल्दी वाला दूध गर्भवती महिलाएं अगर हल्दी व...

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Boiled Egg vs Omelette: अंडा हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. कई लोग अपने ब्रेकफास्ट में अंडा खाना काफी पसंद करते हैं. अंडा स्वादिस्ट होने के साथ-साथ हेल्दी भी होता है जिस वजह से लोग इसे अपनी डाइट का हिस्सा बनाते हैं.यह विटामिन, आयरन और प्रोटीन का एक शानदार सोर्स है. लेकिन आजतक इस सवाल पर बहस चल रही है कि ऑमलेट या उबले हुए अंडे दोनों में सबसे ज्यादा हेल्दी क्या है? जबकि कुछ का तर्क है कि ऑमलेट ज्यादा हेल्दी होता है वहीं दूसरों का कहना है कि उबले हुए अंडे ज्यादा हेल्दी है. आज हम इस आर्टिकल के जरिए इसी बात की पता लगाने की कोशिश करेंगे.  उबले अंडे के फायदे - उबले अंडे पोषण का एक बढ़िया सोर्स होते हैं. एक उबले अंडे में करीब 78 कैलोरी होती है, जो शरीर को प्रोटीन, फैट और जरूरी विटामिन-मिनरल्स प्रदान करती है.- अंडे को उबालने से इसके सभी पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं, जिसकी वजह से एक खाने के लिए एक हेल्दी ऑप्शन साबित होता है.- उबले अंडे विटामिन बी12, डी और राइबोफ्लेविन का बेहतरीन सोर्स होते हैं, तो एनर्जी बढ़ाने के साथ ही हड्डियों के स्वास्थ्य बेहतर बनाते हैं.- इसके अलावा उबले अंडों में कोलीन होता है, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य और विकास के लिए बेहद जरूरी है. आमलेट के फायदे  - अंडे की एक बेहद लोकप्रिय और स्वादिष्ट डिश है, जिसे कई सारे लोग पसंद करते हैं.- इसे अक्सर पनीर, सब्जियों और कभी-कभी मांस आदि के साथ बनाया जाता है, जिसकी वजह से इसके मौजूद पोषण भिन्न हो सकते हैं.- आमलेट में मिलाई जाने वाली अन्य सामग्रियों की वजह से इसमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है और इसमें कैलोरी और अनहेल्दी फैट भी ज्यादा हो सकते हैं, खासकर अगर इसे ज्यादा तेल या बटर के साथ पकाया गया हैं. - आमलेट के जरिए सब्जियों और लीन प्रोटीन से विभिन्न पोषक तत्व मिलते हैं, तो जिसे सेहत के लिए हेल्दी बनाते हैं. आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर कौन?उबले अंडे और ऑमलेट दोनों के पोषण संबंधी फायदो का एक शानदार सोर्स है. उबले अंडे प्रोटीन, विट...

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Tips to control diabetes during diwali: डायबिटीज की बीमारी ऐसी है जिसके लिए आपको अपनी  हेल्‍थ की केयर करनी पड़ती है. इस बीमारी में थोड़ी से भीलापरवाही कई नुकसान कर सकती हैं. इस बीमारी में मीठा बिल्कुल भी नहीं खाना होता है, लेकिन दिवाली के अवसर पर मिठाई खाने में आई ही होगी. ऐसे में आपको थोड़ा अलर्ट हो जाना चाहिए, क्‍योंकि ज्‍यादा मीठा खाने से ब्‍लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है. आइए जानते हैं उन घरेलू नुस्‍खों के बारे में जिससे आप अपना ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल कर सकते हैं. ऐसे में अगर आपको भी यही टेंशन सता रही है, तो हम आपको बताते हैं कि कैसे दिवाली पर मीठा खाने के बाद भी आप अपनी डायबिटीज को कंट्रोल रख सकते हैं. दीपावली पर ऐसे रखें अपनी सेहत का ख्यालवॉक के लिए समय निकालें दीपावली पर यूं तो आपको बहुत काम होते हैं, ऐसे में आप वर्कआउट करना छोड़...

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Dry Ginger vs Fresh Ginger: अदरक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है. औषधीय गुणों से भरपूर अदरक सर्दियों में इस्तेमाल होने वाली एक हेल्दी जड़ी-बूटी है. अदरक में एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो सर्दी-जुकाम, शरीर की सूजन और वायरल इन्फेक्शन से बचाने में मदद कर सकता है. अदरक का इस्तेमाल चाय के साथ-साथ अलग-अलग सब्जियों में भी किया जाता  हैं. अदरक कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए प्रभावी माना जाता है. कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि अदरक का सेवन किस रूप में करना स्वास्थ्य के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होता है, ताजा या सूखा?  कई लोग इसका सूखाकर सेवन करना ज्यादा फायदेमंद मानते हैं, जबकि कुछ लोग ताजे अदरक का इस्तेमाल करना सही मानते हैं. दरअसल अदरक का दोनों ही रूपों में स्वाद कमोबेश एक जैसा ही रहता है. आयुर्वेद एक्सपर्ट रेखा राधमोनी के मुताबिक, सूखा अदरक क...

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National Cancer Awareness Day 2023: कैंसर, वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारकों में से एक है. अकेले भारत में हर साल कई प्रकार के कैंसर के कारण आठ-नौ लाख लोगों की मौत हो जाती है. लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण कैंसर का जोखिम और भी बढ़ता जा रहा है. देश में कैंसर के बढ़ते जोखिमों को लेकर लोगों को अलर्ट करने और इससे बचाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल सात नवंबर को नेशनल कैंसर अवेयरेस डे मनाया जाता है.पूरी दुनिया में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर सबसे कॉमन कैंसर है, जिससे हर साल लाखों महिलाएं शिकार होती हैं. क्या है ब्रेस्ट कैंसर?स्तन कैंसर एक घातक स्थिति है, जो ब्रेस्ट टिशूज में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि और उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) के कारण होता है. यह आमतौर पर दूध पैदा करने वाली ग्रंथियों (लोब्यूल्स) की कोशिकाओं या उन नलिकाओं में शुरू होता है, जो दूध को निपल तक ले जाती हैं. धीरे-धीरे ये अनियंत्रित कोशिकाएं ट्यूमर का रूप धारण कर लेती हैं. स्तन कैंसर इन्वेसिव हो सकता है यानी यह आसपास के ऊतकों या शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है. स्तन कैंसर का मुख्य कारण कई बार अनुवांशिक, पर्यावरणीय, हार्मोनल और खराब जीवनशैली हो सकता है. ब्रेस्ट कैंसर का कारणडॉक्टरों के मुताबिक  स्तन कैंसर तब होता है जब ब्रेस्ट के कुछ टिश्यूज असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं. ये कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ती है और जमा होती रहती है. जिससे एक गांठ या लिक्विड निकलने लगता है. कोशिकाएं आपके स्तन से होते हुए आपके लिम्फ नोड्स या आपके शरीर के अन्य भागों में फैल सकती हैं जिसे (मेटास्टेसिस) कहते हैं.  स्तन कैंसर अक्सर दूध बनाने वाली नलिकाओं (इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा) में कोशिकाओं से शुरू होता है. स्तन कैंसर लोब्यूल्स (इनवेसिव लोब्यूलर कार्सिनोमा) नामक ग्रंथि ऊतक या स्तन के भीतर अन्य कोशिकाओं या ऊतक में भी शुरू हो सकता है. शोधकर्ताओं ने हार्मोनल, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों की पहचान की है जो स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि जिन लोगों में कोई जोखिम कारक नहीं है उनमें कैंसर क्यों विकसित होता है. ब्रेस्ट कैंसर का इलाज और बचाव के उपायआमतौर पर यदि लक्षणों को पहचानकर कैंसर डिटेक्ट हो जाए तो इसका इलाज डॉक्टर शुरू कर देते हैं. इलाज कैंसर किस स्टेज में पहुंच चुका है, इस पर भी निर्भर करता है. इसमें मुख्य रूप से रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी (Chemotherapy), सर्जरी, हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy), मेडिसिन के जरिए इलाज किया जाता है. यदि आप चाहती हैं कि आपको ब्रेस्ट कैंसर ना हो तो आप नियमित रूप से अपने स्तनों की जांच खुद से करें. इसके लिए आप ब्रेस्ट को छूकर चेक करें कि कहीं कोई गांठ तो नहीं. ऐसा नजर आए तो डॉक्टर से तुरंत मिलें. इसके अलावा, वजन कम करें, हेल्दी डाइट लें, शारीरिक रूप से एक्टिव रहें, जीवनशैली में बदलाव लाएं और रेगुलर एक्सरसाइज करें. ऐसा करके काफी हद तक ब्रेस्ट कैंसर से बचाव संभव है.  ...