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Health
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Healthy foods: जवान रहने के लिए महिलाओं और पुरुषों को इन चीजों का सेवन करना चाहिए.जिससे वे हमेशा जवान बने रह सकें.  कुछ लड़कियां मास्टर डिग्री कर रही हैं, कुछ नौकरी कर रही हैं, कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं.ऐसे में इधर-उधर भागदौड़ के कारण कई लड़कियों का रोजमर्रा का काम काफी मुश्किल हो जाता है.दरअसल, इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अपनी सेहत का ख्याल रखना बहुत जरूरी है, इसलिए लड़कियों को अपनी डाइट में कुछ ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए जो उन्हें स्वस्थ रखें, हार्मोनल संतुलन बनाए रखें, ऊर्जावान रहें और कैंप और कैंप में जाएं. मूड स्विंग से भी बचाएं. युवा बने रहने के लिए पुरुषों और महिलाओं को इन तत्वों पर अधिक ध्यान देना चाहिए.  - कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा का मुख्य स्रोत हैंमहिलाओं में मांसपेशियों की तुलना में वसा कोशिकाएं अधिक होती हैं, जिससे उनका वजन तेजी से बढ़ता है. अगर लड़कियां शुरू से ही शारीरिक रूप से सक्रिय रहेंगी तो उनके शरीर की चर्बी इतनी तेजी से नहीं बढ़ेगी.इसलिए शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने और व्यायाम के लिए ताकत देने के लिए कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना चाहिए. जटिल कार्बोहाइड्रेट में साबुत अनाज, जई, साबुत गेहूं पास्ता शामिल हैं.  - प्रोटीन शरीर में मांसपेशियों के निर्माण के लिए प्रोटीन सबसे फायदेमंद होता है.इसके अलावा प्रोटीन बालों और नाखूनों के विकास में भी अहम भूमिका निभाता है.  इसलिए लड़कियों को भी प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए. प्रोटीन खाने से हड्डियों की ताकत बढ़ती है और शरीर में ताकत भी बढ़ती है.प्रोटीन की मात्रा प्राप्त करने के लिए आप अंडे, पनीर, चिकन, दाल, सोया चंक्स आदि का सेवन कर सकते हैं.  - आयरन पीरियड्स के कारण लड़कियों में आयरन की कमी अधिक होती है, इसलिए उन्हें आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए.चुकंदर, आंवला, पालक, अनार आदि का सेवन करना चाहिए. . - फाइबरफाइबर पाचन में सुधार करता है और कहा जाता है कि यह खराब पाचन के कारण होने वाली सभी बीमारियों में से आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार है.देखा गया है कि कई लोग हरी सब्जियां या सलाद खाने से बचते हैं. लेकिन अगर आप अपनी सेहत को बरकरार रखना चाहते हैं तो आपको हरी सब्जियां जरूर खानी चाहिए. इनमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है जो लड़कियों की सेहत के लिए बहुत जरूरी है. ...

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Benefits of Flaxseeds: अलसी को फ्लैक्स सीड्स के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन समय से ही यह अनगिनत स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रसिद्ध है. अलसी के छोटे-छोटे बीज स्वास्थ्य लाभों का भंडार है. अलसी को 'सोने के बीज' भी कहा जाता है,क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए सोने से भी कीमती हैं. अलसी को इसके हल्के, पौष्टिक स्वाद और कुरकुरेपन के कारण एक बहुमुखी घटक के रूप में जाना जाता है. अलसी हर रूप में हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरदान है. इसकी सही खुराक और नियमित सेवन से जुड़े अद्भुत फायदों को जानना हर किसी के लिए जरूरी है. अलसी के बीजों में  कई बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने की क्षमता है, आइए अलसी खाने के फायदे  के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं.  - हृदय रोग के लिए फायदेमंदअलसी के बीज हृदय के लिए वरदान हैं. इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे तत्व पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करते हैं और हृदय रोगों का खतरा कम करते हैं.  - विटामिन ई से भरपूरअलसी में मौजूद कई पोषक तत्वों और खनिजों में विटामिन ई एक है। यह विटामिन रक्तचाप के स्तर को कम करने और अल्जाइमर रोग और हृदय रोग जैसी कुछ बीमारियों के जोखिम को कम करने में वास्तव में लाभकारी हो सकता है। यह मूत्र में सोडियम उत्सर्जन को बढ़ाकर रक्तचाप को कम करता है।  - कैंसर से लड़ने में मददअलसी में अच्छी मात्रा में लिग्नांस होते हैं जो पौधे के घटक होते हैं जो कैंसर से लड़ने वाले गुणों के लिए जाने जाते हैं. यह भी दिलचस्प है कि अलसी में किसी भी अन्य खाने योग्य पौधे की तुलना में 75 से 800 गुना अधिक लिग्नांस होता है.कुछ अध्ययनों में, अलसी का सेवन स्तन कैंसर के खतरे को कम करने से संबंधित है, विशेष रूप से पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं के लिए. टेस्ट-ट्यूब और जानवरों के अध्ययन में यह भी दिखाया गया है कि अलसी त्वचा, रक्त, फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर को रोकती है. - ड...

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Karonda Benefits: करौंदा जिसका वानस्पतिक नाम Carissa carandas है.यह आपके सेहत के लिए बहुत लाभदायक है. इसमें विटामिन C और आयरन जैसे अनमोल पोषक तत्व भरपूर मात्रा में हैं. इसे कई लोग क्रेनबेरी समझ लेते हैं लेकिन करौंदा क्रेनबेरी से काफी अलग है. करौंदा आपकी प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है, बल्कि पाचन और त्वचा को निखारने में मदद भी करता है. इसके फायदे जानकर आप भी अगली बार जब भी बाजार जाएं, करौंदा जरूर खरीदे. जानें इसके कई फायदे... स्किन इन्फेक्शन से बचाव करौंदे के जूस में एंटी फंगल और एंटी ऑक्ससिडेंट के साथ ही एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व पाए जाते है.जो फंगल इन्फेक्शन और बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बचने में मदद करते हैं.   पाचन में सुधारकरौंदा विटामिन C, आयरन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है. ये तत्व पाचन प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करते हैं और अम्लीयता को नियंत्रित करते हैं. इसके अलावा, करौंदा में डाइटरी फाइबर भी होता है, जो मल को मुलायम बनाए रखता है और कब्ज समस्या को दूर करता है. करौंदा न केवल एक स्वादिष्ट फल है, बल्कि यह पाचन क्रिया को सुधारने में भी सहायक है, जिससे आपको सेहतमंद और ताजगी महसूस होती है.  ब्लड प्रेशर के लिए फायदेमंद करौंदा के फल में विटामिन C, आयरन और अन्य उपयुक्त पोषक तत्व होते हैं, जो हृदय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं. यह फल उच्च रक्तदाब को नियंत्रित करने में मदद करता है, जो अन्य संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं को भी रोकता है.  डायबिटीज के लिए फायदेमंद कच्चे करौंदे का  एक्सट्रैक्ट ब्लड शुगर का लेवल कम करने में मदद करता है.जिस वजह से डायबिटीज की बीमारी कम होने का रिस्क होता है. बुखार से राहत करौंदा के पत्तों और फलों का काढ़ा बनाया जाता है जिसमें शरीर को ठंडा करने की क्षमता होती है, और इससे बुखार में आराम मिलता है.  वजन कम करने में असरदार करौंदा फल में डाइटरी फाइबर होता है, जो पाचन को सुधारता है और आपको लंबे समय तक पूर्ण अहसास कराता है, जिससे आप अधिक खाना खाने से बचते हैं. यह भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे आपकी कलोरी की सेवन मात्रा कम हो सकती है.   ...

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Broccoli Benefits:  सांस संबंधी बीमारियां आज के समय में बहुत आम हो गई हैं. प्रदूषण, धूम्रपान, की वजह  से अस्थमा, ब्रोन्काइटिस, खांसी, सांस की तकलीफ जैसी समस्याएं लोगों को परेशान करती हैं. ऐसे में, कुछ ऐसे फूड्स खाना बेहद जरूरी  है जो हमारे फेफड़ों को स्वस्थ रखें और हमें इन तकलीफों से छुटकारा दिला सके. इन सब बीमारियों से छुटकारा दिलवाने में ब्रोकोली को सबसे पहले नंबर पर है.ब्रोकोली को 'सुपरफूड' कहा जाता है. ब्रोकोली में कई ऐसे गुण और पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं. खासकर, ब्रोकोली सांस संबंधी समस्याओं जैसे कि अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, खांसी-जुकाम आदि से राहत प्रदान करने में बहुत ही प्रभावी साबित होता है.  - सांस प्रणाली को सुधारता है ब्रोकोली में भरपूर मात्रा में विटामिन C होता है जो सांस के मार्गो की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है. ब्रोकोली के एंटीऑक्सीडेंट फेफड़ों को सूजन और नुकसान से बचाते हैं. इस में फाइबर होता है जो फेफड़ों को साफ करता हैं और श्लेष्मा को पतला करता हैं. ब्रोकोली में सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भी होते हैं जो फेफड़ों के लिए लाभदायक होते हैं.  - वायु प्रदूषण के हानिकारक तत्वों को रोकता हैवायु प्रदूषण आज एक गंभीर समस्या बन चुका है और यह हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल रहा है. विशेषकर, वायु प्रदूषण से हमारे फेफड़ों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है.ऐसे में, ब्रोकोली जैसी सब्जियां वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाव करने में मदद कर सकती हैं.ब्रोकोली में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं जो फेफड़ों की कोशिकाओं को वायु प्रदूषण के कारण होने वाले नुकसान से बचाते हैं.  - डेली  एक या दो ब्रोकोली खाएं   उबली हुई ब्रोकोली खाने से सांस से जुड़ी समस्याएं  दूर होती  है.उबली हुई ब्रोकोली में पोषक तत्वों...

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Makhana benefits: डायबिटीज को लेकर अक्सर एक बात कही जाती है कि यह खराब लाइफस्टाइल और खानपान की देन होती है. यह एक ऐसी बीमारी है कि अगर इसे कंट्रोल में नहीं रखा गया तो कब ये अपना गंभीर रूप ले लें इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है. इसे कंट्रोल में रखना है तो इसके मरीज को अपनी लाइफस्टाइल और डाइट को हमेशा सही रखना होगा. अगर ब्लड में शुगर लेवल को कंट्रोल में रखना है तो दो बातों का अक्सर ध्यान रखें. डायबिटीज के मरीज के लिए वरदानआप जो भी खाएं वह ग्लाइसेमिक इंडेक्स, हाई फाइबर और रफेज से भरपूर हो. ऐसा इसलिए क्योंकि फाइबर शुगर को सोखने का काम करता है और मेटाबोलिक रेट बढ़ाकर इसे पचाने में मदद करता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ग्लाइसेमिक इंडेक्स से भरपूर फूड्स आपके पेंनक्रियाज के फंक्शन को बेहतर बनाता है. साथ ही इंसुलिन के प्रोडक्शन को भी बढ़ाता है. इन दोनों के फंक्शन को बेहतर बनाने के लिए मखाना सब गुणों से भरपूर है.  डायबिटीज में मखाना खाना होता है फायदेमंदमखाना ग्लाइसेमिक इंडेक्स से भरपूर होता है. वह शरीर में बैलेंस बनाने का काम करता है. यह शुगर को शरीर में कंट्रोल करने का काम करता है. इन सब के अलावा इसका फाइबर शुगर मेटाबोलिज्म को तेज करता है. शरीर में ज्यादा शुगर जमा होने से रोकता है. ब्लड में शुगर लेवल बढ़ने से रोकता है. फिर वह पेट की गड़बड़ी को भी कम करता है. डायबिटीज में कब्ज की दिक्कत अक्सर हो जाती है वह इससे निजात दिलाता है. मखाने में मैग्नीशियम काफी होती है. इसलिए यह शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने में और ब्लड शुगर बेहतर करने में काफी ज्यादा मदद करता है. साथ ही साथ दिल की बीमारी से रोकता है. डायबिटीज में कब खाएं मखाना - डायबिटीज में मखाने को कई तरह से खा सकते हैं. आप इसे नाश्ते में दूध में भिगोकर खाएं. इसे आप स्नैक्स की तरह शाम के वक्त या खिचड़ी में भी खा सकते हैं.  - डायबिटीज में कितना मखाना खाना है फायदेमंद - डायबिटीज के मरीजों को हर दिन 2-3 मुट्ठी यानि 30 ग्राम मखाना खाना चाहिए यह आपके शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता है. साथ ही यह डायबिटीज को कंट्रोल में रखता है. 

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Rabbies Symptoms: दिल्ली से सटे यूपी के गाजियाबाद में एक दर्दनाक हादसा सामने आया है. वहां पर कुत्ते के काटने की वजह से हुए रेबीज बीमारी से एक 14 साल के बच्चे की मौत हो गई.समय पर इलाज नहीं हुआ और रेबीज का इन्फेक्शन बढ़ता चला गया. काटने के कुछ दिनों बाद ही बच्चे में अजीबो-गरीब लक्षण भी नजर आने लगे. वह हवा और पानी से भी डर रहा था. जब तक घरवालों ने डॉक्टर को दिखाया देर हो चुकी थी. रेबीज का अगर समय से इलाज न हो तो यह खतरनाक रूप ले लेती है.एक्सपर्ट्स के मुताबिक हर साल रेबीज की वजह से 18 से 20 हजार लोगों की मौत हो जाती है. भारत में रेबीज के लगभग 30-60% मामले एवं मौतों में 15 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, क्योंकि बच्चों में काटने के निशान को अक्सर पहचाना मुश्किल हो जाता है. क्या कहता है रिसर्चएक रिसर्च के मुताबिक इन 6 सालों में देश में कुत्ते के काटने के केसेस बढ़े हैं. अगर इसका इलाज शुरुआत में ही नहीं किया जाएगा. या एंटी रेबीज इंजेक्शन टाइम पर न दिया जाएगा तो बहुत ही जल्दी में रेबीज मरीज के खून तक पहुंच जाता है. जिन कुत्तों को टाइम पर वैक्सीनेशन नहीं पड़ता है वह काफी खतरनाक हो जाते हैं. और उनसे रेबीज फैलने के चांसेस बढ़ जाते हैं. रेबीज का सबसे पहला लक्षण  देश के कई फेमस डॉक्टर के मुताबित अगर किसी रेबीज संक्रमित कुत्ते ने किसी इंसान को काट लिया है तो कुछ दिनों पर मरीज में जानवरों की तरह लक्षण दिखाई देने लगते हैं. सबसे बड़ा लक्षण होता है कि मरीज को पानी से डर लगने लगता है. इसे हाइड्रोफोबिया कहते हैं. इसमें मरीज पानी से दूर भागने लगता है. कुछ लोग पानी कम या बिल्कुल भी नहीं पीते हैं. पानी देखते ही गुस्सा होने लगता है. पानी को छूने से डरता है. इन सब के अलावा बेवजह गुस्सा, चिड़चिड़ाहट , बुखार और उल्टियां होने लगता है.  क्‍या कुत्‍ते की तरह हरकत करने लगता है मरीजडॉक्टर से अक्सर ऐसा पूछा जाता है कि क्या सच में किसी इंसान को रेबीज हुआ है तो वह कुत्ते या किसी जानवर की तरह हरकत करने लगता है. इसमें कितना सच है? क्या जानवर के काटने के बाद मरीज में रेबीज के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. - डॉक्टर बताते हैं कि जब रेबीज का वायरस इंसान के खून में जाता है तो उसे इरिटेशन  होने लगती  है. - सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. - मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन होने लगती है. कभी-कभी जो मरीज की देखभाल करने आता है वह ऐसी हरकत करता है कि उससे डरकर भागने लगता है. - पानी से बहुत डरने लगता है. यह तो सच है कि रेबीज होने के बाद मरीज की हरकत काफी ज्यादा बदल जाती है. इस बीमारी को  मरीज के ब्रेन तक पहुंचने में वक्त नहीं लगाता है. वह अलग तरीके से चिल्लाता या रोता है. इस बीमारी का खतरनाक असर ब्रेन पर होता है जिसके कारण मरीजा का बिहेवियर को कुत्ता से जोड़कर देखा जाता है. ...

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Fasting Tips: सनातन धर्म में व्रत यानि  उपवास को बहुत ही खास महत्व दिया जाता है. धार्मिक महत्व के साथ-साथ व्रत और उपवास से सेहत सम्बंधित बहुत सारे फायदे हैं. उपवास करने से शरीर पूरी तरह डिटॉक्सिफाई हो जाता है औऱ वजन कंट्रोल करने के लिहाज से भी समय समय पर उपवास को काफी इफेक्टिव कहा गया है. लेकिन अगर आप पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को ढेर सारा खाना खाते हैं तो इसके कई नुकसान हो सकते हैं. दरअसल पूरा दिन भूखा रहने के बाद एकाएक कुछ चीजों को खाने से बचना चाहिए क्योंकि इसका सेहत पर बुरा असर हो सकता है. चलिए जानते हैं कि व्रत खोलते समय किन चीजों से परहेज करना चाहिए.  व्रत खोलने के बाद क्या खाएं   व्रत खोल रहे हैं तो पहले शरीर में पानी की कमी दूर करने के लिए एक गिलास पानी पीना चाहिए. इसके बाद दही, जूस, नारियल पानी या शिकंजी पी सकते हैं. जिससे आपका शरीर हाइड्रेट होगा और शरीर में एनर्जी आएगी. व्रत के दौरान भूखे रहने पर आपके शरीर में ताकत और एनर्जी की कमी हो सकती है. इसलिए व्रत खोलते समय आपको प्रोटीन युक्त भोजन करना चाहिए. इसके लिए आपको अंकुरित भोजन औऱ पनीर से बनी हल्की चीजों को खाने में शामिल करना चाहिए. व्रत खोलते समय इन चीजों को खाने से बचना चाहिए  - पूरा दिन व्रत करने के बाद आपको सबसे पहले चटपटे खाने से परहेज करना चाहिए. इस दौरान पेट खाली होता है और इस दौरान चटपटा या मसालेदार भोजन खाने से आपको पेट में दर्द, अपच, गैस की दिक्कत हो सकती है.  - यूं तो शुगर के मरीजों को व्रत आदि करने से परहेज करने की सलाह दी जाती है लेकिन फिर भी अगर ऐसे लोग व्रत करते हैं तो व्रत खोलते समय ज्यादा भारी भोजन करने से परहेज करें. अगर आप पूरे दिन भूखे रहकर एकदम से भारी भोजन करेंगे तो आपका शुगर का स्तर बिगड़ सकता है.  - कुछ लोग व्रत खोलते समय शाम को चाय और कॉफी पी लेते हैं. ये आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. पूरा दिन भोजन ना करने के बाद अगर आप शाम को चाय या कॉफी पिएंगे तो ना केवल आपका मेटाबॉलिज्म कमजोर होगा बल्कि आपको एसिडिटी की परेशानी भी हो सकती है. ...

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Arjuna Bark Benefits: हृदय रोग के मरीजों की संख्या में रोजाना इजाफा हो रहा है. दिन भर दिन हार्ट अटैक के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हार्ट रोग  और स्ट्रोक से बचाव के लिए अर्जुन की छाल का इस्तेमाल कर सकतें है. जो की एक आयुर्वेदिक औषधी है और इसका उपयोग शरीर की कई परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाता है. आयुर्वेद में मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल काढ़े के रूप में किया जाता है. यह इंफेक्शन, संक्रमण, गले की खराश, सर्दी-जुकाम जैसी परेशानियों को दूर करने में भी मदद करता है. इसके अलावा अर्जुन की छाल से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं. आइए आज यहां जानते हैं कि अर्जुन की छाल का उपयोग किन-किन बिमारियों में होता है.  .ब्लड प्रेशर अर्जुन की खाल  ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है, और इसका प्राकृतिक औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है. अर्जुन की खाल में विशेष रूप से टैनिन, फ्लावोनॉयड्स, और अर्जुनोलिक एसिड जैसे औषधीय गुण होते हैं जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है. जिससे उच्च ब्लड प्रेशर से संबंधित समस्याओं को कम किया जा सकता है. .हृदय के लिए स्वास्थ्यअर्जुन की छाल के सेवन से ह्रदय रोगों से बचाव और उनके इलाज में बहुत फायदा मिलता है. अर्जुन की छाल में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो हृदय की धमनियों को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं. ये धमनियों को साफ और लचीला बनाए रखने में मदद करता है. अर्जुन की छाल में पाए जाने वाले फाइबर खून में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं, जो हृदय रोगों का एक प्रमुख कारण है. इसके साथ ही यह रक्तचाप को कम करने में मदद करता है जो कि हृदय रोगों के लिए फायदेमंद है.  .मधुमेह को रखे कंट्रोल मधुमेह वाले लोगों के लिए रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखना महत्वपूर्ण है और दालचीनी और अर्जुन की छाल का सेवन इसे प्राप्त करने में मदद कर सकता है। इन प्राकृतिक उत्पादों में ऐसे गुण होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करते हैं, और उनमें समग्र रूप से मधुमेह के लक्षणों में सुधार करने की क्षमता भी होती है. .गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं अर्जुन की छाल पेट संबंधित समस्याओं को भी दूर करती है, जैसे कि पेट की गैस, एसिडिटी, और पेट की समस्याएं. अर्जुन की छाल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो फ्री रेडिकल्स के खिलाफ लड़ते हैं और शरीर को रोगों से बचाने में मदद करता है.  .जोड़ों के दर्द यह छाल जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करती है और जोड़ों की स्वास्थ्य को सुधार सकती है. अर्जुन की छाल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है. ...

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Amla Juice Benefits: आयुर्वेद में आमले के जूस को महत्वपूर्ण माना गया है. आमला  खाने से शरीर से कई बीमारियां तो दूर होती ही हैं साथ ही यह त्वचा और बालों दोनों के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए एक शक्तिशाली ओषिदी है.आवश्यक पोषक तत्वों, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन से भरपूर, आमले का रस आपकी सुंदरता के लिए कई लाभ प्रदान करता है.चलिए जानते हैं आमला खाने के कई सारे फायदे. .यौन शक्ति में वृद्धिआमले का जूस पीने से आपकी यौन शक्ति बढ़ती है. अगर आपका वीर्य पतला है तो इसका रस पीने से यह गाढ़ा हो जाएगा. .विटामिन सी से भरपूरआमले का रस विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत है, जो कोलेजन उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है.यह प्रोटीन त्वचा की लोच बनाए रखने में मदद करता है, झुर्रियों और दाग-धब्बों को कम करता है. .मुहावासों को कम करने में सहायक मुहावासों आमले के जीवाणुरोधी और सूजन-रोधी गुण मुँहासे और फुंसियों को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिससे आपकी त्वचा साफ़ और अच्छी दिखती है. .प्राकृतिक त्वचा शोधकआंवले का रस एक बेहतरीन प्राकृतिक शोधक के रूप में काम करता है, जो त्वचा से गंदगी और अशुद्धियों को दूर करता है. यह छिद्रों को खोलता है, महावासें  और ब्लैकहेड्स को रोकने में मदद करता है. .पिग्मेंटेशन को कम करने में सहायक आंवले के रस का नियमित सेवन रंजकता और दाग-धब्बों को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे आपकी त्वचा की रंगत में निखार आता है.यह काले धब्बों को कम करने में भी मदद करता है. नोट- यह लेख लीविंग इंडिया द्वारा समर्थित नहीं है.यह केवल सामान्य जानकारी है.

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Benefits Of Consuming Fennel Seeds: सुगंधित सौंफ का उपयोग सदियों से हमारे किचन में और औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है. सौंफ एक बहुत ही गुणकारी औषधीय है. इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं. सौंफ में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं. यह पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करती है. इसके तेल का इस्तेमाल स्किन और हेयर केयर में भी होता है. सौंफ कैंसर, मधुमेह और हृदय रोगों से लड़ने में मदद करती है. इसके अलावा सौंफ में कैल्शियम, आयरन, विटामिन सी आदि भी पाए जाते हैं. जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते  है. यहां जानते हैं सौंफ कैंसर के खतरा को कैसे कर सकता है कम ... 1.एस्ट्रोजन की अनुकरणीयतासौंफ में फाइतोएस्ट्रोजन होते हैं जो शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की तरह काम  करता हैं. यह गुण स्तन कैंसर जैसे  कैंसर से बचाव में सहायता करता है. सौंफ के इस गुण का सही तरीके से उपयोग करने पर कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, जैसे कि पीएमएस (पूर्व-मासिक धर्म सिंड्रोम) के लक्षणों में सुधार. 2.एंटी-इन्फ्लैमेटरी गुणसौंफ में एंटी-इन्फ्लैमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन और जलन को कम कर सकते हैं. यह शरीर में सूजन जैसी स्थितियों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो कैंसर का जोखिम बढ़ा सकती है.  3.एंटीऑक्सीडेंट सौंफ एक प्राकृतिक मसाला है जो अपने स्वाद और सेहत संबंधित लाभ के लिए प्रसिद्ध है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो मुक्त रैडिकल्स को नष्ट करने में मदद करते हैं. मुक्त रैडिकल्स शरीर के कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं. सौंफ के एंटीऑक्सीडेंट गुण इसे एक स्वास्थ्यवर्धक आहार में शामिल करने का कारण बनते हैं, जो शरीर को संरक्षण प्रदान करता है और बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है. मुक्त रैडिकल्स से उत्पन्न होने वाले क्षति को रोकना शरीर में कैंसर का जोखिम कम कर सकता है.  4.पीरियड्स क्रैम्प्स से राहत सौंफ के बीजों को पीरियड्स क्रैम्प्स से राहत दिलाने में मदद करने के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. उनमें यौग...

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Health Tips: इंची टेप से मापना और ब्रा खरीदने के बारे में सोचना आसान लग सकता है, लेकिन सही ब्रा साइज के लिए आपको सिर्फ माप के अलावा और भी बहुत कुछ देखने की जरूरत है. स्तन का आकार जानने के साथ-साथ उसके आकार और आराम पर विचार करना भी जरूरी है.दूसरी ओर, कई महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो इस बात से अनजान होकर गलत ब्रेसेस पहन लेती हैं. टाइट ब्रा उसके शरीर पर अच्छी लगती है. ऐसे नापें छातीइंची टेप लेकर दर्पण के सामने खड़े हो जाएं.अब इंच टेप से बस्ट के निचले हिस्से को मापें जहां आप ब्रा बैंड बांधते हैं. यदि कोई संख्या 2 से विभाज्य नहीं है, तो उसे एक संख्या बढ़ाकर पूर्णांकित करें, अर्थात यदि आकार 31 है तो उसे 32 कर दें.आपके बैंड का साइज 32 माना जाएगा.अब कप साइज जानने के लिए इसी तरह बस्ट साइज को मापें. मान लीजिए कि आपके बस्ट का आकार 36 है. तो अब बस्ट साइज से बैंड साइज घटा दें.जैसे 36-32=4 D में 4 अंकों का मतलब A, B, C, D है इसलिए आपकी ब्रा का साइज़ 32D होगा जैसा कि पहले बताया गया है, ब्रा खरीदते समय सही ब्रा खरीदने के लिए साइज़ के अलावा कई बातों पर विचार करना होता है. तो निम्नलिखित बातें बताई गई हैं जिनका आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए. ब्रा में सबसे मजबूत बैंड का होना जरूरी है क्योंकि ब्रा को 90 प्रतिशत तक सपोर्ट बैंड से ही मिलता है. ब्रा पहनने का प्रयास करें और ब्रा के स्ट्रैप को अपने कंधों से उतारकर हल्के से चलने का प्रयास करेंहमेशा अच्छी क्वालिटी की ब्रा खरीदें...

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Bra Strap Syndrome: ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम को कॉस्टोक्लेविकुलर सिंड्रोम भी कहा जाता है. यह एक ऐसी स्थिति है जो वक्षीय आउटलेट, नसों, रक्त वाहिकाओं या दोनों की सूजन हो जाती है. वक्ष आउटलेट कॉलरबोन (हंसली) और पहली पसली के बीच का स्थान है. ब्रा के कारण ऐसा आमतौर पर तब होता है जब ब्रा की पट्टियां बहुत पतली होती हैं और आपके कंधों पर दबाव डालती हैं. इससे गर्दन, कंधे, पीठ के ऊपरी हिस्से और बांहों में दर्द होता है. मोटापे, भारी स्तनों वाली, मध्यम आयु वर्ग या अधिक उम्र की महिलाओं में जोखिम अधिक होता है. यदि आपकी ब्रा की पट्टियां पतली या तंग हैं और आपके स्तन भारी हैं, तो पट्टियां  आपके कंधों के आसपास के नरम ऊतकों को काट सकती हैं और आपके कॉलरबोन पर सीधा दबाव डाल सकती हैं. गलत ब्रा, टाइट, छोटी ब्रा और पतली स्ट्रैप वाली एक्स्ट्रा टाइट ब्रा न सिर्फ आकार बिगाड़ सकती हैं बल्कि कई शारीरिक समस्याओं का कारण भी बन सकती हैं. ब्रा स्ट्रैप सिंड्रोम वाले लोगों को अक्सर गर्दन या कंधे के क्षेत्र में दर्द का अनुभव होता है. कभी-कभी अकड़न भी महसूस होती है.शारीरिक गतिविधि या व्यायाम के बाद यह दर्द बढ़ जाता है. खासकर भारी सामान उठाने के बाद. रिपोर्ट के अनुसार, आराम करने और भरपूर नींद लेने से लक्षणों से राहत मिल सकती है.हालाँकि, यह अस्थायी हो सकता है. यदि आप ऐसे किसी पुराने दर्द का अनुभव कर रहे हैं, तो उचित उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श लें. मरीजों को स्ट्रैपलेस ब्रा या चौड़ी पट्टियों वाली ब्रा पहनने की सलाह दी जाती है.शोल्डर पैड भी इसमें मदद कर सकते हैं.इसके अलावा ब्रा खरीदते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि उसकी पट्टियां ज्यादा टाइट न हों.  

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Parenting tips for Dad: हर इंसान हमेशा जवान रहना चाहता है, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, इसका असर शरीर पर पड़ने लगता है.अब अगर आप अपने पार्टनर के साथ बिस्तर पर पहले की तरह खुश नहीं हैं तो इसके लिए कई कारण हो सकते हैं. घर से बाहर की जिम्मेदारियां, बढ़ती संवादहीनता और अस्वस्थ जीवनशैली इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. लेकिन निराश न हों, क्योंकि समस्याओं के भीतर ही समाधान छिपा है. बहुत से लोग पिता बनना चाहते हैं लेकिन शारीरिक कमजोरी के कारण उनका यह सपना अधूरा रह जाता है.आज हम आपको  कुछ टिप्स बताएंगे  जिससे आप स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.  पिता बनने का सपना पूरा करने के लिए अपनाएं ये टिप्स पत्नी के साथ बिताएं समय-अगर आप पिता बनने का सपना देख रहे हैं तो आपको अपनी पत्नी के साथ समय बिताना चाहिए.अपनी पत्नी और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें.  अपनी पत्नी के साथ अधिक समय बिताने से आपका उत्साह बढ़ता है और सही समय बिताने से बेहतर भविष्य बनता है.  खाने में फल शामिल करें-अगर आप हमेशा जवान बने रहना चाहते हैं तो आपको अपने आहार में फलों का इस्तेमाल करना चाहिए. फल आपके शरीर को तरोताजा करते हैं. शरीर में ताजगी रहेगी तो आप अच्छे शारीरिक संबंधों का लाभ उठा पाएंगे.  चॉकलेट जरूर खाएं-चॉकलेट जरूर खानी चाहिए क्योंकि चॉकलेट आपके मूड को बेहतर बनाती है जिससे रोमांस के प्रति आपका आकर्षण बढ़ेगा.  फोरप्ले -पति-पत्नी को संबंध बनाने से पहले फोरप्ले करना चाहिए जिससे आपके बीच उत्तजेना बढ़ती है. फोरप्ले एक ऐसा शौक है जो आपको हमेशा जवान बनाए रखता है. नोट- लीविंग इंडिया न्यूज़ इस पोस्ट में दी गई जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. अगर आपको दिक्कत हो तो डॉक्टर से सलाह लें....

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Health Tips : शराब पीना सेहत के लिए अच्छा  नहीं माना जाता लेकिन फिर भी कुछ लोग रोजाना शराब पीते हैं. हाल ही में हुई एक स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया है कि जो लोग रोजाना कम से कम एक ड्रिंक का भी सेवन करते हैं, उनका ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ता है. हाई ब्लड प्रेशर की समस्या का सामना उन युवकों को भी करना पड़ता है जिन्हें पहले से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं है. आपको बता दें कि साल 1997 से लेकर 2021 तक 7 इंटरनेशनल स्टडीज के डाटा में पाया गया कि जो लोग रोजाना सिर्फ एक गिलास शराब का सेवन करते हैं उनमें कभी-कभी शराब का सेवन करने वाले लोगों की तुलना में ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा काफी ज्यादा होता है. , हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण सामने आने तक वह शरीर को अंदर से काफी नुकसान पहुंचा चुका होता है. अगर बीपी कंट्रोल में नहीं रहता तो विकलांगता, खराब लाइफ क्वालिटी और यहां तक की दिल का दौरा या स्ट्रोक की समस्या भी आ सकती है. डाटा ने उड़ाए एक्सपर्ट के होश   रिसर्च से जुड़े एक सीनियर एक्सपर्ट  ने कहा कि हमें यह जानकर काफी हैरानी हुई कि बहुत कम मात्रा में शराब पीने वाले युवकों में ब्लड प्रेशर का लेवल ज्यादा था. हालांकि इन लोगों का ब्लड प्रेशर बहुत अधिक मात्रा में शराब पीने वाले लोगों की तुलना में काफी कम था. ब्लड प्रेशर को मरकरी के मिलीमीटर (mm Hg) की दो संख्याओं में मापा जाता है. ऊपर वाले नंबर को (सिस्टोलिक) कहा जाता है, जो दिल की मांसपेशियों के सिकुड़ने और ब्लड पंप को मापता है. वहीं, नीचे वाले नंबर को डायस्टोलिक कहा जाता है जो हार्ट बीट के बीच में दबाव को मापता है.स्टडी में पाया गया कि सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर पर शराब का नकारात्मक उन पुरुषों और महिलाओं पर भी पड़ रहा है जो हर दिन बेहद की कम मात्रा में शराब का सेवन करते हैं.  नॉर्मल ब्लड प्रेशर नॉर्मल सिस्टोलिक रीडिंग आम तौर पर 120 mm Hg या उससे कम होती है लेकिन उम्र के साथ रक्त वाहिकाएं कमजोर और पतली होने के कारण यह रीडिंग बढ़ जाती है. वहीं, नॉर्मल डायस्टोलिक रीडिंग 80 mm Hg से नीचे होती है, लेकिन उम्र के साथ इसमें कमी आने लगती है क्योंकि धमनियां अपनी लचीलापन खो देती हैं और कठोर हो जाती हैं. हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को साइलेंट किलर के रूप में जाना जाता है. शरीर में ब्लड प्रेशर का लेवल बढ़ने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक, क्रॉनिक किडनी डिजीज समेत कई बीमारियों का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है....

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Menstrual Cup: पीरियड के दौरान महिलाएं सेनिटरी पैड का इस्तेमाल ज्यादा करती हैं क्योंकि ये महिलाओं को काफी कंफर्टेबल लगता है. महिलाओं की जरूरत के मुताबिक ये  मार्केट में अलग-अलग वैरायटी में मौजूद होता है. हालांकि सेनेटरी पैड को वजाइनल हेल्थ के लिए फायदेमंद नहीं माना जाता है. वहीं एक रिसर्च में खुलासा हुआ है की पीरियड में अगर महिलाएं मेंस्ट्रूअल कप का इस्तेमाल करें तो ये वजाइनल हेल्थ के लिए फायदेमंद हो सकता है.आइए जानते हैं इस बारे में मेंस्ट्रूअल कप के इस्तेमाल के फायदे  मेंस्ट्रूअल कप के इस्तेमाल से कम होता है इंफेक्शन- स्टडीपीरियड्स हाइजीन उत्पादों में मेंस्ट्रूअल कप एक एडवांस और इस्तेमाल में आसान तरीका है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक मेंस्ट्रूअल कप का इस्तेमाल करना महिलाओं में इंफेक्शन के खतरे को कम करने के साथ ही वजाइनल हेल्थ को भी अच्छा रखने में मदद करता है.एक्सपर्ट्स द्वारा किए गए एक सर्वे में महिलाओं को इस्तेमाल के लिए मेंस्ट्रूअल कप दिए गए. जिसमें पाया गया कि इन्हें इस्तेमाल करने वाली ज्यादातर लड़कियों में इंफेक्शन होने का खतरा काफी कम है.वहीं सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज का भी खतरा काफी कम पाया गया. ये स्टडी पीएलओएस मेडिसिन में प्रकाशित हुई है.रिसर्चर्स का मानना है कि ये रिजल्ट महिलाओं के हेल्थ के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. मेंस्ट्रूअल कप के फायदे?1.पीरियड के दौरान हेवी ब्लड फ्लो से बचने के लिए आपको मेंस्ट्रूअल कप का इस्तेमाल करना चाहिए, यह ब्लड होल्ड करने में मदद करता है. 2.पीरियड्स के दौरान पैड पहनने पर भी लीकेज का डर बना रहता है. इसके लिए मेंस्ट्रूअल कप लगाने से आपको मदद मिल सकती है.3. मेंस्ट्रूअल कप लगाने से इंफेक्शन का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है. 4.इंफेक्शन के खतरे को कम करने के लिए हर 6 घंटे में पैड बदलने की सलाह दी जाती है. ऐसे में मेंस्ट्रूअल कप आपके लिए फायदेमंद हो सकता है.

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Dengue Fever: मॉनसून का मौसम शुरू होते ही मच्छरों  का पनपनाना भी शुरू हो जाता है जिस  वजह से  बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. बरसात के मौसम में जमा पानी के कारण डेंगू के मामले भी बढ़ जाते हैं जो मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन जाता है. डेंगू वायरस संक्रमित एडीज मच्छरों के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. यह दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है, जिनसे बच्चे भी असुरक्षित हैं. डेंगू से कैसे सुरक्षित रहा जा सकता है इस बारे में जान लीजिए.  1. डेंगू के लक्षणडेंगू में तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, दाने और थकान महसूस हो सकती है. कुछ मामलों में यह और भी  अधिक गंभीर हो सकता है. जिसे डेंगू रक्तस्रावी बुखार (Dengue hemorrhagic fever) के रूप में जाना जाता है जिसमें जान तक जाने का खतरा रहता है.  2.कीट नाशकों का प्रयोग करेंखुली त्वचा पर मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाने से मच्छर के काटने की संभावना काफी कम हो सकती है. अगर आपके एरिया या घर में मच्छर अधिक हैं तो मच्छर से बचाने वाली क्रीम का उपयोग करें. ध्यान रखें कि उनमें DEET, पिकारिडिन, सिट्रोनेला और नींबू नीलगिरी का तेल जरूर शामिल  3. फुल स्लीव्स कपड़े पहनेंअपने बच्चों के साथ आप भी लंबी बाजू वाली शर्ट, लंबी पैंट, मोजे पहनें. वहीं हल्के रंग के कपड़े भी मच्छरों को रोकने में मदद मदद कर सकते हैं. 4.बाहरी जाने से बचेंशाम के समय जब मच्छर अधिक एक्टिव होते हैं तब बाहर या जिस एरिया में पानी भरा हुआ है उन क्षेत्रों में जाने से बचें. अगर जरूरत है तो फुल स्लीव्स कपड़े पहनकर और मच्छर से बचाने वाली क्रीम लगाकर ही जाएं.  5.खिड़की दरवाजे बंद करेंमच्छरों को घर में आने से रोकने के लिए खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें, साथ ही मच्छरदानी का उपयोग करें. ये मच्छर से बचाने के लिए सबसे अच्छा उपाय हो सकते हैं. इसके अलावा, घर के अंदर ठंडा वातावरण...

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Fasting Tips:सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है. इस महीने में लोग सवन के खत्म होने तक हर सोमवार व्रत रखते हैं. इस बार सावन का महीना 59 दिन यानी दो महीने का होगा.ऐसे में जो लोग व्रत रखेंगे उन्हे  अधिक दिनों तक फास्टिंग के दौरान कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है. ऐसे में उन लोगों को खाने में कुछ ऐसी चीजों को एड करना होगा जो एनर्जी के साथ-साथ उनकी बॉडी को हाइड्रेट भी रखे. तो आइए जानते हैं कि अगर आप सावन सोमवार के व्रत रख रहे हैं तो आपको किन बातों का ध्यान रखना जरुरी है .  1.फलों और ड्राईफ्रूट्स का करें सेवन व्रत में एनर्जेटिक रहने के लिए आपको पौष्टिक चीजों का सेवन करना चाहिए. फलों और ड्राई फ्रूट्स का सेवन करे.ड्राई फ्रूट्स भी हेल्दी फैट, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होते हैं.  अपनी डाइट में सेब, केला, चीकू, अंगूर, नाशपाती आदि फलों को शामिल कर सकते हैं. व्रत में ड्राई फ्रूट्स खाने पेट भरा रहता है और कमजोरी भी महसूस नहीं होती. 2.व्रत के बाद न खाएं हैवी फूडव्रत खोलते समय भूलकर भी हैवी फूड्स का सेवन नही करना चाहिए. बल्कि, कई लोग व्रत के बाद तला और प्रोसेस्ड फूड भी ख लेते हैं जो कि गलत है.सावन के महीने में तले हुए खाद्य पदार्थ, प्रोसेस्ड स्नैक्स और अधिक चीनी या नमक वाले खाद्य पदार्थों से बचना बचना जरूरी है.   3.खुद को रखें हाइड्रेट व्रत के दौरान खुद को हाइड्रेट रखें. एक्सपर्ट के मुताबिक, नींबू पानी, लस्सी या फिर कोकोनट वॉटर से दिन की शुरुआत करे तकि शरीर में पानी की कमी होने की वजह से आपको कमजोरी, सिरदर्द, चक्कर या मतली जैसी समस्या न हो.  4.दोपहर में खाएं दहीदिन के समय में पेट को भरा रखने के लिए एक कटोरी दही के साथ फल का सेवन करें. दही प्रो-बॉयोटिक फूड है,जो शरीर की पाचन क्रिया सही रखने में मदद करता है. साथ ही शरीर में पानी की कमी भी नहीं होगी. 5.थोड़ा थोड़ा खाएंकई लोग व्रत के दौरान पूरे दिन भूखे रहते हैं और फिर शाम को एक ही बार में पेट भरकर खा लेते हैं . ऐसा करने से आपको दिनभर कमजोरी महसूस हो सकती है. साथ ही, गैस, एसिडिटी और ब्लोटिंग जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. व्रत में आपको दिन में एक बार हैवी मील खाने के बजाय 3-4 बार थोड़ा-थोड़ा खाना चाहिए. तकि  आपको थकान या कमजोरी भी महसूस नहीं हो.    ...

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High-Protein Foods:प्रोटीन शरीर में विभिन्न कोशिकाओं की मरम्मत करता है और नई कोशिका बनाने में मदद करता है.इसके अलावा प्रोटीन की सही मात्रा वजन कम करने और मसल्स बनाने में भी मदद करती है. बात जब प्रोटीन पूरी करने की आती  है तो सब चिकन-अंडे  खाने की सलहा देते हैं लेकिन  प्रोटीन की पूर्ति सिर्फ मांसाहारी खाने से नहीं होती शाकाहारी खाने में भी बहुत सारे विकल्प हैं. जो लोग शाकाहारी / वेजिटेरियन हैं, उन लोगों के पास प्रोटीन प्राप्त करने के काफी कम सोर्स होते हैं. इसलिए आगे हम शाकाहारी प्रोटीन फूड के बारे में बता रहे हैं, जिनका सेवन कोई भी कर सकता है. 1.दालें (Lentils)दालें प्रोटीन का काफी अच्छा सोर्स होती हैं. दालों में प्रोटीन सबसे  मात्रा में पाया जाता है. आधा कप पीली या हरी दाल में लगभग 8-9 ग्राम  प्रोटीन मिल जाता है. प्रोटीन के लिए मूंग, अरहर और चने की दाल का सेवन कर सकते हैं.  2.चने (Chickpeas)पके हुए चने या छोले प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जिनके आधा कप में लगभग 7.25 ग्राम प्रोटीन होता है. छोले को रोटी या चावल के साथ आसानी से खाया जा सकता है, जो काफी स्वादिष्ट भी लगते हैं. चने या छोले का सेवन निश्चित मात्रा में ही करें, क्योंकि इनमें कैलोरी अधिक होती है.  3.नट्स (Nuts)नट्स पौधे-आधारित प्रोटीन, हेल्थी फैट, फाइबर और पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत हैं जिनमें कम मात्रा में कार्ब्स होते हैं. एक नट्स में लगभग 6 ग्राम प्रोटीन होता है. जिसका मतलब है कि 1.5 औंज बराबर 10 ग्राम प्रोटीन होता है. बादाम प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है.  4.सोयाबीन (Soyabean)सोयाबीन का सेवन आप दाल, आटा, बड़ी और दूध इत्यादि रूपों में कर सकते हैं। यह प्रोटीन का प्राकृतिक सोर्स है. सप्ताह में 2 से 3 बार अलग-अलग रूपों में इसका सेवन किया जा सकता है. 5.टोफू (Tofu) टोफू पनीर की तरह ही होता है. इसे सोयाबीन से बनाया जाता है. इसलिए इसे सोया पनीर भी कहा जाता है. . कुछ लोग पनीर की जगह टोफू का भी सेवन करते हैं.100 टोफू से लगभग 10-12 ग्राम प्...

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How To Teach Girls About Hygiene: हेल्दी रहने के लिए पर्सनल हाइजीन बेहद जरूरी है. पर्सनल हाइजीन से जुड़ी आदतों को अपनाना अपने अच्छे स्वास्थ्य और  अन्य लोगों को बीमारियों से बचाने का सबसे प्रभावी तरीका है.इसमें सिर्फ हाथ धोना ही नहीं बल्कि पूरे शरीर की साफ-सफाई जरूरी है.इसलिए  माता-पिता की एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वो शुरुआत से ही अपने बच्चों को पर्सनल हाइजीन के बारे में समझाएं. उन्हें यह बताएं कि यह कितना जरूरी है. वैसे तो सभी के लिए पर्सनल हाइजीन जरूरी है लेकिन आज हम यहां बात कर रहे टीनएज गर्ल्स के हाइजीन की. माहवारी की शुरुआती समस्याओं से जूझ रही बेटी से कैसे बात करें और उसे  बताएं कि पीरियड के दौरान हाइजीन कैसे मेंटेन करना है, वेजाइनल एरिया को कैसे क्लीन रखना है,...

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Monsoon Tips:उत्तर भारत के कई हिस्सों में मॉनसून ने दस्तक दे दी है. मॉनसून में जहां एक ओर गर्मी से राहत मिलती है वहीं, दूसरी ओर यह मौसम अपने साथ डेंगू, मलेरिय जैसी कई बीमारियां भी लेकर आता है.बारिश में बीमारी और इंफेक्शन बहुत तेजी से फैलते हैं. इस मौसम में जरूरी है कि आप सेहत के प्रति कोई लापरवाही ना बरतें और सावधान रहें.आपकी लापरवाही आपको बीमार कर सकती है.बारिश में बीमारी और इंफेक्शन बहुत तेजी से फैलते हैं. बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा संक्रमण बाहर के खाने से ही फैलता है.  इसलिए अगर आपको स्वस्थ रहना है तो इन बातों का ख्याल रखें.   मॉनसून में इन टिप्स को करें फॉलोएक्सपर्ट की सलाह है कि इस मौसम में लोगों को हमेशा  पानी उबालकर ही पीना चाहिए. ऐसा करने से पानी में मौजूद बैक्टीरिया और रोगाणु नष्ट हो जाते हैं. इसके अलावा रोजाना सुबह गुनगुने पानी में नींबू डालकर पीने से शरीर से हानिकारक विषाणु शरीर से बाहर आते हैं.   1. कम खाएं नमक- मॉनसून के वक्त हमें खाने में नमक कम या स्वादानुसार ही रखना चाहिए. शरीर में नमक सोडियम की मात्रा को बढ़ाने का काम करता है, जो आगे चलकर ब्लड प्रेशर का कारण भी बन सकता है. हाइपरटेंशन, कार्डियोवस्क्यूलर डिसीज और डायबिटीज के रोगियों को भी खाने में नमक हिसाब से लेना चाहिए 2.सीजनल फलों का करें सेवन-  इस मौसम में सिर्फ सीजनल फलों का ही सेवन करना चाहिए. बारिश के मौसम में आप जामुन, पपीता, बेर, सेब, अनार, आड़ू और नाशपाती जैसे फलों को खा सकते हैं. इन फलों से मिलने वाला न्यूट्रीशन शरीर को इंफेक्शन, एलर्जी और सामान्य रोगों से दूर रखता है.  3.  पानी उबाल कर पीएं- बारिश में पानी में कई तरह के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं इसलिए कोशिश करें कि पानी को उबालने के बाद ही पीएं. पानी को उबालने पर सभी तरह के बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं. उबला हुआ पानी पीने से डिहाइड्रेशन और डायरिया जैसी बीमारियां नहीं होती है. 4. स्ट्रीट फूड से बचें- बारिश के मौसम में स्ट्रीट फूड खाने का काफी मन करता है लेकिन अगर आपको सेहत प्यारी है तो बाहर के खाने से बचना चाहिए. स्ट्रीट फूड को  बनाते वक्त हाइजीन का उतना ध्यान नहीं रखा जाता. ऐसे में कई बार रखा हुआ या तला भुना खाने से पेट में दिक्कत हो सकती है.   5. इम्यूनिटी बढाएं- बारिश के मौसम में आपको अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने वाली चीजें खानी चाहिए. जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वो इस मौसम में जल्दी बीमार पड़ते हैं. इसलिए आपको अपने इम्यून सिस्टम को स्ट्रोंग बनाने का काम करना चाहिए. आपको खाने में मेवा, मक्का, जौ, गेहूं, बेसन जैसे अनाज शामिल करने चाहिए.     . ...