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नाबालिग अपनी मर्जी से घर से भाग जाए तो प्रेमी के खिलाफ अपहरण का मामला नहीं बनता: ​​High Court

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High Court: अगर कोई समझदार नाबालिग लड़की अपनी मर्जी से घर छोड़ देती है तो उसके अपहरण के लिए किसी भी व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता' यह अभिव्यक्ति पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में अहम फैसले में दी है. हाईकोर्ट ने 17 साल की लड़की के अपहरण के आरोपी प्रेमी को जमानत देते हुए यह आदेश जारी किया है.

फतेहगढ़ साहिब पुलिस ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर नाबालिग लड़की का अपहरण कर जबरदस्ती शादी करने के आरोप में मामला दर्ज किया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी प्रेमिका ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था कि वह अपनी मर्जी से याचिकाकर्ता के साथ गई थी. ऐसे में उस पर अपहरण का मामला नहीं चल सकता.

इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि कानून के मुताबिक यह साफ है कि आईपीसी (IPC)की धारा 363 के तहत अपराध साबित करने के लिए यह साबित करना जरूरी है कि आरोपी ने नाबालिग को जबरन अलग करने में भूमिका निभाई.

जहां नाबालिग उचित उम्र की है और स्वेच्छा से अपने माता-पिता का घर छोड़ देती है, वहां आरोपी के खिलाफ अपहरण का कोई मामला नहीं बनता है. इस मामले में पीड़िता की उम्र 17 साल 4 महीने है और वह बालिग थी. पीड़िता बालिग होने की कगार पर है और उसने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराते हुए कहा है कि उसने अपनी मर्जी से अपने माता-पिता का घर छोड़ा था.

इस मामले में पीड़िता को उसके माता-पिता से जबरन अलग करने में याचिकाकर्ता की कोई भूमिका नहीं है. यह ऐसा मामला नहीं है जहां याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है और इस प्रकार यह सीआरपीसी की धारा 438 के तहत शक्तियों का उपयोग करने और जमानत का लाभ देने के लिए एक उपयुक्त मामला है.

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