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India-China Border Conflict: 'ड्रैगन' कैसे बन रहा भारतीय सेनाओं के लिए चुनौती? जानें वजह

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India-China Border Conflict: अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताने वाले  चीन ने नया  नक्शा जारी कर एक बार फिर अपने गलत इरादे जगजाहिर कर दिए हैं. इस बीच वह लाइन ऑफ एक्चुअल (LAC) कंट्रोल के पूर्व में अक्साई चिन क्षेत्र में सुरंगें बना रहा है. इसी के साथ सैनिकों और हथियारों के शेल्टर के तौर पर घाटी से लगती पहाड़ी में कई बंकर और शाफ्ट तैयार किए जा रहे हैं.ये निर्माण कार्य उत्तरी लद्दाख में डेपसांग मैदानों से 60 किलोमीटर की दूरी पर देखे गए हैं. जो की LAC के पूर्व में अक्साई चिन में स्थित है.

भारतीय सेना के खौफ से अंडरग्राउंड हो रहा चीन
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत की ओर से हवाई हमले, एयरस्ट्राइक और दूर तक वार करने वाली तोपों से अपने सैनिकों और हथियारों को बचाने की कोशिश में चीन ऐसा कर रहा है. उनका मानना है कि इन क्षेत्रों में अंडरग्राउंड सुविधाओं का विकास करके चीनी रणनीतिकारों का लक्ष्य अक्साई चिन में भारतीय वायु सेना के लिए चुनौती बढ़ाना है.

तस्वीरों में नजर आई मशीनरी
आपको बता दें कि 18 अगस्त की तस्वीरों में घाटी के किनारे 4 नए बंकर बनाए जाने की पहचान की गई है. इसके अलावा, इनमें पहाड़ी पर तीन स्थानों पर सुरंग  बनाई जा रही हैं. यहां विभिन्न स्थानों पर भारी मशीनरी भी देखी गई. घाटी के बीचों-बीच एक सड़क को चौड़ी करने के भी तस्वीरें सामने आई हैं.   बंकरों को अतिरिक्त सुरक्षा देने के लिए आस-पास की मिट्टी को ऊपर उठाया गया और बाहर जाने और प्रेवश करने वाले स्थानों को कंटीले जैसे डिजाइन में तब्दील कर दिया गया है. इसके पीछे का मकसद सैनिकों और हथियारों को सीधे हमले से प्रोटेक्ट करना है. 

गलवन घाटी की घटना के बाद सड़क निर्माण में तेजी 
साल 2020 में गलवन घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बाद से भारत लद्दाख क्षेत्र में रोड और सुरंगों के निर्माण और उच्च ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्रों के आधुनिकीकरण में तेजी लाया है.आपको बता दें कि एलएसी के पास संवेदनशील दौलत बेग ओल्डी (DBO) और लेह को जोड़ने वाली डारबक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क का काम पूरा कर लिया गया है. इसके बनने से डीबीओ में तैनात सैनिक  बेस सड़क मार्ग के जरिए भी यह रास्ता तय कर सकते हैं क्योंकि अब सड़क मार्ग के जरिए दो दिन का यह रास्ता 6 घंटे में कवर कर लिया जाएगा. वैसे भारतीय सेना डीबीओ के लिए एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया करती थी. इस रोड़ पर नई सुरंग बनाने का काम भी चल रहा है.

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