Pandharpur Wari Yatra: दिल्ली में पंढरपुर वारी की सांकेतिक पदयात्रा का आयोजन;पूरी जानकारी के लिए पढ़ें

Pandharpur Wari Yatra: हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर देवशयनी एकादशी मनाई जाती है. इस दिन से भगवान विष्णु चार मास…

Pandharpur Wari Yatra: हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर देवशयनी एकादशी मनाई जाती है. इस दिन से भगवान विष्णु चार मास की योग निद्रा में जाते हैं जिसके बाद चातुर्मास लगता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो विष्णु जी के योग निद्रा में जाने से लेकर उठने तक की अवधि चातुर्मास कहलाती है.

इस आषाढ़ एकादशी (Ashadh Ekadashi 2025) दिल्ली में 6 जुलाई, 2025 (रविवार) को पंढरपुर वारी की सांकेतिक पदयात्रा (Pandharpur Wari Yatra) आयोजित की जा रही है. यह पदयात्रा सुबह 6 बजे कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर से सेक्टर 6 आर के पुरम विट्ठल मंदिर तक जाएगी. वारी में शामिल होने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर रजिस्टर करे. https://forms.gle/AcE9BeD6xeQkNZ आप से सपरिवार इस बारी में सहभागी होने का अनुरोध है.

दिल्ली मराठी प्रतिष्ठान वारी संदर्भ मे महत्वपूर्ण सूचना (Pandharpur Wari Yatra in Delhi) 
– वारी (पदयात्रा/ प्रभात फेरी) रविवार, 6 जुलाई 2025 की सुबह 6 बजे हनुमान मंदिर, कॅनॅाट प्लेस से आरंभ होगी. सभी भाविकों से अनुरोध है की वह सुबह 5.45 बजे तक निर्धारित स्थान पर पहुंचे.
– वारी मार्ग:-हनुमान मंदिर,कॅनॅाट प्लेस, बाबा खडकसिंह मार्ग गोल डाकखाना, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, 11 मूर्ती, सरदार पटेल मार्ग, कौटिल्य मार्ग, शांतीपथ, मोतीबाग फ्लाई ओव्हर, राव तुलाराम मार्ग, मेजर सोमनाथ पथ, संगम सिनेमा, तमिल संगम, विठ्ठल मंदिर आर.के. पुरम.
– विशेष आग्रह:- वारी में पारंपरिक वेशभूषा पहनना अच्छा रहेगा. (जैसे सफेद कुर्ता पजामा, कुर्ता धोती)
– बारिश की संभावना को ध्यान में रखते हुए छाता अथवा रेनकोट की व्यवस्था साथ रखे.
– वारी मार्ग पर पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था रहेगी.
– यदि कोई भाविक अपने साथ पानी की बोतल रखना चाहे तो रख सकता है, परंतु ज्यादा सामान साथ लेकर पैदल यात्रा कष्टदायक नहीं हो.
– वारी में श्रद्धालु हरि नाम संकीर्तन व भजन गाते हुए चलते हैं, इसलिए श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि जिनके पास मंजिरे/ढोलक हो उसे साथ लाएं.

देवशयनी एकादशी का महत्व
मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक माह की शुक्ल एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) को जागते हैं. इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है. इस दौरान साधना, व्रत और भक्ति के कार्य अधिक फलदायी माने जाते हैं, जबकि विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य वर्जित होते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. साथ ही, व्यक्ति को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह दिन जगन्नाथ रथयात्रा के तुरंत बाद आता है, इसलिए इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है.

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