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Narak Chaturdashi 2023: नरक चतुर्दशी कब ? जाने इस दिन क्यों होती है यमदेव और श्रीकृष्ण की पूजा

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Narak Chaturdashi 2023: पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. नरक की यातना और पाप कर्मों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए एवं स्वर्ग में सुख और वैभव की कामना तथा स्वर्ग में अपने लिए स्थान पाने के लिए नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत बहुत ही फलदायी होता है. दिवाली की तैयारियां शुरु हो चुकी है. नरक चतुर्दशी का त्योहार दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है.

इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और श्रीकृष्ण की आराधना की जाती हैं और यम के नाम संध्या काल में दीपल जलाएं जाते हैं. कहते हैं नरक चतुर्दशी पर दीप जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता. जानते हैं इस साल नरक चतुर्दशी की डेट, मुहूर्त और महत्व.

नरक चतुर्दशी 2023 डेट और मुहूर्त (Narak Chaturdashi 2023 Date & Muhurat)
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इस साल नरक चतुर्दशी 12 नवंबर 2023 को है. इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस,नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस बार नरक चतुर्दशी बहुत खास है क्योंकि इसी दिन दिवाली भी मनाई जाएगी.
पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर इसका समापन होगा. नरक चतुर्थी के दिन रूप निखारा जाता है, जिसके लिए सुबह शुभ मुहूर्त में स्नान की परंपरा है.

नरक चतुर्दशी महत्व (Narak Chaturdashi Significance)
पौराणिक कथा के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से नरकासुर का संहार किया था. नरकासुर का वध कर श्रीकृष्ण ने देवताओं की रक्षा की थी इसलिए इस दिन कान्हा की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन संध्याकाल में यमराज के निमित्त दीपदान करने से मृत्यु का भय नहीं सताता और नरक से मुक्ति मिलती है. साल 2023 में नरक चतुर्दशी और बड़ी दिवाली एक ही दिन है ऐसे में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की पूजा से धन-सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होगी.

नरक चतुर्दशी पर यम के नाम दीप (Narak Chaturdashi Yam Deep)
नरक चतुर्दशी पर संध्या काल में मुख्य द्वार पर दीपक लगाएं. इस दिन खासकर यमराज के निमित्त आटे का चौमुखी दीपक बनाकर तेल का दिया जलाया जाता है. मान्यता है इससे यमलोक में यमराज की यातनाएं नहीं सेहनी पड़ती.

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