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Hartalika Teej 2023: तीज के दिन रवि और इन्द्र योग, जानें शुभ महूर्त और तिथि

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Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज का व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया 18 सितंबर को हरतालिका तीज मनाई जाएगी. भारत में हरियाली तीज और कजरी तीज के बाद अब हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाएगा. यह व्रत भी अन्य दोनों व्रत के समान ही महत्व रखता है. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है. हरतालिका तीज व्रत एक कठिन व्रत माना जाता है. इसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं.

इस दिन महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला व्रत करती हैं. यही नहीं रात के समय महिलाएं जागरण करती हैं और अगले दिन सुबह विधिवत पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत खोलती हैं. मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है.
ये  त्योहार मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है. कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इस व्रत को "गौरी हब्बा" के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

हरितालिका तीज 2023 शुभ मुहूर्त और योग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार  , भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 17 सितंबर 2023 को सुबह 11.08 मिनट से 18 सितंबर 2023 को 12.39 तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार से यह व्रत 18 सितंबर को ही रखा जाएगा.18 सितंबर को सुबह 6 बजे से रात के 8 बजकर 24 मिनट तक का समय शिव और पार्वती की पूजा के लिए उपयुक्त है. लेकिन शाम को प्रदोष काल के समय पूजा करना बेहद अच्छा माना जाता है. इस बार हरतालिका तीज पर ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत संयोग बन रहा हैं.

हरतालिका तीज का व्रत कैसे करें? 
 हरतालिका तीज का व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है. यह निर्जला व्रत है यानी कि व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है. व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद "उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये" मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लिया जाता है. 

हरतालिका तीज की पूजन सामग्री
हरतालिका व्रत से एक दिन पहले ही पूजा की सामग्री जैसे  गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध, शहद आदि  जुटा लें.   
मां पार्वती की सुहाग सामग्री: मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पिटारी. 

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