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Navratri Sixth Day: . नवरात्रि के छटवे दिन मां कात्यायनी की पूजा के जाती है,जानें मां के दिव्य स्वरूप की महिमा

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Navratri Sixth Day: . इन दिनों मां दुर्गा का महापर्व शारदीय नवरात्रि  चल रहे है. आज नवरात्रि के छठवें दिन देवी मां के कात्यायनी स्वरूप की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है. 

ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण देवी मां को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है. मां दुर्गा का ये स्वरूप अत्यन्त ही दिव्य हैं. इनका रंग सोने के समान चमकीला है, तो इनकी चार भुजाओं में से ऊपरी बायें हाथ में तलवार और नीचले बायें हाथ में कमल का फूल है. जबकि इनका ऊपर वाला दायां हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे का दायां हाथ वरदमुद्रा में है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार मां कात्यायनी की उपासना से व्यक्ति को किसी प्रकार का भय या डर नहीं रहता है और उसे किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता है.
मां कात्यायनी का  दिव्य और भव्य स्वरुप की हैं. इनकी चार भुजाओं में से दाहिने तरफ का ऊपरवाला हाथ अभय मुद्रा में और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में स्थित है. बाएं हाथ में ऊपर कर हाथ में तलवार और निचले हाथ में कमल है. इनका भी वाहन सिंह है.

छठे दिन साधक के मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है. उसमें अनंत शक्तियों का संचार होता है. वह अब माता का दिव्य रूप देख सकता है. भक्त को सारे सुख प्राप्त होते हैं. दुख दारिद्र्य और पापों का नाश हो जाता है.

मां कात्यायनी का ब्रजमंडल अधिष्ठात्री रूप 
भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिन्दी यमुना के तट पर मां कात्यायनी की पूजा की थी. इसलिए देवी मां को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी पूजा जाता है.देवी मां की उपासना उन लोगों के लिए बेहद ही लाभकारी है, जो बहुत समय से अपने लिये या अपने बच्चों के लिये शादी का रिश्ता ढूंढ रहे हैं. लेकिन उन्हें कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल पा रहा है. अगर आप भी इस तरह की समस्याओं से परेशान हैं, तो आज मां कात्यायनी की उपासना करके आपको लाभ जरूर उठाना चाहिए.

मां कात्यायनी की पूजा विधि
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए जो विधि-विधान बताए गएं हैं. सबसे पहले प्रातः काल उठकर स्नान करें और उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें. उसके बाद आप पूजा करने का संकल्प लें. अपने पूजा घर में मां की चौकी बनाएं और इसके बाद मां कात्यायनी की प्रतिमा को वहां विराजित करें.  इसके बाद आप पूजा घर में गंगा जल लेकर चारों और छिड़काव कर दें.

देवी मां को पीले रंग प्रिय हैं, तो पूजा में विशेष रूप से आप उनको पीले पुष्प चढ़ाएं, मां को धूप,अक्षत, पान, सुपारी,रोली और कुमकुम आदि वस्तुएं श्रद्धा से भेंट करें। उसके बाद मां कात्यायनी की आरती करें और उनकी प्रतिमा के सामने उन्हें दंडवत प्रणाम करें.  इस विधि से पूजा करें और मां की असीम कृपा पाएं. 

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