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कैसे निकाले फुर्सत खुद से बात करने की? पढ़ें इससे जुड़ी स्टडी

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Self Love Tips : अक्सर अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में हम यूं उलझ जाते हैं कि खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाते. रोजाना सोचते हैं वक़्त निकाल कर ये करेंगे, वो करेंगे मगर वो वक़्त कभी मिल ही नहीं पाता और बस पछतावा ही रह जाता हैं. इस दौरान फिर खुद को कोसना, बुरा महसूस करना और पछतावा आम होता है.कई बार बात समय की नहीं बल्कि पहल देने की होती है.. हमारे पास समय होने के बावजूद चीज़ें टालते हैं क्यूंकि उस काम को हम उतना ज़रूरी नहीं समझते.

कभी-कभी ख्याल आता है कॉलेज टाइम में कितना वक़्त होता था, जो मन में आता था करते थे और अब हर बार मन मारना पड़ता है. समय की कीमत बड़े होकर ही पता चलती है.. जब वक्त होता है कदर नहीं करते और जब हाथों से निकल जाता है तो बस सोचते रह जाते हैं..  कभी ना कभी आपने भी कहा होगा - 'फुर्सत निकाल कर ये काम करना है यार', पर क्या वो फुर्सत कभी मिली ? उस काम को पहल दिए बिना फुर्सत मिल भी नहीं सकती.. आज कल जैसे हाल हैं इसमें दुसरो का क्या खुदका भी हाल जानने के लिए वक़्त नहीं निकल पाता.. अपने सपनों, भावनाओं और शौक के लिए भी समय निकालना मुश्किल सा लगता है.. पर क्या ऐसे बंध कर इंसान जी सकता है ? क्या महज़ काम या गुज़ारा करने को ही जीना कहता हैं ?

मैं कुछ दिन पहले अपने कॉलेज गई थी, अपनी एक सहेली के साथ घास पर लेटी, पहली बार.. और सच बताऊं इतनी शांति, सुकून और दिल को इतनी तसल्ली मिली की बता नहीं सकती.. उस समय ऐसा लगा जैसे सब रुक सा गया है..  ज़िन्दगी की भाग-दौड़ रुक सी गई, मन को अलग ही शान्ति महसूस हुई.. खुले आसमान को देखकर जो महसूस हुआ मैं शायद शब्दों में बयां नहीं कर सकती.. तब ऐसा लगा के मेरे अंदर का जो बच्चा गुम सा हो गया था वो कितने दिनों बाद जागा है, दिल पहले से बेहतर धड़कता महसूस हुआ, आँखों को दुनिया ज़्यादा रंगीन लगी.. ऐसा लगा जैसे वक़्त थम सा गया.. मन तो हुआ सारा दिन वही पड़ी रहूं, काम-काज जाए भाड़ में, मुझे तो बस यही सुकून चाहिए.. पर हालात मेरे अनुकूल नहीं थे और मुझे वापिस आना पड़ा...  

रोज़ ऑफिस से आकर सोचती हूँ कुछ ऐसा करू कि लगे दिन व्यर्थ नहीं गया पर रोज़ नाकाम होती हूं.. मैं करीब 5 महीनों से सोच रही थी कुछ लिखूंगी मगर कभी आलस तो कभी समय की कमी की वजह से ये टल जाता था.. आज हिम्मत कर और वक़्त निकाल मैंने ये कर ही लिया.. 

आप भी अगर इससे प्रेरणा ले सकते हैं तो लीजिये और लम्बे समय से लटका आपका काम, या कोई शौंक जो वक़्त के साथ पीछे छूट रहा है उसे संग लेकर चलिए, समय दीजिये.. अच्छा महसूस होगा..  अंत में बस यही याद करवाना चाहूंगी - दूसरो का हाल तो रोज़ जानते हो, कभी फुर्सत निकालकर अपनी खबर ज़रूर लेना.

ये रिपोर्ट सुप्रिया झा द्वारा बनाई गई है. 

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