Basant Panchami Amrit Snan: महाकुंभ मेला 2025 (Mahakumbh 2025) का तीसरा अमृतपान आज यानी 3 फरवरी को हो रहा है. इस दिन नागा साधुओं के स्नान के बाद अन्य श्रद्धालु भी त्रिवेणी घाट पर स्नान करेंगे. इसके बाद 12 और 26 फरवरी को महाकुंभ ईशान भी होगा, लेकिन इसमें नागा साधु भाग नहीं लेंगे.(Basant Panchami Amrit Snan)
आज 3 फरवरी का दिन अमृत संचार का बहुत खास दिन माना जाता है. बसंत पंचमी और महाकुंभ अमृत संयोग का पावन संयोग अब कई वर्षों बाद मिलेगा.ऐसे में यदि आप अमृत ग्रहण के इस शुभ समय में कोई भी शुभ कार्य करते हैं तो आपको शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है.
इस विधि का उपयोग करके अमृतपान करें (Basant Panchami Amrit Snan)
अगर आप महाकुंभ मेले में स्नान करने जा रहे हैं तो इस दिन सही विधि और नियमों का पालन करके आप कई शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं.
नागा साधुओं और संतों को महाकुंभ में स्नान करने के बाद ही त्रिवेणी संगम में स्नान करना चाहिए. नदी में घुटने टेकने के बाद, अपने हाथ में थोड़ा सा जल लें और संकल्प लें. इसके बाद 'गंगा च यमुना चैव गोदावरी सरस्वती।' 'नर्मदे सिंधु कावेरी जल' मंत्र का जाप करते हुए 5 बार डुबकी लगाएं.
नहाते समय आपका मुख सूर्य की ओर होना चाहिए.
स्नान करते समय अपने इष्ट देवताओं और पूर्वजों का स्मरण करना चाहिए.
अमृत संचार में स्नान करने के बाद, पवित्र मंदिर में जाकर प्रार्थना करनी चाहिए.
इस प्रकार महाकुम्भ के अमृत में स्नान करने से तुम पापों से मुक्त हो जाओगे और तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.इसके साथ ही अगर आप महाकुंभ में स्नान करने नहीं जा सकते तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं.
स्नान के बाद पास के मंदिर में जाकर पूजा करने से पुण्य मिलता है.
स्नान के बाद दान करें
हिंदू धर्म में दान का बहुत महत्व है. इस दिन दान देने से न केवल आध्यात्मिक संतुष्टि मिलती है बल्कि देवताओं और पूर्वजों का आशीर्वाद भी मिलता है. इसलिए महाकुंभ के तीसरे और अंतिम दिन स्नान और दान अवश्य करना चाहिए। इस दिन आप अन्न, वस्त्र, धन आदि दान कर सकते हैं.
पूर्वजों के लिए प्रार्थना करें
बसंत पंचमी के दिन पितरों को तर्पण करना भी शुभ फलदायी साबित होगा. ऐसा करने से पितरों की आत्माएं प्रसन्न होती हैं और आप पितृ दोष से भी मुक्त हो सकते हैं. महाकुंभ के अमृत महोत्सव के दिन पितरों को तर्पण और श्राद्ध करने के साथ ही उनके मंत्रों का जाप भी करना चाहिए. धार्मिक मान्यता के अनुसार, अमृत संचार के दौरान किया गया श्राद्ध पितृ पक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध के समान ही शुभ माना जाता है.
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