Punjab Flood Update:
गांव में प्रवेश करते ही बाढ़ से तबाहि का मंजर साफ दिखाई देता है. सड़कें में गड्ढों और दरारों से भरी पड़ी है. गांव की गलियों में पानी की जगह घुटनों तक गाद है. चारों ओर फैली गंदगी और सड़ांध बीमारियों को निमंत्रण दे रही है. कई घर ढह चुके हैं तो कुछ की दीवारों जर्जर हो चुकी हैं. कई दिनों तक पानी में रहीं फसलें पूरी तरह खराब हो चुकी हैं. फसले सड़ चुकि हैं. इस बीच चंड़ीगढ़ के स्कूलों में छुट्टीयां रद्द की है. भखड़ा के गेट खोलने से जलस्तर बढ़ने का खतारा मंडराने लगा है.
सरकारी स्कूलों में दूसरे शनिवार की छुट्टी को रद्द-
चंडीगढ़ शिक्षा विभाग ने शहर में संचालित सरकारी स्कूलों में हर महीने होने वाली दूसरे शनिवार की छुट्टी को रद्द कर दिया है. डॉयरैक्टर स्कूल एजुकेशन एच.पी.एस. बराड़ ने निर्देश जारी किया है कि जिसमें कहा गया है कि बीते कुछ दिनों भारी बरसात और खराब मौसम के कारण स्कूलों में एक सप्ताह की छुट्टी रही थी. इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा है इसलिए बच्चों की पढ़ाई पूरी करने के लिए यह आदेश जारी किए गए है.
जलस्तर बढ़ने का खतरा-
भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड ने आगामी दिनों में हिमाचल में भारी वर्षा की संभावना को देखते हुए भाखड़ा बांध के फ्लड गेट को एक बार फिर और खोलने का फैसला लिया है. वीरवार को फ्लड गेटों को तीन फीट से बढ़ाकर चार फीट तक खोल दिया गया. इससे सतलुज में जलस्तर बढ़ने का खतरा एक बार फिर मंडराने लगा है.
मौसम विभाग ने शुक्रवार को राज्य के कुछ जिलों में भी वर्षा और इसके बाद दो दिन मौसम साफ रहने की संभावना जताई है. राज्य में 15 सितंबर को कई जिलों में वर्षा हो सकती है.
बाढ़ दे गई गहरे जख्म-
हुसैनीवाला बॉर्डर के ग्रामीणों को सतलुज दरिया में आई बाढ़ से धान की फसल पानी में डूबने के चलते पूरी तरह खराब हो गई है. पानी के बहाव में कई मकान गिर चुके हैं. घरों के अंदर कीचड़ भर गया है. लोग मकानों की छतों पर तिरपालें लगाकर रहने को मजबूर हैं.
नंगल डैम की सतलुज झील के किनारे ढलान पर बसा गांव विभोर साहिब मलवे में तबदील होने की कगार पर खड़ा है. करीब 15 घरों के लोग अपने मकानों को ताला लगाकर गांव छोड़कर जा चुके हैं. शेष परिवार भी डर के साए में पलायन करने को मजबूर हैं.
अमृतसर के सीमांत सेक्टर अजनाला का ऐतिहासिक गांव चमियारी आज यह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. बीते दिनों रावी दरिया के रौद्र रूप और मूसलाधारबारिश ने इस गांव की तस्वीर ही बदलकर रख दी है. रावी का पानी तो अब उतर चुका है लेकिन यह अपने पीछे तबाही के गहरे निशान छोड़ गया है.
गांव टेंडी वाला और कालू वाला में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. दोनों गांवों की लगभग डेढ़ सौ एकड़ जमीन सतलुज दरिया में समा गई है. पाकिस्तान से भारत में आने वाले दरिया का आकार बहुत बड़ा हो गया है. उक्त गांव के कई घर दरिया में समा गए हैं. अब भी टेंडी वाला और कालू वाला की तरफ दरिया की मरम्मत नहीं कराई गई तो आने वाले समय में इनका नाम ही रह जाएगा. ये दोनों गांव दरिया में समा जाएंगे.