Ladakh Statehood Demand Protest:
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर लेह में बुधवार को Gen-Z का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया. Gen-Z ने केंद्र सरकार और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूर्ण बंद का आह्वान किया. विरोध प्रदर्शन के दौरान अचानक से हिंसक भड़क उठी. इससे पुलिस और Gen-z में झड़प हो गई. पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया के साथ युवाओं से शांति की अपिल की है.
पुलिस से झड़प में पत्थरबाजी-
सड़क पर प्रदर्शन कर रहे युवाओं ने BJP ऑफिस पर भी हमला किया. पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हुई. आरोप है कि प्रदर्शनकारियों ने जमकर पत्थरबाजी की और पुलिस वाहन को भी आग के हवाले कर दिया. प्रदर्शनकारी राज्य का दर्जा और लद्दाख के संवैधानिक अधिकारियों की बहाली की मांग को लेकर जुटे थे. स्थिति को बिगड़ता देख स्थानीय पुलिस ने प्रदर्शन की जगह पर अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती कर दी है.
हिंसा के रास्ते पर चलने से मेरे 5 साल की कोशिश नकाम हो जाएगी- सोनम वांगचुक
सोनम वांगचुक ने इस हिंसा पर दुख x पर विड़ियो पोस्ट कर कहा कि, लेह में आज बंद था जिसने हिंसक रूप से पुलिस की गाड़ीयों को जलाया यह बहुत दुखद है. इसमें प्रदर्शन में ज्यादातर Gen-z लोग शामिल हैं, उनके सब्र का बाध टुट गया है. लेकिन, मैं उनसे अपिल करता हूं कि हिंसा के रास्ते पर न चले. ये मेरे 5 साल की कोशिश को नकाम कर देगा. हम शातिं से सरकार तक अवाज पंहूचाना चाहता हूं. शांति से सरकार से वार्ता करने का समय है.
केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे छात्र
छात्र बड़ी संख्या में सड़कों पर मांग है और मांग कर रहे हैं कि लद्दाख को हर हालत में पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. प्रदर्शन के दौरान छात्रों और पुलिस के बीच झड़प भी हो गई है. सड़कों पर जिधर भी देखो तो वहां छात्रों का हुजूम नजर आ रहा है. सुरक्षाबल भी पूरी तरह अलर्ट मोड में हैं और मौके पर डटे हुए हैं लेकिन छात्रों का आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा है. वह लगातार विरोध प्रदर्शन को तेज कर रहे हैं.
35 दिन का भूख हड़ताल पर बैठे है -सोनम वांगचुक
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पिछले कई दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं. उनके कुछ साथियों को प्रदर्शन के बीच से ही उठाकर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है. लद्दाख में ये आंदोलन बीते 15 दिनों से चल रहा है. स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई जब दो महिला प्रदर्शनकारियों को बीमार पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया. इससे पहले वे अपनी इसी मांग को लेकर दिल्ली तक पैदल यात्रा भी कर चुके हैं. लेकिन, केन्द सरकार के साथ बस वार्तालाप तक ही बात रह जाती है.