GeetanjaliAngmoStatement:
लेह में हिंसा के बाद कर्फ्यू जारी है. सोनम वांगचुक को एनएसए के तहत जोधपुर जेल भेजा गया. उनकी पत्नी ने पाकिस्तान कनेक्शन के आरोप खारिज कर सीआरपीएफ पर हिंसा का ठीकरा फोड़ा है. इसके अलावा वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने लेह में हालिया अशांति के संबंध में अपने पति के खिलाफ आरोप लगाए जाने के बाद पुलिस की आलोचना की. उन्होंने दावा किया कि छठी अनुसूची को लागू करने से बचने और किसी को बलि का बकरा बनाने के लिए एक मनगढ़ंत कहानी बनाई गई.
सीआरपीएफ को गोली चलाने का आदेश किसने दिया?
एंगमो ने एएनआई से कहा, ‘हम डीजीपी के बयानों की कड़ी निंदा करते हैं. न केवल मैं बल्कि लद्दाख में हर कोई उन आरोपों की निंदा करता है.’ घटनाओं को ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए उन्होंने सुरक्षा बलों की भूमिका पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ‘हम पूछते हैं: सीआरपीएफ को गोली चलाने का आदेश किसने दिया? कौन अपने ही लोगों, अपने ही नागरिकों पर गोली चलाता है? खासकर ऐसे इलाके में जहाँ कभी कोई हिंसक प्रदर्शन नहीं हुआ.
एजेंडे के तहत काम करने का भी आरोप-
सोनम वांगचुक के द्वारा किसी भी प्रकार की अशांति भड़काने के दावों को खारिज करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि वांगचुक कहीं और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल थे. उन्होंने कहा, ‘सोनम वांगचुक ने क्या भड़काया होगा? उन्हें इस सब के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. वह कहीं और थे, जहां वह भूख हड़ताल पर थे. उन्होंने पुलिस पर एक एजेंडे के तहत काम करने का भी आरोप लगाया.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘डीजीपी जो भी कह रहे हैं उनका एक एजेंडा है. वे किसी भी हालत में छठी अनुसूची लागू नहीं होने देना चाहते और किसी को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं.’ अंगमो ने कहा कि युवा विरोध के बहाने लगाया गया कर्फ्यू निंदनीय है, उन्होंने दावा किया कि यह शांतिप्रिय था. यह सीआरपीएफ द्वारा आंसू गैस का प्रयोग था जिसने विरोध को शांतिपूर्ण होने से रोका.
बलि का बकरा ढूंढा जा रहा है-
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार लद्दाख को संविधान के छठे शेड्यूल के तहत अधिकार देने से बचना चाहती है. “अब एक झूठा नैरेटिव बनाकर बलि का बकरा ढूंढा जा रहा है. डीजीपी का बयान भी इसी एजेंडे का हिस्सा है. गीतांजलि का कहना है कि सिर्फ वे ही नहीं, बल्कि पूरा लद्दाख इन आरोपों को खारिज करता है.
लद्दाख विरोध प्रदर्शन: पूरा मामला
लद्दाख क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा जैसे “छठे अनुच्छेद (Sixth Schedule)” के तहत विशेष अधिकारों की मांग को लेकर विरोध तेज़ हो गया है. पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर से इस मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी. विरोध प्रदर्शन शांति से शुरू हुआ, लेकिन 24 सितंबर को हिंसक हो गया जब भूखहड़ताल कर रहे कुछ प्रदर्शनकारियों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा.
इससे युवा सड़कों पर उतरे, वाहनों और राजनीतिक कार्यालयों में आग लगा दी गई, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं. इसमें चार लोगों की मौत हुई और दर्जनों लोग घायल हुए. सरकार ने इसका आरोप सोनम वांगचुक पर लगाकर उन्हें जेल में ड़ालकर, उनकी NGO की FCRA लाइसेंस रद्द कर दी गई है. इसके बाद लेह में अभी तक कफ्यू जारी है. वहा के प्रतिनिधियों ने सरकार से बातचीत के लिए मना कर दिया है.
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