India’s Biggest Cyber Fraud: दिल्ली में देश का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड, 23 करोड़ ठगे, डेढ़ महीने रखा ‘डिजिटल अरेस्ट’

Delhi Digital Arrest Fraud: देश में दिन प्रतिदिन डिजिटल अरेस्ट के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. देश के सबसे बड़े डिजिटल फ्रॉड का मामला…

Delhi Digital Arrest Fraud:

देश में दिन प्रतिदिन डिजिटल अरेस्ट के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. देश के सबसे बड़े डिजिटल फ्रॉड का मामला दिल्ली NCR से सामने आया है. डिजिटल अरेस्ट करने वाले ज्यादातर बुजुर्ग लोगों को ही अपना शिकार बनाते हैं. इस बार भी एसा ही हुआ जिसमें पूर्व बैंक अधिकारी ने 23 करोड़ गवां दिए. मामला राजधानी के गुलमोहर पार्क में रहने वाले पूर्व बैंक अधिकारी नरेश मल्होत्रा का है जिन्होंने लगभग डेढ़ महीने तक डिजिटल अरेस्ट से हुआ जिसमें उन्होंने ये पैसे गवाएं.

क्या है पूरा मामला?

नरेश मल्होत्रा ने बताया कि पहली कॉल 1 अगस्त 2025 को आई थी. लैंडलाइन पर कॉल आया कि हम एयरटेल से बोल रहे हैं और आपको मुंबई पुलिस से कनेक्ट कर रहे हैं. क्योंकि आपके आधार से मुंबई के भायखला में नया नंबर जारी हुआ है और अगर आप ने कॉल डिस्कनेक्ट किया तो आप के घर की सारी लाइन काट दी जाएगी.

नरेश मल्होत्रा (पूर्व बैंक अधिकारी)

उन्होंने बताया कि पहले लैंडलाइन पर फिर मोबाइल पर वॉट्सएप कॉल आया और सारी जानकारी दी. जिसमें कॉल करने वाले ने बताया कि आपके आधार से यह नंबर इशू है और इससे आपने टेरर फंडिंग की है, जिसके बाद आपको डिजिटल अरेस्ट किया जाता है. उन्होंने बोला कि आप पर PMLA एक्ट लगाया गया है क्योंकि आपके नंबर से गैंबलिंग, टेरर फंडिंग की गई है.

फैमिली को अरेस्ट करने की धमकी-

उन्होंने धमकाया कि अगर आप बच्चों को बताओगे तो हम पूरी फैमिली को अरेस्ट कर लेंगे. नरेश मल्होत्रा ने बताया कि पहले मेरे खाते से सोमवार को आरटीजीएस करके 14 लाख रुपए निकाले और बाकी शेयर बेच बेचकर लगभग 4 सितंबर तक अलग-अलग ट्रांजैक्शन में लगभग 23 करोड़ रुपए भेजे. उनकी तरफ से आदेश मिलता था और मैं आरटीजीएस फॉर्म भर देता था, फिर उनको फोटो कॉपी भेजता था. फिर वह अकाउंट नंबर देते थे और बोलते थे कि बैंक जाकर इसमें पैसे भेजिए.

बैंक कर्मचारियों ने भी बोला था कि आप इतना सारा पैसा क्यों निकल रहे हैं, हमारे पास छोड़ दो. लेकिन उन्होंने मुझे 14 या 16 सितंबर को अरेस्ट करने की धमकी दी और बोला कि अब ईडी की जांच शुरू हो चुकी है और हमने सारी डिटेल उनको दे दी है. अब आपको 5 करोड़ रुपए का पेमेंट देना है और सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर भेजा.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का फर्जी ऑर्डर-

नरेश मल्होत्रा के मुताबिक उन्होंने बताया कि संसद मार्ग से भी एक डिजिटल आर्डर है और हमें आरबीआई की तरफ से भी इजाजत मिल गई है. आप इस खाते में पैसे ट्रांसफर कर दीजिए. फिर उनकी तरफ से एक प्राइवेट बैंक में पैसा ट्रांसफर करने को कहा गया, जो कोलकाता बेस्ट था. लेकिन मैंनें प्राइवेट बैंक में पैसा भेजने से मना कर दिया. तब उन्होंने मुझे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से एक ऑर्डर दिया, जिसके बाद मैंने पैसा ट्रांसफर किया. उस दिन सुबह से मैंने चार अलग-अलग अकाउंट में पैसे भेजे. इसके बाद मैनें जब यह कहा कि अब आपको एक भी पैसा नहीं दूंगा. अब मैं सुप्रीम कोर्ट में जाकर खुद 5 करोड़ रुपए का चेक दे दूंगा तब उन्होंने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी.

दिल्ली पुलिस और साइबर सेल में शिकायत-

नरेश मल्होत्रा ने बताया कि मैंने 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस और साइबर सेल को शिकायत की. जिसके बाद से सभी मेरी पूरी मदद कर रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि वह पूरा मामले पर सही जांच करेंगे. उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से इसमें बैंकों की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी होती है. जिस खाते में एक हजार का बैलेंस है और उसमें करोड़ रुपए आए तो इस पर बैंक और आरबीआई को जांच करनी चाहिए. इसमें पूरी जिम्मेदारी बैंक की है. इन बैंकों की केवाईसी प्राइवेट कर्मचारी करते हैं. ना कस्टमर बैंक जाता है और ना यह कर्मचारी उनको बैंक आने देते हैं. इस तरह के फ्रॉड में बैंक की भी जिम्मेदारी होती है. NIA नियम भी है कि बिना केवाईसी के अकाउंट नहीं खोल सकते हैं. अगर यह कलेक्टिव बैंक पर पाबंदी करेंगे तो डिजिटल फ्रॉड को रोका जा सकता है.

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