World Soil Day 2023: अच्छी मिट्टी के मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मृदा संसाधनों के प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस (डब्ल्यूएसडी) मनाया जाता है. 2002 में, अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ (IUSS) ने मिट्टी की स्मृति में एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना की वकालत की. प्रबंधन जिस प्रकार जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है, उसी प्रकार मिट्टी भी महत्वपूर्ण है.
भारत की आधी आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन किसानों द्वारा रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के कारण मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है. मृदा संरक्षण महत्वपूर्ण हो गया है, जो खाद्य सुरक्षा, पौधों की वृद्धि, कीड़ों और जानवरों के जीवन और आवास और मानवता के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है. भारत में 'मिट्टी बचाओ आंदोलन' करीब 45 साल पहले शुरू हुआ था.
हिंदू धर्म में भी मिट्टी का विशेष महत्व होता है. इसलिए यहां कई तीज-त्योहार और शादी-विवाह में माटी पूजन का महत्व है. धर्म ग्रंथों में भी मिट्टी के महत्व के बारे में बताया गया है.
इस दिन को मनाने की शुरुआत कैसे हुई?
मृदा दिवस मनाने की पहली सिफारिश वर्ष 2002 में की गई थी. अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान ने पहली बार 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का आह्वान किया. बाद में वर्ष 2013 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा की 68वीं महासभा की बैठक हुई और सर्वसम्मति से विश्व मृदा दिवस मनाने की घोषणा की गई.
मृदा दिवस मनाने का प्रस्ताव भी पारित किया गया। जब पहली बार मृदा दिवस की मांग उठी तो इस खास दिन के लिए वही दिन यानि 5 दिसंबर मृदा दिवस मनाने के लिए तय किया गया। एक साल बाद, 5 दिसंबर 2014 को दुनिया भर में पहली बार विश्व मृदा दिवस मनाया गया.
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