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Shattila Ekadashi 2024: षटतिला एकादशी आज, जरूर पढ़ें ये खास कथा, संवर जाएगा घर-परिवार

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Shattila Ekadashi 2024: माघ महीने की एकादशी तिथि(Shattila Ekadashi) को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के संग मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने से का विधान है. इस बार फरवरी महीने में षटतिला एकादशी आज है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तिल का भोग लगाना चाहिए. भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा के साथ ही षटतिला एकादशी व्रत कथा को सुनना भी जरूरी माना गया है. तो आइए सुनते हैं षटतिला एकादशी की खास कथा.

षटतिला एकादशी कथा (Shattila Ekadashi Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है जब काशी में एक गरीब अहीर रहता था. वह बड़ा गरीब था और जंगल की लकड़ियां काट कर बेचता और अपने परिवार का भरण पोषण करता.  जिस दिन उसकी लकड़ियां नहीं बिकती वह और उसका परिवार भूखे रह जाते थे. 
एक दिन वह साहूकार के घर लकड़ी बेचने गया. उसने देखा की साहूकार के घर किसी त्योहार की तैयारी चल रही है. उसके मन साहूकार से पूछने की जिज्ञासा हुई आखिर ये तैयारी किस चीज की चल रही है.  
उसने साहूकार से डरते हुआ पूछा तब साहूकार ने बताया आज षटतिला एकादशी के व्रत की तैयारी चल रही है. सेठ ने बताया कि यह एकादशी बड़ी पावन है, इसका नियम पूर्वक व्रत रखने और विष्णु आराधना करने से गरीबी, संसार के समस्त कलेश, रोग, पाप आदि समाप्त होते हैं.  
जो लोग इसका व्रत करते हैं उन पर श्री हरि की विशेष कृपा होती है और धन एवं संतान की प्राप्ति होती है.  इस दिन व्रत रखने वाले लोगों के जीवन में सुख-सौभाग्य आता है. यह बात जानकर अहीर घर पहुंचा और उसने अपनी पत्नी को षटतिला  एकादशी का महत्व बताया. 
उसके बाद दोनों ने इसका विधिवत व्रत रखा.  इसके फलस्वरूप उन पर भगवान नारायण की कृपा हुई और वह कंगाल से धनवान बन गए. 

षटतिला एकादशी पूजन विधि (Shattila Ekadashi Puja Vidhi)
- प्रात:काल स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पुष्प, धूप आदि अर्पित करें. षटतिला एकादशी व्रत के पूजा के समय भगवान विष्णु को तिल से बने खाद्य पदार्थों का भोग लगाएं. ऐसा करने भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. 
- इस दिन तिल का दान करना उत्तम माना जाता है. तिल का दान करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है. 
- व्रत रखने के बाद रात को भगवान विष्णु की आराधना करें, साथ ही रात्रि में जागरण और हवन करें. इसके बाद द्वादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान के बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएं और पंडितों को भोजन कराने के बाद स्वयं अन्न ग्रहण करें.

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