How to Stay Happy: किसी नए शहर में पहली नौकरी मिले तो उत्साह ही अलग होता है. एक पल में आप बड़े हो जाते हैं. सयाने हो जाते हैं. और फिर आती है परिणाम की घड़ी- एक शहर से दूसरे शहर शिफ्ट करने का समय. मां के हाथ का खाना और बचपन के यार- इन सबसे दूर एक अनजान, नए शहर में शिफ्ट करना तनावपूर्ण लग सकता है. मन में कई सवाल उठते हैं, कई चीज़ों की टेंशन होती है- कहां रहेंगे?
मैंने कहीं पढ़ा था कि एक बार अगर घर से दूर रहने लग जाओ तो फिर घर मेहमान बनकर ही जाया जाता है.. ये सच है कि अगर एक बार आप घर से बाहर रहने लग जाओ तो दोबारा कभी भी वो पहले वाली भावनाएं नहीं आ सकती.. हालांकि ये बात अलग है कि अब भी सबसे ज्यादा आराम, शांति और सुकून घर पर ही मिलता है.. मगर इसके साथ ही एक तरफ कानों में वो घड़ी की टिक-टिक चलती रहती है जो पल-पल बाद याद करवाती रहती है कि ये खुशियां सिर्फ कुछ लम्हों की ही मोहताज है... इसके बाद फिर वही रोज़मर्रा के शोर में वापिस जाना पड़ेगा.. पहले लगता था - 'घर से कब बाहर निकलेंगे यार', अब कुछ-कुछ दिनों बाद महसूस होने लगता है - ' अब घर जाना है यार'..
घर से एक बार कदम बाहर रखने के बाद कभी भी वक्त धीमा नहीं बल्कि वक्त हमेशा हाथों से रेत की तरह फिसलता मालूम होता है.. घर में बिताए 10 दिन 10 मिनट जैसे लगेंगे और वही अगले 10 हफ्तों तक याद आएंगे.. घर से निकलने के बाद रिश्तों से लेकर मैगी हर चीज के मायने बदल जाते हैं.. जो मैगी कभी नाश्ते के लिए स्पेशल डिश के तौर पर बनाई जाती थी अब वह बाहर रहकर रोज की आदत सी बन गई है.. पहले जो घर के काम करना पसंद नहीं था अब वही काम घर आकर करने का मन करता है और वही अंजान शहर में करना अभी भी नहीं पचता.. घर में जो Chef हर शाम जागता था वो अब बाहर आकर नींद से जागने को तैयार ही नहीं..
जो रोज़-रोज़ घर का खाना खा मन ऊब जाता था अब उसी खाने को हर रोज मन तरसता है.. पापा की डांट सुन जो घर से भागने का मन करता था अब वही डांट इतने दिनों बाद सुन कर अच्छा लगता है.. कुछ भी कहो सबसे बेहतर नींद अब भी अपने घर में, मम्मी के साथ चिपककर ही आती है... घर पर मां बिना खाना खाए सोने ही नहीं देती और बाहर कितने दिन ही भूखे सो जाओ कोई नहीं पूछेगा.. अब कोई सो जाने के बाद नींद से जगाकर खिलाने वाला नहीं.. गुस्सा होने पर मेरा बच्चा, मेरा बेटा कहकर मनाने वाला नहीं.. हल्का सा ज़ुकाम होने पर ज़बरदस्ती कोई आराम करने को नहीं कहेगा.. कितना भी बीमार हो जाओ कोई शिद्दत से खयाल रखने वाला नहीं मिलेगा..
जिस भाई की आदतें पास रहकर इरिटेटिंग लगती थी अब दूर रहकर उन्हीं की याद आती है.. सच में बड़ा होना मुश्किल है और सबसे मुश्किल होता है घर से दूर रहना.. घर की असल कीमत दूर जाकर ही पता चलती है पर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.. दूर रहकर जब भी याद आती है एक बेबसी सी महसूस होती है, जिसका कोई हल नहीं ये जानते हुए भी वो भावना टाली नहीं जा सकती..ऐसा भी नहीं है की बाहर जिंदगी मुश्किल है पर वो अपनापन नहीं..
इसलिए जरूरी है कि आप खुश रहने की कला सीख लें. फिर चाहे किसी के साथ हैं या अकेले इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. आपका खुश रहना आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है.
- अपने शौक को समय दें
- खुद को करें डेट
- योग-ध्यान-प्रणायाम का अभ्यास करें
- दूसरों को अपनापन दे
- अपनी तुलना किसी के साथ न करें
ये रिपोर्ट सुप्रिया झा द्वारा बनाई गई है.
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