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Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर है चंद्र दर्शन की मनाही! जानें कब है साल की पहली चतुर्थी

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Vinayak Chaturthi 2024: इस वर्ष की पहली विनायक चतुर्थी पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को है. इस विनायक चतुर्थी के दिन रवि योग बन रहा है. उस दिन आपको गणेश पूजा के लिए 2 घंटे से अधिक का मुहूर्त प्राप्त होगा. हालांकि इस दिन चंद्रमा की पूजा नहीं करते हैं और न ही रात के समय में अर्घ्य देते हैं. मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रखकर बप्पा की विधिवत पूजा करने से जातक के सारे कष्ट कट जाते हैं, बुध, राहु-केतु के दोष से मुक्ति मिलती है. विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करने चाहिए. मान्यता है कि विनायक चतुर्थी को चंद्र दर्शन करने से कलंक लगता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि नए साल की पहली विनायक चतुर्थी कब है? 

नए साल की पहली विनायक चतुर्थी कब ?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 14 जनवरी रविवार को सुबह 07 बजकर 59 मिनट से प्रारंभ होगी. इस तिथि की समाप्ति 15 जनवरी सोमवार को प्रात: 04 बजकर 59 मिनट पर होगी. नए साल की पहली विनायक चतुर्थी 14 जनवरी को है क्योंकि 15 जनवरी को सूर्योदय पूर्व ही चतुर्थी तिथि का समापन हो जा रहा है.

विनायक चतुर्थी 2024 पूजा मुहूर्त
14 जनवरी को पहली विनायक चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजकर 27 मिनट से दोपहर 01 बजकर 33 मिनट तक है. इस समय में आपको गणेश जी की पूजा संपन्न कर लेनी चाहिए.

रवि योग में होगी विनायक चतुर्थी पूजा
नए साल की पहली विनायक चतुर्थी पर रवि योग का निर्माण हो रहा है. रवि योग सुबह 10 बजकर 22 मिनट से प्रारंभ हो रहा है और यह 15 जनवरी को प्रात: 07 बजकर 15 मिनट तक मान्य रहेगा. रवि योग में दोष नष्ट होते हैं और कार्य में सफलता प्राप्त होती है. उस दिन का शुभ मुहूर्त यानि अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:09 पीएम से दोपहर 12:51 पीएम तक है.

विनायक चतुर्थी पूजा विधि
- विनायक चतुर्थी को शुभ मुहूर्त में गणेश जी की मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित करें. फिर गणपति महाराज का जल से अभिषेक करें. 
- उनको अक्षत्, फूल, चंदन, वस्त्र, जनेऊ, फल, मिठाई, धूप, दीप आदि अर्पित करें.
- गणेश जी के मस्तक पर दूर्वा अर्पित करें. 
- उसके बाद मोदक या फिर लड्डू का भोग लगाएं. 
- इस दौरान आपको ओम गं गणपतये नमो नम: मंत्र का जाप करना चाहिए. 
- जाप करना के बाद विनायक चतुर्थी व्रत कथा पढ़े. फिर गणेश जी की आरती करें.

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