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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला संवैधानिक या असंवैधानिक; सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला

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Jammu kashmir News: जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के चार साल बाद इसकी वैधता पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा. केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का निर्णय लिया था. केंद्र के इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छिन गया था और यह केंद्र के अधीन आ गया था.

सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला संवैधानिक है या नहीं. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की संविधान पीठ इस मामले पर अपना फैसला सुनाने जा रही है.

याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, दुष्यंत दवे, राजीव धवन, दिनेश द्विवेदी, गोपाल शंकरनारायण समेत 18 वकीलों ने अपनी दलीलें पेश कीं. जबकि केंद्र और दूसरे पक्ष की ओर से एजीआर वेंकटरमणी, एसजी तुषार मेहता, हरीश साल्वे, महेश जेठमलानी, मनिंदर सिंह, राकेश द्विवेदी ने दलीलें पेश कीं.

केंद्र ने कहा कि विधानसभा का गठन राज्य की संविधान सभा को भंग करके किया गया था. राष्ट्रपति शासन के दौरान विधानसभा का सत्रावसान होने पर केंद्र को संसद की सहमति से निर्णय लेने का अधिकार होता है. इसमें ऐसी कोई प्रक्रिया शामिल नहीं है जो संविधान की मूल भावना के विरुद्ध हो और केंद्र और राज्यों के बीच संघीय ढांचे का उल्लंघन करती हो.

याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि केंद्र ने मनमाने ढंग से राज्य विधानसभा के विशेषाधिकारों और उसके विशेष स्वरूप यानी संविधान की अनदेखी की है. राज्य को विभाजित करने से पहले राज्य की जनता अर्थात उनके प्रतिनिधियों अर्थात विधान सभा की अनुमति या सहमति लेना आवश्यक था। ऐसा न करके केंद्र सरकार ने केंद्र-राज्य संबंधों के दृष्टिकोण से राज्य के अधिकारों का उल्लंघन किया है.

सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि लद्दाख स्थायी केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा. वहां चुनाव हो रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची को अपडेट किया जा रहा है. हम तैयार हैं. अब चुनाव कार्यक्रम चुनाव आयोग को तय करना है. हम कोई समय सीमा नहीं बता सकते कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिलेगा.

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