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Kolkata Rape Murder Case: भूख हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टर की बिगड़ी तबीयत, ICU में भर्ती

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Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के खिलाफ 7 ट्रेनी डॉक्टर भूख हड़ताल पर हैं. इनमें से एक जूनियर डॉक्टर की तबीयत गुरुवार देर रात बिगड़ गई.(Kolkata Rape Murder Case)

वरिष्ठ चिकित्सक सुबर्ण गोस्वामी ने बताया कि अनिकेत महतो की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. गुरुवार को उनकी पल्स रेट काफी गिर गई. अन्य स्वास्थ्य मापदंडों पर भी रीडिंग घट रही थी.

अनिकेत को आरजी कर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है. अनिकेत जूनियर पिछले 2 महीने से डॉक्टरों को न्याय दिलाने के लिए चल रहे धरने में शामिल हैं. आठ अगस्त की रात आरजी कर अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गयी थी. पीड़िता का शव 9 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में मिला था. अगले दिन से जूनियर डॉक्टर 42 दिन की हड़ताल पर चले गए.

राज्य सरकार ने डॉक्टरों की मांगें नहीं मानीं. जिसके चलते डॉक्टरों ने 5 अक्टूबर की शाम से भूख हड़ताल शुरू कर दी है. इसमें 9 डॉक्टर शामिल हैं, आज भूख हड़ताल का छठा दिन है.

भूख हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार शाम को 4 विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम को भूख हड़ताल स्थल पर भेजा. पत्रकारों से बात करते हुए टीम में शामिल दीपेंद्र सरकार ने कहा कि चूंकि डॉक्टरों ने 5 दिनों से कुछ नहीं खाया है, इसलिए उनके स्वास्थ्य स्तर में गिरावट आई है. हम उनके माता-पिता की तरह हैं. हमने सुझाव दिया है कि तबीयत बिगड़ने से पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए'

डॉक्टरों की टीम ने 9 अक्टूबर को मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ करीब 2 घंटे तक बैठक की. हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों का आरोप है कि उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. जूनियर डॉक्टर ने कहा- राज्य सरकार ने दुर्गा पूजा के बाद मांगों पर विचार करने की बात कही है. हमारे साथी 4 दिन से भूख हड़ताल पर हैं, हमें इतनी सख्ती की उम्मीद नहीं थी.

साल्टलेक स्थित स्वास्थ्य विभाग के प्रधान कार्यालय में आयोजित बैठक में राज्य भर के मेडिकल कॉलेजों के लगभग 20 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. देवाशीष हलदर ने कहा कि मुख्य सचिव परिसरों में सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए राज्य द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में वही पुरानी बातें दोहरा रहे हैं. बाकी मांगों के संबंध में सरकार ने कोई लिखित निर्देश जारी करने या कोई समय सीमा देने से भी इनकार कर दिया.

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