Surrogacy Law in India: एक कपल के लिए मां-बाप बनना दुनिया की सबसे बड़ी खुशी होती है. इस अनुभव को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. लेकिन कुछ कपल्स ऐसे होते हैं जिन्हें किसी कारण यह सुख नहीं मिल पाता है. लेकिन आज साइंस और टेक्नोलॉजी ने इतनी तरक्की कर ली है कि अगर किसी कपल का बच्चा नहीं हो पा रहा है तो वह सरोगेसी के जरिए मां-बाप बनने का सुख हासिल कर सकते हैं. आइए जानते हैं सरोगेसी का मतलब क्या होता है, कैसे मां-बाप बनते हैं, अपने देश में क्या कानून हैं.
सरोगेसी का मतलब
सरोगेसी का विकल्प उन महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है जो प्रजनन संबंधी मुद्दों, गर्भपात या जोखिम भरे गर्भावस्था के कारण गर्भ धारण नहीं कर सकतीं. सरोगेसी को आम भाषा में किराए की कोख भी कहा जाता है, यानी बच्चा पैदा करने के लिए जब कोई कपल किसी दूसरी महिला की कोख किराए पर लेता है, तो इस प्रक्रिया को सरोगेसी कहा जाता है,यानी सरोगेसी में कोई महिला अपने या फिर डोनर के एग्स के जरिए किसी दूसरे कपल के लिए प्रेग्नेंट होती है. अपने पेट में दूसरे का बच्चा पालने वाली महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है.
सरोगेसी कितने तरह की होती है
ट्रेडिशनल सरोगेसी
इस तरह की सरोगेसी में होने वाले पिता या डोनर का स्पर्म सरोगेट मदर के एग्स से मैच कराया जाता है. फिर डॉक्टर कृत्रिम तरीके से सरोगेट महिला के कर्विक्स, फैलोपियन ट्यूब्स या यूटेरस में स्पर्म को सीधे प्रवेश कराते हैं. इससे स्पर्म बिना किसी बाधा के महिला के यूटेरस में पहुंच जाता है. इस स्थिति में अगर होने वाले पिता का स्पर्म इस्तेमाल नहीं किया जाता तो किसी डोनर के स्पर्म का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर डोनर के स्पर्म का इस्तेमाल किया जाता है तो पिता का भी बच्चे से जेनेटिकली रिलेशन नहीं होता है.
जेस्टेशनल सरोगेसी
इस तरह की सरोगेसी में सरोगेट मदर का बच्चे से रिलेशन जेनेटिकली नहीं होता है, यानी प्रेग्नेंसी में सरोगेट मदर के एग का इस्तेमाल नहीं होता है. इसमें सरोगेट मदर बच्चे की बायोलॉजिकल मां नहीं होती है. वे सिर्फ बच्चे को जन्म देती है. इसमें होने वाले पिता के स्पर्म और माता के एग्स का मेल या डोनर के स्पर्म और एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब कराने के बाद इसे सरोगेट मदर के यूटेरस में ट्रांसप्लांट किया जाता है.
भारत में सरोगेसी के नियम
- भारत में सरोगेसी बिल्कुल मान्य है, लेकिन इसके लिए भारत सरकार ने कुछ सख्त नियम बनाए हैं ताकि जरूरतमंद कपल ही इसका इस्तेमाल कर सकें. किसी भी व्यक्ति को सरोगेसी पर व्यापार करने का अधिकार नहीं है.
- कपल सरोगेसी के लिए सरोगेट मदर को कोई पैसा नहीं दे सकता. कपल को सिर्फ डॉक्टर और अस्पताल का खर्च अनिवार्य रूप से देना होता है. इसके अलावा इंश्योरेंस करवाना जरूरी है.
- सरोगेसी रेगुलेशन एक्ट के तहत वही कपल सरोगेसी के जरिए माता-पिता बन सकते हैं जो किसी भी वजह से बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हैं. लिव इन में रह रहे कपल्स के लिए ये सुविधा नहीं है. हालांकि ये कानून विधवा और तलाकशुदा महिला को सरोगेसी के जरिए माता बनने की इजाजत देता है.
- बशर्त उनकी उम्र 35 से 45 साल के बीच होनी चाहिए.
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