Himachal High Court: हाईकोर्ट ने दो की फांसी को उम्रकैद में बदला, पत्थर बांधकर टैंक में फेंका था 4 साल का मासूम, पिता बोले- न्याय नहीं मिला

Yug Murder Case: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार को बहुचर्चित युग हत्याकांड के दोषियों को दिए मृत्यु दंड पर अपना निर्णय सुनाया. हाई कोर्ट…

Yug Murder Case:

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार को बहुचर्चित युग हत्याकांड के दोषियों को दिए मृत्यु दंड पर अपना निर्णय सुनाया. हाई कोर्ट ने युग मर्डर केस में दोषियों के मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला है. दोषियों को अंतिम सांस तक जेल में ही रहना होगा. मामले में तीन में से एक को हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है, जबकि दो की सजा बदल गई है.

युग के पिता निराश-

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद युग के पिता विनोद कुमार गुप्ता बहुत निराश हैं. उन्होंने कहा कि मैं इस फैसले से संतुष्ट नहीं हूं. मीडिया से बात करते युग के पिता भावुक थे, भरी हुई आंखों और रुंधे गले से कहा कि मेरे बच्चे को इन्साफ नहीं मिला. बच्चे के लिए जी रहे थे, उसके लिए सबकुछ खत्म कर देंगे. हम सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे. दोषी पकड़े गए यह भगवान की देन थी, कोर्ट से तो कोई राहत नहीं मिली.मामला सत्र न्यायाधीश शिमला की ओर से रेफरेंस के तौर पर हाई कोर्ट के समक्ष रखा गया था और दोषियों की ओर से दोष सिद्धि के खिलाफ अपील दायर की गई थी. अपील व रेफरेंस पर न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश राकेश कैंथला की विशेष खंडपीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिस पर आज फैसला सुनाया गया.

जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सुनाई थी फांसी की सजा-

उल्लेखनीय है कि तीन दोषियों को फिरौती के लिए चार साल के मासूम युग की अपहरण के बाद निर्मम हत्या करने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. छह सितंबर 2018 को दोषी चंद्र शर्मा, तेजिंद्र पाल और विक्रांत बख्शी को सजा सुनाते हुए न्यायाधीश विरेंदर सिंह की अदालत ने इस अपराध को दुर्लभ में दुर्लभतम श्रेणी के दायरे में पाया था.

जिला अदालत ने 5 सितंबर 2018 को तीन दोषियों को सुनाई थी सजा-ए-मौत

बहुचर्चित युग हत्याकांड में दोषियों को 5 सितंबर 2018 को सजा-ए-मौत सुनाई गई थी. फिरौती के लिए चार साल के मासूम युग की अपहरण के बाद निर्मम हत्या मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी. न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने इस अपराध को दुर्लभ में दुर्लभतम श्रेणी का करार दिया था. अब हाईकोर्ट ने फैसला पलट दिया है.

मासूम का शव पानी के टैंक से किया था बरामद-

मामले के तीनों दोषियों ने 14 जून, 2014 को शिमला के रामबाजार से फिरौती के लिए मासूम युग का अपहरण किया था. अपहरण के दो साल बाद अगस्त 2016 में भराड़ी पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद किया गया. युग के अपहरण और हत्या के 2014 में हुए मामले की जांच कर रही सीआईडी ने 25 अक्तूबर, 2016 को चार्जशीट अदालत में दायर की. 6 अगस्त को जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने तीनों आरोपियों को अपहरण और हत्या का दोषी करार दिया था और 800 पन्नों का फैसला दिया. उसके बाद अदालत में सजा पर बहस की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 5 सितंबर को अदालत ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी.

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