Gurpreet kaur Success Story: गुरदीप कौर ने रचा इतिहास; बोल, सुन और देख नहीं सकती, फिर भी सरकारी नौकरी पाकर बनी प्रेरणा

Gurpreet kaur Success Story: इंदौर की गुरदीप कौर वासु (Gurpreet Success ) ने समाज में एक मिसाल कायम की है. वह न देख सकती है,…

Gurpreet kaur Success Story: इंदौर की गुरदीप कौर वासु (Gurpreet Success ) ने समाज में एक मिसाल कायम की है. वह न देख सकती है, न बोल सकती है, और न ही सुन सकती है. उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सरकारी नौकरी पाकर इतिहास रच दिया है. 34 वर्षीय गुरदीप कौर वासु, जो बोल, सुन और देख नहीं सकतीं, ने अपनी मेहनत से सरकारी नौकरी पाकर इतिहास रच दिया है. उन्हें वाणिज्यिक कर विभाग(Commercial Tax Department) में नियुक्त किया गया है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि देश में यह पहला मामला है जब इस तरह की कोई महिला सरकारी सेवा में आई है. गुरदीप की सफलता वर्षों के संघर्ष का परिणाम है. उनकी उपलब्धि से विकलांग समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई है.गुरदीप कौर वासु को ‘इंदौर की हेलेन केलर’ के नाम से भी जाना जाता है. हेलेन केलर एक प्रसिद्ध अमेरिकी लेखिका थीं. वह न देख सकती थी, न सुन सकती थी, और न बोल सकती थी. फिर भी उन्होंने कई किताबें लिखीं. 1999 में टाइम पत्रिका ने उन्हें 20वीं सदी के 100 सबसे महत्वपूर्ण लोगों में शामिल किया.

अधिकारियों ने बताया कि गुरदीप ने 12वीं तक पढ़ाई की है. उन्हें बहुविकलांगता श्रेणी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में नौकरी दी गई है. वह इंदौर में वाणिज्यिक कर विभाग के कार्यालय में काम करेंगी.

विभाग की अतिरिक्त आयुक्त सपना पंकज सोलंकी ने बताया कि गुरदीप का चयन दिव्यांगों के लिए चलाए गए विशेष भर्ती अभियान के तहत हुआ है. उनका चयन उनकी योग्यता के आधार पर किया गया है.सपना पंकज सोलंकी ने कहा कि गुरदीप पूरी लगन से काम सीख रहा है.वह समय पर कार्यालय आती और जाती है.

चपरासी के पद पर नियुक्त गुरदीप को कार्यालय में फाइलें पंच करने और दस्तावेजों को लिफाफों में डालने का काम सौंपा गया है. वह फिलहाल कर्मचारियों की मदद से यह काम सीख रही हैं. गुरदीप के लिए सरकारी नौकरी पाना आसान नहीं था. उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

गुरदीप की मां मंजीत कौर वासु अपनी बेटी की सफलता से बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा कि गुरदीप मेरे परिवार का पहला सदस्य है जिसे सरकारी नौकरी मिली है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह कभी इस पद तक पहुंचेगी. आजकल लोग मुझे मेरे नाम से कम और गुरदीप की माँ के नाम से ज़्यादा जानते हैं.

खबरो के लिए जुड़े रहिए Living India News के साथ 24/7 live

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *