Operation Sindoore: भारतीय सेना ने 10 साल के शवन सिंह की बहादुरी और सेवा भाव को सराहा है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान सैनिकों को चाय, दूध और लस्सी पहुंचाई थी. सेना ने घोषणा की है कि वह शवन की पूरी पढ़ाई का खर्च उठाएगी. शवन की इस पहल को देखकर सेना ने उनकी प्रतिभा और समर्पण को पहचानते हुए यह फैसला लिया है.
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक भारतीय सेना की गोल्डन ऐरो डिवीजन ने 10 साल के शवन सिंह की बहादुरी और समर्पण की सराहना की है, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान सैनिकों की सेवा की थी. सेना ने उनकी शिक्षा का पूरा खर्च उठाने का निर्णय लिया है. शवन सिंह को सम्मानित करने के लिए फिरोजपुर कैंटोनमेंट में एक समारोह आयोजित किया गया, जहां वेस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने उन्हें सम्मानित किया.
घटना उस समय की है, जब 7 मई को भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और PoK में स्थित आतंकी ठिकानों पर मिसाइल से हमले किए थे.इसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने सीमा पर भारतीय चौकियों को निशाना बनाया और गोलाबारी शुरू कर दी थी.
इसी दौरान शवन सिंह, जो कि फिरोजपुर के ममदोट इलाके के तारा वाली गांव का रहने वाला है और चौथी कक्षा में पढ़ता है, खुद ही सैनिकों के लिए पानी, बर्फ, चाय, दूध और लस्सी लेकर पहुंचा था. गोलियों की आवाज़ों और तनावपूर्ण माहौल के बीच उसकी निर्भीक सेवा भावना ने सेना के जवानों का दिल जीत लिया.
फौजी बनना चाहता है शवन सिंह
शवन सिंह ने कहा था कि वह बड़ा होकर फौजी बनना चाहता है और देश की सेवा करना चाहता है. उसके पिता ने गर्व से बताया कि शवन ने खुद से सैनिकों को राशन पहुंचाया और सैनिक उसे बहुत प्यार करने लगे। शवन का गांव तारा वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर है. भारतीय सेना ने शवन की कहानी को देश के निस्वार्थ नायकों की मिसाल बताया है, जो बिना किसी उम्मीद के देश की सेवा करते हैं.
क्यों हुआ था ऑपरेशन सिंदूर?
बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था. इसके तहत जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर स्थित ठिकाने और लश्कर-ए-तैयबा के मुरिदके स्थित ठिकानों पर हमले किए गए थे.
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